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Photograph: (google)
प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शिकायतकर्ता की पत्नी के अपहरण से जुड़े मामले में अभियुक्त बृजेश उर्फ ब्रजपाल की सशर्त अंतरिम जमानत मंजूर कर ली है और एसपी बिजनौर को अपहृत महिला की बरामदगी करने और रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी। न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की एकलपीठ ने कहा, इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि याची अपहरण करने का नामित आरोपित है । पुलिस ने जांच के बाद आवेदक और अन्य अभियुक्तों के विरुद्ध अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। शिकायतकर्ता (वादी) गजराम सिंह की विरोध याचिका पर निचली अदालत ने अभियुक्तों को तलब करते समय यह तथ्य भी दर्ज किया है कि अपहृत उषा देवी की बरामदगी आवश्यक थी, लेकिन जांच अधिकारी ने ऐसा नहीं किया। ऐसे में 20 जनवरी से 2025 से जेल में बंद अभियुक्त को अपहृत की बरामदगी तक अंतरिम जमानत पर रिहा करना उचित होगा। इससे पहले इसी प्रकरण में कोर्ट ने आठ अक्टूबर को टिप्पणी की थी कि जब गरीब व्यक्ति दर-दर भटक रहा हो तब न्यायालय आंखे नहीं बंद सकती। साथ ही 2025 को सीआरपीसी की धारा 482 (बीएनएस में धारा 528) के अंतर्गत असाधारण शक्ति का प्रयोग करते हुए पुलिस अधीक्षक को अपहृत को बरामद करने का निर्देश दिया था। कहा था कि ऐसा नहीं होने की दशा में वह 16 अक्टूबर को कोर्ट में पेश हों।
विवेचक की लापरवाही उजागर
कोर्ट के आदेश के अनुपालन में एसपी पेश हुए और कहा कि अपहृत को बरामद करने के लिए टीम गठित की है और अगली तारीख तक, वह निश्चित रूप से बरामद कर न्यायालय के समक्ष पेश करने की पूरी कोशिश करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता की बात का किसी भी गवाह ने समर्थन नहीं किया। एसपी ने पूर्व जांच अधिकारी की लापरवाही भी मानी। एसटीएफ मेरठ में निरीक्षक रवींद्र सिंह ने जो जांच अधिकारी थे, हाजिर हुए । एसपी ने कहा शिकायतकर्ता भी संदेह के घेरे में है,क्योंकि अपहरण की घटना का कोई गवाह नहीं है। मुकदमे से जुड़े तथ्य यह हैं कि आठ अगस्त 2012 को थाना कोतवाली सिटी में प्राथमिकी दर्ज की गई थी और अंतिम रिपोर्ट 18 दिसंबर 2013 को प्रस्तुत कर दी गई थी। शिकायतकर्ता के प्रोटेस्ट एप्लिकेशन पर आरोपित और सह-आरोपित को 22 जुलाई 2016 को तलब किया गया। बृजेश उर्फ ब्रजपाल ने समन आदेश के विरुद्ध पुनरीक्षण याचिका दायर जो खारिज कर दी गई तो निचली अदालत में आत्मसमर्पण किया। इसके बाद जमानत याचिका दायर की जो 24 जनवरी 2025 को खारिज कर दी गई। कोर्ट ने पिछले आदेश में कहा था कि अभिलेखों के अवलोकन से स्पष्ट है कि जांच के समय पुलिस लापरवाह थी। कोर्ट ने विवेचनाधिकारी के खिलाफ बाद में आदेश देने को कहा। और आश्चर्य प्रकट किया कि अपहृत महिला की बरामदगी किए बगैर फाइनल रिपोर्ट पेश कर दी गई। बरामदगी का कोई प्रयास नहीं किया गया।
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