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High Court News: आगरा में कोठी मीना बाजार में शिवाजी महाराज स्मारक बनाने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका खारिज

आगरा में प्रस्तावित छत्रपति शिवाजी महाराज स्मारक के विरुद्ध दायर जनहित याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी है कि यह अप्रमाणिक सामग्री के आधार पर दायर की गई है। जिस जगह स्मारक प्रस्तावित है वहां वेंडर है, यह भी एक कारण हो सकता है।

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Abhishek Panday
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प्रयागराज, वाईबीएन विधि संवाददाता। आगरा में प्रस्तावित छत्रपति शिवाजी महाराज स्मारक के विरुद्ध दायर जनहित याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी है कि यह अप्रमाणिक सामग्री के आधार पर दायर की गई है। जिस जगह स्मारक प्रस्तावित है वहां वेंडर है, यह भी एक कारण हो सकता है। मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली तथा न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र ने आगरा सिविल सोसाइटी के सचिव अनिल शर्मा की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया है

अप्रमाणिक सामग्री के आधार पर व वेंडरों के लिए दायर याचिका अस्वीकार्य

याची का कहना था कि कोठी मीना बाजार में छत्रपति शिवाजी महाराज स्मारक तब तक नहीं बनाया जाए जब तक कि शिवाजी के इतिहास के संदर्भ में शोध समिति की रिपोर्ट पूरी न हो जाए। याची के अनुसार महाराष्ट्र सरकार ने कोठी मीना बाजार में स्मारक स्थापित करने का प्रस्ताव किया है जो इसलिए अनुचित है क्योंकि उक्त स्थल से शिवाजी महाराज से कोई संबंध नहीं है। सराय मालिकचंद शिवाजी महाराज से कुछ हद तक जुड़ा हुआ है, जहां ऐसा कोई स्मारक स्थापित किया जा सकता है। याचिका में यह भी मांग की गई थी कि शिवाजी महाराज से जुड़े स्थान की पहचान के लिए शोध समिति का गठन किया जाए। उसके अध्ययन के बाद ही स्मारक का निर्माण किया जाए। कोर्ट के पूछे जाने पर याची के वकील ने बताया कि कोठी मीना बाजार पर वर्तमान में वेंडरों की दुकानें संचालित हैं। याची ने प्रोफेसर सुगम आनंद के नोट के आधार पर यह याचिका दायर की थी जिसके बारे में कहा जाता है कि इसकी प्रामाणिकता और उत्पत्ति ज्ञात नहीं है। खंडपीठ ने कहा, अप्रमाणिक सामग्री के आधार पर जनहित याचिकाएं दायर करना और प्रतिवादियों से ऐसी कार्रवाई के संबंध में प्रश्न पूछना जो अभी प्रस्तावित है, स्वीकार नहीं किया जा सकता। संबंधित स्थान विक्रेताओं द्वारा अधिग्रहीत है यह भी याचिका दायर करने का एक कारण प्रतीत होता है। केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय के साथ ही पांच अन्य को प्रतिवादी बनाया गया था। इनमें महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, प्रमुख सचिव, पर्यटन एवं संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम, उप्र राज्य पुरातत्व विभाग तथा जिलाधिकारी शामिल थे।

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