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Noida की सड़कों से साफ होगा प्रदूषण, लगाए गए मिस्ट स्प्रे, पीक ऑवर में 3-3 छोड़ रही पानी फुआर

पायलट प्रोजेक्ट की तर्ज पर लगाया गया है। अभी एक स्ट्रैच पर लगाया गया है। इसके बाद दूसरा स्ट्रैच लगाया जाएगा। इसको लगाने में करीब 50 लाख का खर्च हो रहा है।

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Jyoti Yadav
नोएडा की सड़कों से साफ होगा प्रदूषण, लगाए गए मिस्ट स्प्रे, पीक ऑवर में 3-3 छोड़ रही पानी फुआर
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नोएडा, वाईबीएन संवाददाता | नोएडामें वायु प्रदूषण खासतौर पर पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) यानी धूल के कण को कम करने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने डीएससी रोड पर एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसके तहत 700 मीटर के स्ट्रैच में 13 पोल पर मिस्ट स्प्रे लगाए गए है। जो कि सड़क पर चार से पांच फीट दूरी तक पानी की फुहार छोड़ेंगे। ये मिस्ट स्प्रे पीक आवर में सुबह और शाम तीन-तीन घंटे चलाए जा रहे हैं। एक पोल पर छह मिस्ट स्प्रे नोजल लगे है। सात दिन तक इनका निरीक्षण किया जा रहा है। इसके बाद इनको अन्य मुख्य सड़कों पर लगाया जाएगा। 

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मिस्ट स्प्रे लगाने का फायदा

मिस्ट स्प्रे सिस्टम पीक ऑवर्स में गर्मी कम करने में मदद करेगा, धूल प्रदूषण पर भी नियंत्रण होगा, एक मिस्टिंग सिस्टम जो कणों को आकर्षित करने के लिए बारीक पानी की धुंध का छिड़काव करता है और निपटान के समय को तेज करता है, जिससे सभी स्रोतों से और स्थानीय रूप से ढीली मिट्टी या सड़क की धूल, एलर्जी आदि से पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) से निपटा जा सकता है।

प्रेशर के साथ पानी की फुहार

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प्राधिकरणके जीएम जल आर पी सिंह ने बताया कि मिस्ट स्प्रे से पानी की फुहार छोड़ी जा रही है। ये स्प्रे सुबह 8 से 11 और और शाम को 6 से 9 बजे तक 10 मिनट के अंतराल पर चलाए जा रहे है। अभी इनको सेक्टर-15 मेट्रो स्टेशन से सेक्टर-16 की ओर करीब 700 मीटर स्ट्रैच में लगाया गया है। एक घंटे में एक पोल पर स्प्रे के लिए 30 लीटर आरओ पानी की जरूरत होती है। आरओ प्लांट, 5000 लीटर का वाटर टैंक, स्वचालित कंट्रोल पैनल द्वार नियंत्रित होता है।  

सुबह और शाम चलने वाले इस मिस्ट स्प्रे में 90 सेंकेड तक फुहार छोड़ी जाती है, फिर 60 सेंकेड के लिए बंद हो जाता है। इसी प्रकार से बारी-बारी से यह चलता रहता है। बता दे  धूल के प्रदूषण कम करने के लिए फिलहाल मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनों के साथ एंटी स्मॉग गन का उपयोग पानी के छिड़काव के लिए किया जाता है। इस पर खर्च होता है। यह परियोजना सफल होती है तो इससे ईधन और वाहनों की खरीद पर खर्च कम हो जाएगा।

पायलट प्रोजेक्ट पर 50 लाख खर्च

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इसे पायलट प्रोजेक्ट की तर्ज पर लगाया गया है। अभी एक स्ट्रैच पर लगाया गया है। इसके बाद दूसरा स्ट्रैच लगाया जाएगा। इसको लगाने में करीब 50 लाख का खर्च हो रहा है। एक बार परीक्षण सफल होने पर इसको शहर की मुख्य सड़कों पर लगाया जाएगा। ताकि यहां प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सके।

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