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फाइल फोटो Photograph: (वाईबीएन)
प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय तिरंगे को लेकर सोशल मीडिया पर अपमानजनक पोस्ट करने के आरोपी मुजफ्फरनगर के वासिक त्यागी की ज़मानत नामंजूर कर दी है। कोर्ट ने कहा कि जांच में मिले तथ्यों से ऐसा लगता है कि याची ने जानबूझकर देश का अपमान करने के इरादे से अपनी फेसबुक आईडी से पोस्ट डाली जो भड़काऊ, अपमानजनक और सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने वाली है।
राष्ट्रीय ध्वज देश के सम्मान व गौरव का प्रतीक : हाईकोर्ट
यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने वासिक की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया। वासिक त्यागी के खिलाफ मुजफ्फरनगर के चरथावल थाने में सब इंस्पेक्टर अनिल कुमार ने गत 16 मई को मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप है कि उसने अपने मोबाइल से अपनी फेसबुक आईडी पर पोस्ट डाली, जिसमें पाकिस्तान जिंदाबाद लिखा था। साथ ही जमीन पर राष्ट्रीय ध्वज पड़ा दिखाया और उस पर कुत्ता बैठा था। इसके नीचे ध्वज के सम्बन्ध में बेहद अपमानजनक टिप्पणी की गई थी। पुलिस ने जांच में साइबर सेल की मदद से पोस्ट की वास्तविकता का पता लगाया। यह पोस्ट वासिक के मोबाइल आईपी एड्रेस का उपयोग कर डाली गई थी। उसका मोबाइल भी बरामद कर लिया। दो स्वतंत्र गवाहों ने इसकी पुष्टि की। वासिक के वकीलों का कहना था कि वह निर्दोष है और उसने कोई ऐसी पोस्ट नहीं की लेकिन फेसबुक पर की गई पोस्ट का कोई स्पष्टीकरण नहीं दे सके।
सरकारी वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि राष्ट्र विरोधी पोस्ट से लोगों की भावनाएं आहत हुईं। साथ ही समुदायों में शत्रुता का भाव बढ़ने और लोक शांति भंग होने का खतरा पैदा हुआ। कोर्ट ने कहा कि याची ने राष्ट्रीय तिरंगे पर बेहद अपमानजनक टिप्पणी की है जो चिंता का विषय है। स्पष्ट है कि उसकी भावनाएं देश भक्ति की नहीं है और उसने देश का अपमान करने के इरादे से जानबूझकर यह पोस्ट डाली है। राष्ट्रीय ध्वज देश के सम्मान का प्रतीक है। कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज़ कर दी है।
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