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हाईकोर्ट न्यूज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी आरोपी बच्चे को तब तक जेल में नहीं रखा जा सकता जब तक कि वह 21 वर्ष का न हो जाए। कोर्ट ने कहा गिरफ्तार कर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए जाने पर याची ने दावा नहीं किया कि वह किशोर है।

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Abhishek Panday
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Photograph: (google)

बालिग होने तक जेल में नहीं रखा जा सकता कोई आरोपित बच्चा

प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी आरोपी बच्चे को तब तक जेल में नहीं रखा जा सकता जब तक कि वह 21 वर्ष का न हो जाए। कोर्ट ने कहा गिरफ्तार कर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए जाने पर याची ने दावा नहीं किया कि वह किशोर है। यह दावा पहली बार ट्रायल के लिए आरोप तय होने के बाद निचली अदालत के समक्ष उठाया गया था। ऐसे में न्यायिक आदेश से की गई प्रारंभिक हिरासत अवैध नहीं हो सकती है। लेकिन, अधिनियम की धारा 9 (4) के तहत किशोर होने के दावे के बाद जेल में हिरासत में रखना अवैध होगा। किशोर के दावे के बाद बाल संरक्षण गृह में रखा जाना चाहिए। कोर्ट ने इस तर्क को भी अस्वीकार कर दिया कि किशोर बंदी को जमानत अर्जी देनी चाहिए। जब आपराधिक न्यायालय में किशोर के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता तो जमानत अर्जी देने का औचित्य नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय तथा न्यायमूर्ति संदीप जैन की खंडपीठ ने किशोर पवन कुमार की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता मोहम्मद सलमान व नाजिया नफीस ने बहस की।

कोर्ट ने जेल अधीक्षक नैनी प्रयागराज को निर्देश दिया है कि याची को तत्काल रिहा करें। पुलिस कमिश्नर प्रयागराज याची को ट्रायल कोर्ट में पेश करें। अदालत धारा 9 (2) के अंतर्गत अपराध के समय याची की आयु का निर्धारण करें। तबतक याची को निरोधक अभिरक्षा में रखा जाय। कोर्ट ने कहा याची की अपराध के समय आयु का निर्धारण कर अदालत किशोर न्याय बोर्ड को अग्रेषित करें। अदालत तय कर की याची की आयु 16 साल से कम थी या अधिक। यदि अधिक थी तो सुनवाई जारी रखें। मालूम हो कि प्रयागराज के थरवई थाने में 1 अप्रैल 2017 को एफआईआर दर्ज की गई। जिसमें याची ,उसके बड़े भाई व मां पर शिकायतकर्ता के भाई की पीटकर हत्या करने का आरोप लगाया गया। याची को गिरफ्तार कर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया। मजिस्ट्रेट ने सत्र अदालत को प्रेषित कर दिया। पुलिस ने चार्जशीट दी। सत्र अदालत ने आरोप निर्मित कर दिया। इसके बाद याची की तरफ से अपराध के समय उसके किशोर होने का दावा किया गया। अदालत ने प्रधानाचार्य को बुलाया,पता चला याची की आयु 14 साल 3 माह 19 दिन थी। अदालत ने आयु निर्धारण न कर किशोर न्याय बोर्ड को भेज दिया। बोर्ड ने 15 मई 2025 को याची को किशोर घोषित कर जेल अधीक्षक को आदेश भेजा। किंतु रिहाई नहीं की गई। तो निर्बुद्धि को अवैध करार देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता ने यह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। सरकारी वकील ने कहा मजिस्ट्रेट के आदेश से जेल भेजा गया था , इसलिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पोषणीय नहीं है। कोर्ट ने तमाम कानूनी पहलुओं पर विचार करते हुए याची की रिहाई का आदेश दिया है।

स्वास्थ्य विभाग की भर्ती में कोविड वारियर्स की क्यों हो रही अनदेखी, हाइकोर्ट

प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग से पूछा कि स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती में कोविड वारियर्स की अनदेखी क्यों की जा रही है। कोविड महामारी के दौरान जान जोखिम में डालकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में विभिन्न पदों पर संविदा पर अपनी सेवाएं देने वाले कोविड वॉरियर्स को नौकरी से निकाल देने के प्रकरण को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। और मुख्य चिकित्सा अधिकारी आजमगढ़ से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है और कहा है कि हलफनामा नहीं दिया तो कोर्ट डायरेक्टर, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, लखनऊ को तलब करेगी।

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आदेश का पालन न करने पर अगली तिथि में सीएमओ होंगे तलब

बृजेश कुमार एवं रामानुज समेत अन्य याचियों की ओर से अधिवक्ता रजत ऐरन एवं राज कुमार सिंह द्वारा न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ के समक्ष बहस की गई कि कोविड वॉरियर्स की मुश्किल समय में उत्कृष्ट देश सेवा को सम्मान देते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य विभाग के आदेशानुसार पुनर्नियुक्ति में प्राथमिकता दिया जाना आवश्यक है ताकि इन कोरोना कर्मियों से लगातार काम लिया जा सके किंतु आजमगढ़ समेत कई जनपदों में इन कर्मियों की सेवा समाप्त कर नए अभ्यर्थियों की नियुक्ति मनमाने तरीके से शासन की मंशा के विरुद्ध की जा रही है। स्वीपर, वार्ड बॉय, आया एवं टेक्नीशियन जैसे पदों पर कार्यरत रहे कर्मियों के समक्ष जीवन यापन का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। शासनादेशों के बावजूद ऐसे कर्मियों की पुनर्नियुक्ति नहीं की जा रही है किंतु नए अभ्यर्थी संविदा पर रखे जा रहे है। कोर्ट ने यह भी कहा आदेश का पालन न करने पर अगली तिथि को सी एम् ओ हाजिर हों। याचिका की सुनवाई 13अक्टूबर को होगी।

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