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रजा लाइब्रेरी परिसर में योग करते साधक। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
रामपुर, वाईबीएन नेटवर्क। अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर रामपुर रजा पुस्तकालय योगोत्सव मना रहा है। योगः कर्मसु कौशलम् द्वारा अंहिसा व विश्व शान्ति का सन्देश राष्ट्रीय महत्व के इस स्वायत्त संस्थान ने दिया। 250 साल पुराने किले की प्राचीर के भीतर योग शिविर में यद संदेश गूंजा। 120 साल पुरानी हामिद मंजिल भी इसकी गवाह बनी।
योग दिवस पर प्रातः 5:30 बजे से योगाभ्यास कर आमजन का आगमन पुस्तकालय प्रांगण में हुआ, जिसमें एक हजार से अधिक की संख्या में स्थानीय नागरिक, विद्यार्थी, शिक्षकगण एवं योग साधक उपस्थित हुए। सामूहिक योगाभ्यास का नेतृत्व आर्ट ऑफ लिविंग की प्रशिक्षित योगिका मीनाक्षी गुप्ता एवं योगाभ्यास का प्रदर्शन अंतरा यादव, समन्वयक, इंडियन योग ऐसोसिएशन ने किया। कार्यक्रम में सभी प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक विभिन्न योगासन, प्राणायाम एवं ध्यान क्रियाओं का अभ्यास किया।
योग का मार्ग हमारे जीवन में उतरता है, तो उससे न केवल हमारा व्यक्तिगत कल्याण
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निदेशक डॉ पुष्कर मिश्र ने अपने सम्बोधन में कहा कि रामपुर रज़ा पुस्तकालय के इस प्रांगण में आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर रामपुर के निवासियों द्वारा जो यह एकत्रीकरण हुआ है, उसमें उपस्थित सभी रामपुरवासियों का मैं हृदय से स्वागत करता हूँ। आज के इस विशेष दिन पर, हम सब यहाँ एक भाव से संपूर्ण पृथ्वी के लिए यह संदेश देना चाहते हैं कि यदि योग का मार्ग हमारे जीवन में उतरता है, तो उससे न केवल हमारा व्यक्तिगत कल्याण होता है, न केवल हमारे परिवार, पड़ोस, गाँव, नगर, जनपद या देश का लाभ होता है, बल्कि सम्पूर्ण विश्व का चित्त भी निर्मल होता है। हम सभी जानते हैं कि आज पृथ्वी के कई भागों में युद्ध की विभीषिका व्याप्त है, जिसके कारण मानवता कराह रही है। यह संकट किसी एक स्थान तक सीमित नहीं है, बल्कि पृथ्वी के विभिन्न भू-भागों में इस त्रासदी को देखा जा सकता है। निश्चित रूप से हम भौगोलिक रूप से इन स्थानों से बहुत दूर हैं. और संभवतः इसका प्रत्यक्ष प्रभाव हम पर नहीं पड़ रहा है, लेकिन हम सहज ही कल्पना कर सकते हैं कि जहाँ यह युद्ध चल रहा है, वहाँ की माताओं, बच्चों, परिवारों और समस्त नागरिकों के मन पर कितना गहरा प्रभाव पड़ रहा होगा। योग केवल एक शारीरिक अभ्यास नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा माध्यम है, जिसके द्वारा हम वैश्विक शांति और मानवीय संवेदनाओं के प्रसार में योगदान दे सकते हैं। इक्कीसवीं सदी के पच्चीस वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन पृथ्वी अभी तक युद्धों से मुक्त नहीं हो पाई है। आने वाले समय में यह मानवता के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। यदि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित, सुखद, समृद्ध और शांतिपूर्ण भविष्य नहीं दे सकते, तो निस्संदेह इसका अर्थ है कि कहीं न कहीं हमारे भीतर, हमारे अपने कर्मों और सोच में कोई गहरी कमी रह गई है। ऐसा न हो पाना हमारे तप और साधना में किसी बड़ी त्रुटि का प्रतीक है। इसलिए, रामपुर रज़ा पुस्तकालय में आज इस योगोत्सव के अंतर्गत, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर, हम सब जो यहां एकत्र हुए हैं, अपने इस आयोजन को योग से शांति के मार्ग के लिए समर्पित करते हैं।
योग हमें शांति का मार्ग सिखाता हैः मिश्र
