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फाइल फोटो Photograph: (google)
प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ही गलती पर एक अध्यापक को निलंबित करने और दूसरे को माफ करने के बीएसए इटावा के आदेश पर कहा कि बीएसए का रवैया उनकी निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। और कुछ नहीं यह प्रशासनिक शक्तियों का दुरुपयोग है। कोर्ट ने बीएसए इटावा को तलब किया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने प्रबल प्रताप सिंह की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी ने बहस की।
दो अध्यापकों की शिकायत,एक पर कार्रवाई दूसरे को छोड़ा
इनका कहना था कि याची प्रबल प्रताप सिंह और ज्योति राव दोनों अध्यापकों के खिलाफ सहयोगियों से दुर्व्यवहार करने की शिकायत की गई थी, जिस पर बीएसए ने याची को निलंबित कर दिया। उसके खिलाफ जांच शुरू करते हुए आरोप पत्र दे दिया गया। जबकि ज्योति राव के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। बीएसए का यह आदेश भेदभावपूर्ण है क्योंकि याची ने जो स्पष्टीकरण दिया उसे बीएसए ने स्वीकार नहीं किया जबकि उसी मामले में ज्योति राव का स्पष्टीकरण स्वीकार कर लिया गया और उसके खिलाफ समस्त कार्यवाही समाप्त कर दी गई।
कोर्ट ने कहा दोनों अध्यापकों ने स्पष्टीकरण दिया था लेकिन बिना कोई कारण बताए मनमाने तरीके से याची के स्पष्टीकरण को असंतोषजनक करार दे दिया गया जबकि दूसरे अध्यापक का स्पष्टीकरण स्वीकार कर लिया गया और उसके खिलाफ कार्यवाही समाप्त कर दी गई। यह गंभीर चिंता और स्पष्ट भेदभाव का मामला है। कोर्ट ने कहा कि दोनों के खिलाफ समान शिकायत होने के बावजूद सिर्फ एक के खिलाफ कार्रवाई की गई जबकि दूसरे के खिलाफ न तो कोई जांच हुई, न कोई कार्रवाई की गई। कोर्ट ने कहा कि पहले भी ऐसे मामले आए हैं, जहां बीएसए ने किसी एक पर तो कार्रवाई की लेकिन उसी मामले में दूसरे पर कार्रवाई नहीं की। कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार की भेदभावपूर्ण कार्रवाई जांच प्रक्रिया की शुचिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करती है। इससे प्रशासनिक शक्ति के दुरुपयोग का पता चलता है। कोर्ट ने बी एस ए से सफाई मांगी है।
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