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Photograph: (इंटरनेट मीडिया)
रामपुर वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले का कस्बा टांडा अंतर्राष्ट्रीय सोना तस्करों का गढ़ बन चुका है। युवा कमाई के लालच में सोना तस्करी की ओर बढ़ रहे हैं। दुबई और सउदी अरब से जान जोखिम में डालकर यह सोने की तस्करी करते हैं। कुछ युवक अपने दम पर तस्करी कर रहे हैं तो कुछ युवाओं को टांडा के डाक्टर, उद्यमी या फिर पैसे वाले लोग फाइनेंस करके दुबई और सउदी अरब भेजते हैं और वहां से सोना मंगाकर भारत में महंगा बेच देते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल में करीब पांच सौ करोड़ रुपये का सालाना स्मगलिंग का यह काम अकेले टांडा से हो रहा है। लेकिन हमारा सरकारी तंत्र आंखें बंद किए बैठा है। इससे युवा गलत रास्ते पर जाकर कहीं न कहीं अपराध की दुनिया में जा रहे हैं।
रामपुर जनपद के टांडा से युवाओं को दुबई और सउद अरब भेजकर सोने की तस्करी कराई जा रही है। जानकार बताते हैं कि सालाना करीब पांच सौ करोड़ रुपये के सोने की तस्करी टांडा के जरिए होती है। कई युवा ऐसे हैं जोकि दुबई और सउदी अरब को महीने में पांच-पांच चक्कर लगाते हैं। टूरिस्ट वीजा से यह खेल हो रहा है। कहीं न कहीं मुंबई एयरपोर्ट और दिल्ली एयरपोर्ट पर भी इन तस्करों के तार जुड़े हुए हैं। पिछले दो साल के भीतर कई युवाओं को रामपुर और मुरादाबाद पुलिस ने पकड़ा है, इसके बाद इस तस्करी के रिकार्ड मिले हैं। युवा अपनी बाडी के भीतर सोना छुपाकर लाते हैं। पेट में कैपसूल निगल जाते हैं या फिर सर्जरी करके सोना छिपाकर लाया जाता है। इसनी बड़ी तस्करी के बाद भी अभी सरकार की ओर से इसे रोकने के लिए नीति या नियम सख्त नहीं किए गए हैं। ऐसे भी लोग हैं जोकि युवाओं को तस्कर के रूप में इस्तेमाल करते हैं। पैसा अपना लगाकर उन्हें दुबई और सउदी अरब भेजते हैं और सोने की तस्करी कराते हैं। पेट में सोने के कैपसूल फंसने से युवाओं की मौत भी हो चुकी है।
काली कमाई के कारण अपराध को मिल रहा बढ़ावा
कुछ इस सोने की तस्करी से होने वाली काली कमाई से बड़ी-बड़ी कोठियां बना रहे हैं। नैनीताल या फिर अन्य पर्यटक स्थलों पर होटल बनाकर खड़े कर चुके हैं। साथ ही अपराध की दुनिया में युवाओं को उतार रहे हैं। टांडा में अक्सर होने वाले विवादों में कहीं न कहीं सोना तस्करों का हाथ रहता है। कुछ नामी गिरामी डाक्टर और उद्यमी इस काम के लिए युवाओं को फाइनेंसर के रूप में काम करके फंसा रहे हैं। यह युवाओं को दुबई भेजने के लिए पैसा लगाते हैं, युवा वहां से सोना तस्करी करते हैं। सोना पहले बिस्कुट के रूप में आता था। अब कैपसूल के रूप में आ रहा है।
दुबई में सोने की कीमतें कम होना तस्करी का सबसे बड़ा कारण
दुबई में सोने की कीमतें भारत से कम हैं क्योंकि वहां निर्माण लागत कम है, आयात शुल्क नहीं लगता और टैक्स फ्री पॉलिसी लागू है. इतना ही नहीं दुबई में सोने पर मेकिंग चार्ज भी भारत के मुकाबले कम है. ऐसे में कुल मिलाकर दुबई का सोना भारत के सोने से लगभग 18 से 20 प्रतिशत सस्ता है। यही कारण है कि लोग दुबई से सोना खरीदना पसंद करते हैं। वहीं कुछ लोग दुबई से सोने की तस्करी भी करते हैं। दुबई का सोने में मिलावट नहीं होती और वह शुद्ध होता है। ऐसा वहां के कड़े नियमों के कारण है। खरा सोना मिलने के कारण भी तस्कर दुबई को सोने की खरीदारी के लिए चुनते हैं। दुबई के गोल्ड सूक में मोलभाव करने की सुविधा होती है, जिससे कीमत और कम हो जाती है. दुबई में विदेशी खरीदारों को वैट रिफंड की सुविधा मिलती है, जिससे उनको सोना खरीदना सस्ता पड़ता है।
पुरुष 20 तो महिलाएं 40 ग्राम सोना दुबई से भारत ला सकती हैं
पुरुष दुबई से केवल 20 ग्राम सोना खरीदकर भारत ला सकते हैं वहीं महिलाएं दुबई से 40 ग्राम सोना खरीदकर भारत ला सकती हैं। इसके अलावा अगर आप 6 महीने दुबई में रहकर भारत लौट रहे हैं, तो आप 1 किलो सोना कस्टम ड्यूटी फ्री ला सकते हैं। हालांकि, यह सोना आप सिक्के या बिस्किट के रूप में नहीं ला सकते हैं। यह आपको गहने के रूप में लाना होगा।