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कहा कि यहां हमारे मन में, हमारी प्रार्थनाओं में, हमारे योगाभ्यास में एक ही भावना अंतर्निहित है कि विश्व के वे सभी भू-भाग जो युद्ध की विभीषिका से जूझ रहे हैं, वहाँ के राष्ट्राध्यक्षों और जन-जन को सद्बुद्धि प्राप्त हो, और इस युद्ध की विभीषिका के संत्रास से मानवता मुक्त हो। योग हमें शांति का मार्ग सिखाता है। योग में जो यम और नियम हैं, यदि हम उन्हें ठीक प्रकार से अपने आचरण, व्यवहार और विचारों में उतार लें, तो फिर हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं रह जाता-चाहे वह मानसिक हिंसा हो, वाचिक (वाणी से की गई) हिंसा हो, या कर्म से की गई हिंसा हो। भारत के मनीषियों ने कहा है, 'अहिंसा परमो धर्मः। रामपुर रज़ा पुस्तकालय सम्पूर्ण विश्व को अहिंसा के मार्ग पर चलने का संदेश दे रहा है। योग का अर्थ है "जोड़ना"-एक-दूसरे से जुड़ना। यही योग है। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि जिन्हें अष्टांग योग कहा जाता है, इसके अलावा क्रिया योग, हठ योग, लय योग, नाद योग जैसे कई प्रकार के योग भी हैं। इन सभी योगों में एक बात अंतर्निहित है-यह कि हम अपने भीतर समष्टि (समग्रता) को जोड़ने का अभ्यास करते हैं।
रजा लाइब्रेरी परिसर में मौजूद रहे कई संस्थानों के योग साधक
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कहा कि और जिस दिन यह अभ्यास हमारा सिद्ध हो जाता है, उस दिन अखिल जगत हमारा हो जाता है-हर मनुष्य, हर जीव हमारा हो जाता है। फिर इस मनःस्थिति में न हिंसा का कोई स्थान रह जाता है, न भेदभाव का, और न ही घृणा का। तब मनुष्य अपने हाथों में न पत्थर उठाता है, न बंदूकें, न मिसाइलें वह किसी को मारने का कोई उपक्रम नहीं करता। वह अपने स्वयं के परिष्कार के साथ-साथ दूसरों के परिष्कार में भी योगदान करते हुए उत्कर्ष की ओर बढ़ता है। मैं इसी आह्वान और इसी कामना के साथ रामपुर रज़ा पुस्तकालय के योगोत्सव को विश्व शांति एवं युद्ध की समाप्ति के लिए समर्पित करता हूँ।
योगाभ्यास कार्यक्रम के सफल आयोजन में केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (रामपुर रज़ा पुस्तकालय इकाई), दयावती मोदी एकेडमी रामपुर, आर्ट ऑफ लिविंग, इंडियन योग एसोसिएशन, राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामपुर, राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामपुर, सौलत पब्लिक लाइब्रेरी रामपुर, रेडिको खेतान रामपुर, रामचन्द्र मिशन (रामपुर शाखा) तथा वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन ऑफ रिलिजन एंड नॉलेज रामपुर इत्यादि निम्नलिखित संस्थाओं का सहयोग उल्लेखनीय रहा। योगाभ्यास के पश्चात् निदेशक डॉ पुष्कर मिश्र द्वारा पुस्तकालय परिसर में उपस्थित अतिथियों भरत भूषण गुप्ता, इन्द्रपाल सिंह, जनरल मैनेजर रेडिको खेतान, डॉ अनूप सिंह, उपाध्यक्ष, जिला योगासन खेल संघ, रमेश कुमार जैन इत्यादि के साथ वृक्षारोपण किया गया।
निबंध में दयावती मोती स्कूल, प्रश्नोत्तरी में सेंट पाल के बच्चे प्रथम
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इस अवसर पर दिनांक 20 जून 2025 को रामपुर रजा पुस्तकालय एवं संग्रहालय द्वारा आयोजित निबन्ध एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के पुरस्कार निदेशक डॉ. पुष्कर मिश्र द्वारा वितरित किये गये। निबन्ध प्रतियोगिता के लिए प्रथम पुरस्कार दयावती मोदी एकेडमी रामपुर की मिस खुशी चौरासिया, द्वितीय पुरस्कार सेंट पॉल स्कूल, रामपुर की मिस जिया कटारिया एवं तृतीय पुरस्कार सेंट मैरी सीनियर सेकेण्डरी स्कूल, रामपुर की मिस कनिष्का चौहान और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के लिए सेंट पॉल स्कूल, रामपुर को प्रथम पुरस्कार, दयावती मोदी एकेडमी, रामपुर को द्वितीय पुरस्कार एवं सेंट मैरी सीनियर सेकेण्डरी स्कूल, रामपुर को तृतीय पुरस्कार एवं सांत्वना पुरस्कार जिला योगासन खेल संघ, मुरादाबाद को प्राप्त हुआ।
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