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हाईकोर्ट
प्रयागराज, वाईबीएन संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज शहर उत्तरी के विधायक हर्षवर्धन वाजपेई के चुनाव की वैधता की चुनौती याचिका पर विवादित बिंदु तय करते हुए पक्षों से दस्तावेजी साक्ष्य सहित 6 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई की तिथि 10 अक्टूबर नियत की है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा ने कांग्रेस प्रत्याशी अनुग्रह नारायण सिंह की चुनाव याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता शैलेन्द्र ने पक्ष रखा।
कोर्ट से तय विवादित विंदु इस प्रकार है -
1-क्या जब निर्वाचित उम्मीदवार ने वर्ष 2003 में बी.ई. और बी.टेक. पाठ्यक्रमों के पूरा होने के संबंध में विरोधाभासी जानकारी प्रदान की, तो क्या निर्वाचित उम्मीदवार का चुनाव रद्द घोषित कर दिया जाएगा?
2- क्या सोशल मीडिया में दी गई जानकारी गलत होने पर चुनाव प्रभावित होगा?
3-क्या जब प्रतिवादी की ओर से अमित शर्मा बिना किसी प्राधिकरण के चुनाव एजेंट के रूप में कार्य कर रहे थे, तो क्या इससे चुनाव प्रभावित होगा, खासकर जब उनके प्राधिकरण को दर्शाने वाला कॉलम खाली छोड़ दिया गया हो?
4- क्या अमित शर्मा के लिए चुनाव एजेंट बनना अनुमन्य था जब वह राज्य सरकार की ओर से ब्रीफ होल्डर के रूप में काम कर रहे थे? और क्या इससे चुनाव कानूनन गलत हो जाएगा?
5- क्या जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय के स्थायी वकील अतुल कुमार श्रीवास्तव ने मतगणना एजेंट के रूप में काम किया, तो क्या इस तथ्य के कारण चुनाव रद्द हो जाएगा कि मतगणना एजेंट के रूप में उनका काम करना भ्रष्ट आचरण होगा?
6-क्या नामांकन पत्र के साथ भरे गए फॉर्म 26 के कॉलम (3) (i), (ii) और (iii) में यह बताया गया था कि विपक्षी दल का कोई सोशल मीडिया अकाउंट नहीं है, तो क्या इससे चुनाव रद्द हो जाएगा क्योंकि यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(2) के तहत भ्रष्ट आचरण के बराबर है?
7- क्या नामांकन पत्र में दी गई जानकारी गलत पाए जाने पर आम जनता के "जानने के अधिकार" पर असर पड़ेगा?
8-क्या गलत जानकारी न दिए जाने के कारण चुनाव परिणाम पर कोई असर पड़ेगा?
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