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High Court News: सपा के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ, गैंगस्टर में भी हाईकोर्ट से मिली जमानत

समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने गैगेस्टर एक्ट के तहत दर्ज मुकदमे में इरफान की जमानत मंजूर कर ली है।

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Abhishak Panday
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प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता।समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने गैगेस्टर एक्ट के तहत दर्ज मुकदमे में इरफान की जमानत मंजूर कर ली है। सपा नेता आजम खां के बाद दूसरे सपा नेता इरफान सोलंकी के भी जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। न्यायमूर्ति समीर जैन ने इरफान के अलावा उनके भाई रिजवान और इजराइल आटे वाला की भी जमानत अर्जी मंजूर कर ली है। कानपुर की सीसामऊ सीट से इरफान विधायक थे। सजा के बाद उनकी विधायकी चली गई थी। उपचुनाव में इरफान की पत्नी ही यहां से विधायक चुनी गई थीं। इरफान सोलंकी पिछले 24 महीनों से महाराजगंज जेल में बंद हैं, जबकि अन्य आरोपी कानपुर जेल में हैं। हाईकोर्ट ने तीनों की जमानत अर्जी पर एक साथ सुनवाई की और दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद गत दो सितंबर को फैसला सुरक्षित कर लिया था। तीनों के खिलाफ कानपुर नगर के जाजमऊ थाने में गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है।

विधानसभा सदस्यता हो चुकी है रद्द

महराजगंज जिला कारागार में बंद पूर्व विधायक इरफान सोलंकी, उसके भाई रिजवान सोलंकी और इजराइल आटे वाला के खिलाफ कानपुर के जाजमऊ थाने में यह मुकदमा दिसंबर 2022 में दर्ज हुआ था। जमानत के समर्थन में कहा गया था कि इरफान सोलंकी के विरुद्ध राजनीतिक रंजिश के कारण मुकदमे दर्ज़ कराए गए हैं। तीनों अभियुक्तों को अन्य सभी मुकदमों में ज़मानत मिल चुकी है। ऐसे में गैंगस्टर एक्ट के मामले में भी जमानत मंजूर की जाए। कोर्ट ने तथ्यों पर विचार के बाद इरफान सोलंकी सहित तीनों आरोपियों की ज़मानत मंजूर कर ली है। ज्ञात हो कि इरफान सोलंकी को हाल ही में अन्य मामलों में भी जमानत मिल चुकी है। मार्च 2025 में रंगदारी के एक मामले में उन्हें और उनके भाई रिजवान सोलंकी को जमानत मिली थी। इसके अलावा 1 अक्टूबर 2024 को बांग्लादेशी नागरिक के फर्जी दस्तावेज बनाने में मदद करने के आरोप में उन्हें जमानत मिली है। इरफान सोलंकी को जाजमऊ की डिफेंस कॉलोनी में नजीर फातिमा के घर में आगजनी के मामले में कानपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 7 जून 2024 को सात साल की सजा सुनाई थी। इस सजा के कारण उनकी विधानसभा सदस्यता भी रद्द हो गई थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में 14 नवंबर 2024 को जमानत तो दी थी, लेकिन सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। जिसके चलते उनकी विधायकी बहाल नहीं हो सकी।

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