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अटल बिहारी वाजपेयी सभागार में आयोजित समारोह में उपस्थित लोग Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क )
शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता:
इंटरनेट मीडिया यानी सोशल मीडिया का अनुचित प्रयोग युवाओं को उनकी सकारात्मक सोच से भ्रमित कर अनैतिक दिशा की ओर ले जा रहा है। कॉमेडी, मनोरंजन और आधुनिकता के झूठ दंम्भ के पॉश में जकड़ कर विनाश के गर्त कर धकेल रहा है। इसे समाज का बड़ा वर्ग अस्वीकार कर रहा है और उनमें आयोजकों के प्रति नाराजगी भी है।
यंग भारत न्यूज़ संवाददाता ने कामेडी या फूहड़ता विषय पर युवाओं से बात की तो उनका कहना था सोशल मीडिया पर जो अश्लीलता फैलाने का काम कर रहे है, उनके यूट्यूब, इस्टाग्राम समेत इंटरनेट मीडिया क संबंधित एप ब्लॉक करने चाहिए। उनपर कठोर कार्यवाही कर जेल भी भेजना चाहिए। सभी का मत था कि, आज के समय में सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे आपत्तिजनक वीडियो समाज में गंदगी फैला रहे है। छात्रों ने बीते दौर में टीवी पर प्रसारित नाटक, परिवारिक सीरियल होते थे आज के दौर में ऐसे सीरियल नही हैं, जो हम अपने परिवार के साथ नही देख सकें, आज की आधुनिक पीढ़ी डार्क कॉमेडी जैसे शो से चरित्र को दूषित कर रही है। यही नहीं तेजी से वासना के गहरे गर्त में गिरते जा रहे है, यह हमारे समाज के लिए अत्याधिक दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है इसे तत्काल प्रभाव से रोककर स्वस्थ मनोरंजन परोसना चाहिए।
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सरकार को करनी चाहिए अश्लीलता पर कार्रवाई
आज के समय में जो हम सोशल मीडिया पर जो भी कार्यक्रम आते हैं या उसको हम देखते हैं, तो बहुत ही ज्यादा अफसोस होता है। पहले के दौर में जो हम नाटक, परिवारिक सीरियल होते थे आज के दौर में ऐसे सीरियल नही हैं। सबसे ज्यादा खराब बात अश्लीलता की है। ऐसे वीडियो और तस्वीरें होती हैं जो हम अपने परिवार के साथ नही देख सकते हैं। सरकार को इस दिशा में कड़े कदम उठाने चाहिए।
जाहिद आलम- छात्र
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कामेडी क नम पर अश्लीलता परोसने वालों पर हो कड़ी कार्रवाई
कॉमेडी के नाम पर अश्लीलता परोसना आधुनिक पीढ़ी को फूहड़ बना रहा है। विद्यार्थी वर्ग चरित्र को मूल्यवान ना समझकर हंसी, मजाक समझते हुए वासना के गहरे गर्त में गिर जाते है। फिर कैरियर चौपट होने पर आत्महत्या करते है। यह हमारे समाज के लिए अत्याधिक दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है। इसे तत्काल प्रभाव से रोककर स्वस्थ मनोरंजन परोसना चाहिए।
अनुदित मिश्रा- छात्र
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वैचारिक प्रदूषण फैला रहे कॉमेड़ी के नाम पर
सोशल मीडिया पर चलने वाले अश्लील कॉमेडी वीडियो से वैचारिक प्रदूषण फैल रहा है । इससे किशोर वर्ग के छात्र-छात्राओं में गलत संदेश जा रहा है। सरकार को इस पर सख्ती से रोक लगाकर छात्र-छात्राओं के भविष्य को सुरक्षित बनाना चाहिए।
-अलीम अंसारी छात्रा एमएससी
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विनाश के गर्त में धकेल रही वर्तमान कॉमेड़ी
सोशल मीडिया पर जो सामग्री परोसी जा रही है, वह हमारी युवा पीढ़ी को विनाश के गर्त में धकेल रही है। समय रहते अगर सरकार ने सख्त कदम न उठाया तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी। मनोरंजन प्रेरणाप्रद हो न की गलत दिशा में ले जाने वाला।
