Advertisment

High Court News: तथ्यात्मक विवाद की हाईकोर्ट नहीं कर सकता सुनवाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि रिट याचिका में विवादित तथ्यों का विचारण नहीं किया जा सकता। संविदात्मक विवादों में पक्षकार सिविल कोर्ट या मध्यस्थता अधिकरण में जा सकते हैं। याचिका अपवाद स्वरूप उसी दशा में समादेश जारी करने के लिए दाखिल की जा सकती है।

author-image
Abhishak Panday
high court

फाइल फोटो Photograph: (Social Media)

प्रयागराज, वाईबीएन संवाददाता।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि रिट याचिका में विवादित तथ्यों का विचारण नहीं किया जा सकता। संविदात्मक विवादों में पक्षकार सिविल कोर्ट या मध्यस्थता अधिकरण में जा सकते हैं। याचिका अपवाद स्वरूप उसी दशा में समादेश जारी करने के लिए दाखिल की जा सकती है जहां बकाया राशि स्वीकार की गई हो,और फिर भी भुगतान नहीं किया जा रहा हो। कोर्ट ने तथ्यात्मक विवाद को लेकर दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप से इंकार करते हुए खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया तथा न्यायमूर्ति विवेक सरन की खंडपीठ ने करमेश कुमार श्रीवास्तव प्रोपराइटर वीनस ट्रेडिंग कार्पोरेशन की याचिका पर दिया है।

याचिका खारिज

याची का कहना था कि 23 दिसंबर 11 को उसे कानपुर की मलिन बस्तियों मदारपुर व जन्ना ,रूमा में ओवर हेड टैंक, सीसी रोड, बीबर लाइन, बीबर चेंबर निर्माण का काम दिया गया। जिसका पूरा भुगतान नहीं किया गया, बकाया दिलाया जाय। विपक्षी निगम की तरफ से कहा गया कि काम का भुगतान किया जा चुका है। ऐसा कोई दस्तावेजी साक्ष्य नहीं दिया गया है कि जिससे पता चले कि कुछ बकाया रह गया है। यह भी तथ्य नहीं है कि विपक्षी ने बकाया भुगतान स्वीकार किया हो। इसपर कोर्ट ने कहा भुगतान बाकी है या हो चुका है, संविदागत विवादित तथ्यों का मसला है जिसे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर निपटारा नहीं किया जा सकता और याचिका खारिज कर दी।

यह भी पढ़ें: Crime News: भीड़ ने मोबाइल लूटेरे को रंगे हाथ पकड़ा, पिटाई की फिर सिर और आधी मूंछ मूंडवाकर छोड़ा

यह भी पढ़ें: High Court News: मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह विवाद पर सुनवाई सात नवंबर को

Advertisment

यह भी पढ़ें: Crime News: शादीशुदा महिला ने 19 साल के प्रेमी को घर बुलाया, विवाद के बाद प्रेमी का प्राइवेट पार्ट चबाया

Prayagraj News prayagraj
Advertisment
Advertisment