सोने की तस्करी से कितना होता है फायदा
भारत में इस समय सोने की कीमत करीब 99000 रुपये प्रति दस ग्राम चल रही है, जबकि दुबई में 24 कैरेट सोने की कीमत 82,000 प्रति 10 ग्राम है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि सोने की कीमत में रोज उतार चढ़ाव होता है। अगर कोई व्यक्ति कानूनी तरीके से दुबई से एक किलो सोना लाना चाहता है तो उसे भारत आने पर कस्टम ड्यूटी (12.5%) सोशल वेलफेयर चार्ज (1.25%) और जीएसटी (3%) चुकानी होती है। इस तरह दुबई से 82 लाख रुपये में खरीदे गए एक किलोग्राम सोने पर उसे करीब 14 लाख रुपये अतिरिक्त देने होते हैं। अगर दुबई से भारत में छिपते-छिपाते एक किलो सोना ले आता है तो उसके 14 लाख रुपये बच जाते हैं। यानी एक चक्कर में करीब 14 लाख रुपये तस्कर कमा लेते हैं।
सोने की तस्करी पर यह है सजा
भारत में सोने की तस्करी एक आपराधिक कृत्य है। इसे रोकने और प्रतिबंधित करने के लिए कई कानून भी बने हैं। सोने की तस्करी पर सीमा शुल्क अधिनियम, 1960, विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम (सीओएफईपीएसए), 1974, तस्कर और विदेशी मुद्रा हेरफेरकर्ता (संपत्ति जब्ती) अधिनियम (एसएफईएमए), 1976 और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के प्रावधानों के अनुसार आरोपी पर मुकदमा दर्ज हो सकता है. गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 15 (1) (iii-a) में तो सोने की तस्करी को ‘आतंकी कृत्य’ (Terrorist act) माना गया है। सीमा शुल्क अधिनियम 1962 के अनुसार, सोने की तस्करी करने पर अपराध की गंभीरता के आधार पर तीन से सात साल तक की कैद की सजा हो सकती है। इसके साथ ही भारी जुर्माना लगाया जा सकता है जो तस्करी किए गए सोने के मूल्य से तीन गुना अधिक हो सकता है। पकड़ा गया सोना भी जब्त कर लिया जाता है। गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 16 के अनुसार, सोना तस्कर को पांच साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
पहले मिलक फिर 23 मई को मूंढापांडे पुलिस कर चुकी है कार्रवाई
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रामपुर पुलिस टांडा के तस्करों पर पहले मिलक में कार्रवाई कर चुकी है। अब 23 मई को मूंढापांडे पुलिस ने कार्रवाई की है। 23 मई की दोपहर करीब दो बजे रामपुर के टांडा निवासी मो. नावेद और जाहिद और शाने आलम, मुत्तलीब, अजहरुद्दीन जुल्फ़ेकार अली को मुरादाबाद दिल्ली हाईवे पर पुराने टोल के पास कार सवारों ने अगवा कर लिया था। घटना के समय मो. नावेद और जाहिद सऊदी अरब से और बाकी चारों दुबई से घर लौट रहे थे। यह सभी लोग दिल्ली से एक ही कार में टांडा के लिए सवार हुए थे। इसकी जानकारी मिलने पर पुलिस ने मूंढापांडे क्षेत्र में सभी को बदमाशों से छुड़ा लिया था। पूछताछ में पता चला कि दुबई से लौट रहे सभी लोगों के पेट में सोने के कैप्सूल हैं। पुलिस ने इन्हें अस्पताल में भर्ती कराकर सोने के कैप्सूल निकलवाए थे। इसके बाद पुलिस ने चारों को गिरफ्तार कर पूछताछ की, तब पता चला है कि यह लोग रामपुर के टांडा थाना क्षेत्र के हाजीपुरा निवासी फाइनेंसर जाहिद मेंबर, टांडा के मोहल्ला पड़ाव निवासी मो. रिजवान, टांडा के आजाद नगर निवासी मो. हारुन, हाजीपुरा निवासी हाजी शरीफ, टांडा के मोहल्ला मस्जिद खाम निवासी हाजी अनीस, हाजीपुरा निवासी जुनैद, मोहल्ला रांड निवासी वसीम, नज्जूपुरा निवासी गुड्डू, टांडा निवासी कदीर उर्फ़ पप्पू के लिए काम करते हैं। इस मामले में पुलिस ने फाइनेंसर जाहिद मेंबर को गिरफ्तार कर लिया लेकिन बाकी फाइनेंसर अब तक पुलिस के हाथ नहीं आए है। सूत्रों का दावा है कि सभी आरोपी टांडा में ही घूम रहे हैं लेकिन पुलिस इनकी गिरफ्तारी को दबिश नहीं दे रही है।
(टांडा में सोना तस्करी पर कई और बड़े खुलासे - पढ़ते रहिए यंग भारत न्यूज पर https://youngbharatnews.com/rampur)
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