इरशाद अहमद- संचालक पैथोलॉजी लैब
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आधार कार्ड से लिंक हो सोशल मीडिया की आईडी
सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक, असंसदीय और अश्लील सामग्री पर रोक लगाने के लिए सरकार को प्रत्येक आईडी को आधार कार्ड लिंक कर देना चाहिए, ताकि फर्जी आईडी से रोक लग सके। और वैचारिक प्रदूषण फैला रही साइट की पहचान की जा सके।
-डॉ. शुभा मिश्रा -क्लीनिक सिटी पार्क कॉलोनी शाहजहांपुर
रिश्तों की पवित्रता प्रभावित कर रही वर्तमान कॉमेड़ी
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इंटरनेट पर अश्लील सामग्री दिनों रात परोसी जाती है और उसके दुष्परिणाम भी मिल रहे हैं और इस तरह से अगर ये बढती रही तो वास्तव में हर रिश्ते में पवित्रता खत्म हो जाएगी, इस के लिए हमारे देश की सरकार को भी कड़ा कदम उठाने की आवश्यकता है और हमे भी, अगर अभी चुप रहे तो आगे और भी भयानक परिणाम मिलेगें तब तो अश्लील डांस करने वाले स्वयं ही रोक लगाने की मांग करेंगे और रोक लगेगी
हुमा- छात्रा
महिलाओं की निजी समस्याओं का मजाक चिंताजनक
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काॅमेडी के नाम पर महिलाओं की निजी समस्याओं का मज़ाक़ बनाकर अश्लीलता फैलाना बेहद चिंताजनक विषय है। इससे समाज में संकुचित विचारों का प्रवाह होता है जो महिलाओं को असुरक्षा की भावना पैदा करने का माध्यम बनता है।
-नैंसी मौर्य
वर्तमान कॉमेड़ी से गलत दिशा में जा रही युवा पीढ़ी
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पानी जब सर से ऊपर हो जाता है, तब ही भारतीय जागते है। कॉमेडी के नाम पे ये लोग भारतीय संस्कृति, नैतिक शिक्षा, आदर, सम्मान,मर्यादा जैसी चीजें का गला घोट रहे है । समाज को इन सभी अराजक तत्वों को लेकर पूर्णरूप से विरोध करना पड़ेगा। इससे आने वाली पीढ़ी के लिए में बहुत ग़लत प्रभाव पड़ रहा है।
-मो० आकिब सिद्दीकी
कॉमेड़ी की अश्लीलता बेहद हानिकर
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काॅमेडी के माध्यम से परोसी जा रही अश्लीलता समाजिक नैतिकता, संस्कृति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ह्रास व दुरुपयोग है । हो सकता है यह वयस्को के लिए मनोरंजन का विषय हो लेकिन बच्चों के मानसिक विकास के लिए हानिकारक है।
-अनुराग यादव, छात्र प्रतिनिधि।यह बी पढ़ें
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सोशल मीडिया की बने नियमावली
सोशल मीडिया पर वर्तमान में अश्लील वीडियो की भरमार है। किशोर वर्ग के बच्चों में भटकाव की स्थिति के लिए सोशल मीडिया बहुत हद तक जिम्मेदार है। इस पर रोक लगाकर ही बच्चों के भविष्य को सुरक्षित किया जा सकता है। सरकार को पहल करके सोशल मीडिया पर नियमावली बनाकर समाज को बचाना होगा।
-इकबाल हुसैन उर्फ फूल मियां- प्रधानाचार्य नुरुल हुदा मदरसा
हास्य व्यंग्य के नाम पर फूहड़ता परोसना चिंताजनक
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हरिशंकर परसाई और शरद जोशी के देश में यदि व्यंग के नाम पर फूहड़ता परोसी जा रही हो तो यह चिंताजनक है, रोज की जिंदगी की समस्याओं में हास्य को तलाशना ही एक व्यंग्यकार का मौलिक काम है और यदि वह यह भी नहीं कर पा रहा तो वह एक सच्चा व्यंग्यकार नहीं है। टीवी और इंटरनेट प्लेटफार्म पर यदि ऐसी अश्लील चीजें बढ़ेंगी तो इसका बच्चों पर क्या असर पड़ेगा यह हमें समझना होगा।
डॉ. स्वप्निल यादव, एसोसिएट प्रोफेसर- जीएफ कॉलेज
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