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चैत्र नवरात्र पर जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और विशेष योग
प्रयागराज, वाईबीएन संवाददाता। आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिप्रदा तिथि पर सोमवार 22 सितंबर यानी आज से मां भगवती की आराधना का पावन पर्व शारदीय नवरात्र आरंभ हो गया है। नवरात्र के पहले दिन श्रद्धालु गंगा-यमुना और संगम के पवित्र जल में स्नान कर घट (कलश) स्थापना करेंगे और मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना करेंगे। इस अवसर पर पूरा वातावरण मां की जयकारों से गुंजायमान रहेगा।
मां भगवती आएंगी हाथी पर, प्रस्थान नौका से
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस बार मां भगवती हाथी पर सवार होकर आ रही हैं, जो शुभ संकेत है। इससे देश में सुख-समृद्धि का वास होगा और कृषि क्षेत्र में विशेष उन्नति की संभावना मानी जा रही है। वहीं, मां का प्रस्थान नौका पर होगा, जो शांतिपूर्ण व कल्याणकारी फल प्रदान करने वाला माना जाता है।
इस बार नवरात्र रहेगा 10 दिनों का
ज्योतिर्विदों ने बताया कि सोमवार की सुबह 5:18 बजे से 7:65 बजे तक कन्या लग्न तथा सुबह 10:07 से 12:23 बजे तक वृश्चिक की स्थिर लग्न में घट स्थापना करना अत्यंत शुभकारी रहेगा। इस बार चतुर्थी तिथि की वृद्धि के कारण नवरात्र 9 दिनों की बजाए 10 दिनों का होगा, जिसे अत्यंत मंगलकारी माना गया है। नवरात्र का समापन 2 अक्टूबर को विजयादशमी के दिन होगा।
10 दिन भक्ति और साधना का महत्व
आचार्य मुनेश पाण्डेय ने बताया कि नवरात्र साधकों के लिए आत्मसंयम के साथ साधना का विशेष पर्व है। व्रती को निष्काम भाव से मां भगवती की आराधना करनी चाहिए। व्रत रखने वालों को क्रोध, मोह, लोभ, और अहंकार से दूर रहते हुए कन्याओं, मातापिता और ब्राह्मणों का सम्मान करना चाहिए तथा दीन-दुखियों की नि:स्वार्थ भाव से सेवा करनी चाहिए। इसी से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस बार महाष्टमी और महानवमी का व्रत एक साथ 30 सितंबर को मनाया जाएगा। दुर्गा पाठ और हवन का आयोजन 1 अक्टूबर की दोपहर तक चलेगा। वहीं पूर्ण नवरात्र का व्रत करने वाले भक्त 2 अक्टूबर को विजयादशमी के दिन पारण करेंगे और उसी दिन प्रतिमाओं का विसर्जन भी किया जाएगा।
प्रयागराज में होगी भक्ति की गूंज
नवरात्र के दौरान मंदिरों में विशेष सजावट होगी और देवी जागरण, दुर्गा सप्तशती पाठ व भजन संध्या का आयोजन होगा। संगम, अलोपी देवी मंदिर, कल्याणी देवी मंदिर, ललिता देवी मंदिर, मां मसुरियन मंदिर, मां शीतला मंदिर, संतोषी माता मंदिर सहित प्रमुख शक्तिपीठों पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ेगी।
महत्त्वपूर्ण तिथियां और अनुष्ठान
22 सितंबर (प्रतिपदा) – घट स्थापना, मां शैलपुत्री पूजन
25-26 सितंबर (चतुर्थी तिथि) – वृद्धि के कारण दो दिन रहेगी
27 सितंबर (पंचमी) – सूर्योदय तिथि के अनुसार मनाई जाएगी
29 सितंबर शाम 4:31 बजे से अष्टमी तिथि प्रारंभ
30 सितंबर (महाष्टमी व्रत एवं पूजन)
1 अक्टूबर (महानवमी व्रत व अनुष्ठान दोपहर 2:37 बजे तक)
2 अक्टूबर (विजयादशमी, कन्या पूजन, अपराजिता पूजन, शमी पूजन, हवन और प्रतिमा विसर्जन)
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