ग्रेटर नोएडा, वाईबीएन संवाददाता।
जिले में ओवरलोडिंग वाहनों पर अंकुश लगाने को लेकर परिवहन विभाग कार्यवाई तेज कर दी है। संभागीय परिवहन अधिकारी प्रवर्तन डॉ. उदित नारायण पांडेय ने बताया कि माह अप्रैल के पहले सप्ताह में ओवर लोडिग पर कड़ी कार्यवाही करे हुये 21 ओवरलोड वाहनों के विरुद्ध चालान कर निरुद्ध किया गया तथा प्रशमन शुल्क रु 18 लाख 63 हजार आरोपित किया गया।
उन्होंने ओवरलोडिंग ट्रकों, मिनी ट्रकों के संचालकों एवं वाहन चालकों को बताया कि वाहन में क्षमता से अधिक माल लादने से कई गंभीर नुकसान हो सकते हैं। यह न केवल वाहन चालकों और सड़क पर चलने वालों के लिए खतरा पैदा करता है, बल्कि आर्थिक और पर्यावरणीय नुकसान भी पहुंचाता है। आइए इसके नुकसानों को समझें और ओवरलोडिंग से बचें।
ओवरलोडिंग से सड़क दुर्घटनाओं का खतरा-
अधिक वजन के कारण ट्रक का संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे ब्रेक फेल होने, टायर फटने या वाहन के पलटने की संभावना बढ़ जाती है। यह चालक और अन्य लोगों की जान को जोखिम में डालता है। ओवरलोडिंग से ट्रक के इंजन, सस्पेंशन, टायर और ब्रेक पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे वाहन जल्दी खराब हो जाता है और मरम्मत का खर्च बढ़ता है। अधिक वजन वाले वाहन सड़कों पर गड्ढे और दरारें पैदा करते हैं, जिससे सड़कें जल्दी खराब होती हैं। इससे सरकार को बार-बार मरम्मत करानी पड़ती है, जो जनता के टैक्स के पैसे का दुरुपयोग है।
ओवरलोडेड वाहनों को चलाने में अधिक ईंधन खर्च होता है, जिससे परिवहन लागत बढ़ती है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, क्योंकि ज्यादा ईंधन जलने से प्रदूषण बढ़ता है। भारत में मोटर वाहन अधिनियम के तहत ओवरलोडिंग गैरकानूनी है। पकड़े जाने पर भारी जुर्माना( रु 20 हजार और रु 2 हजार प्रतिटन) वाहन जब्ती और चालक लाइसेन्स व परमिट निरस्तीकरण सहित अनेक कडी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
ओवरलोडिंग न करने की अपील-
सभी ट्रक चालकों, मालिकों और परिवहन व्यवसायियों से अपील करते हुए कहा कि वाहनों की निर्धारित क्षमता का सम्मान करें और ओवरलोडिंग से बचें। यह न केवल आपकी और दूसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि आपके वाहन की उम्र बढ़ाएगा, सड़कों को सुरक्षित रखेगा और पर्यावरण की रक्षा करेगा। आइए, हम सब मिलकर जिम्मेदार नागरिक बनें और नियमों का पालन करें। ओवरलोडिंग से बचें, सुरक्षित भविष्य बनाएं।