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जन्मदिन विशेष : छायावाद की स्वर कोकिला महादेवी वर्मा ,संवेदना और करुणा की सजीव प्रतिमा

महादेवी वर्मा छायावाद युग की प्रमुख कवयित्री थीं। उनकी रचनाएँ स्त्री वेदना और समाज सुधार को दर्शाती हैं। उन्हें ज्ञानपीठ, पद्म भूषण व पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

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Anurag Mishra
महादेवी वर्मा

कवियत्री महादेवी वर्मा Photograph: (ybn network )

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छायावाद की स्वर कोकिला महादेवी वर्मा का जन्मदिन आज

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शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता 

हिन्दी साहित्य के छायावादी युग की प्रमुख स्तम्भ और भावनाओं की अमर स्वर महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 को फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था। महादेवी वर्मा ने हिन्दी काव्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी कविताओं में करुणा, संवेदना और आत्मा की गहराइयों को व्यक्त करने की अद्भुत क्षमता थी, जिसने उन्हें हिन्दी साहित्य के इतिहास में अमर बना दिया।
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महादेवी वर्मा का साहित्यिक योगदान

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महादेवी वर्मा की प्रमुख कृतियों में नीहार, रश्मि, नीरजा और संध्यागीत जैसी कविताएँ शामिल हैं, जो उनके भावनात्मक गहनता और स्त्री वेदना की उत्कृष्ट अभिव्यक्ति हैं। इसके अलावा, उन्होंने स्मृति की रेखाएँ और अतीत के चलचित्र जैसी गद्य रचनाओं में समाज की वास्तविकता को मार्मिक रूप से चित्रित किया। उनकी रचनाएँ न केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि सामाजिक चेतना जागृत करने का कार्य भी करती हैं।

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नारी स्वतंत्रता और समाज सुधार में भूमिका

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महादेवी वर्मा केवल कवयित्री ही नहीं, बल्कि नारी जागरण और सामाजिक सुधार की भी प्रबल समर्थक थीं। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और आत्मनिर्भरता पर विशेष जोर दिया। वे इलाहाबाद महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्या भी रहीं और महिलाओं को शिक्षा से जोड़ने में अहम योगदान दिया। उनकी कविताओं में स्त्री जीवन की पीड़ा और संघर्ष को प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया गया है।

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साहित्य जगत में महादेवी वर्मा का सम्मान

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महादेवी वर्मा को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया। उन्हें 1982 में ज्ञानपीठ पुरस्कार, 1956 में पद्म भूषण और 1988 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। वे भारतीय साहित्य में ऐसी अमिट छवि छोड़ गईं, जो हर युग में पाठकों को प्रेरित करती रहेगी। महादेवी वर्मा का नाम हिन्दी साहित्य में सदा अमर रहेगा।

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