देशः यूरिया के साथ अब glucose और विमानन fuel भी बनाएगा KFL, किसान होंगे खुशहाल, युवाओं को मिलेंगे रोजगार के अवसर
फसलें लहलहाने के लिए यूरिया खाद बनाने वाली देश की बड़ी कंपनी कृभको फर्टिलाइजर्स अब बहुत जल्द ग्लूकोज भी तैयार करेगी। इसके अलावा अपशिष्ट पदार्थों से सीबीजी तैयार करेगी। साथ ही इंडियन आयल के साथ मिलकर एबिएशन फ्यूल बनाने के प्रोजेक्ट पर काम कर रही है।
किसानों के लिए यूरिया बनाने वाली देश की बड़ी कंपनी कृभको फर्टिलाइजर्स लिमिटेड बहुत जल्द मक्का के स्टार्च से ग्लूकोज तैयार करेगी। इसके साथ ही कंप्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) भी बनाएगी। इसके साथ ही इंडियन आयल कारपोरेशन के साथ मिलकर एबिएशन फ्यूल (विमानन ईंधन) भी बनाएगी। कई नए प्रयोग करके पिछले पांच वर्ष में 380 करोड़ का घाटा पूरा करके कंपनी 480 करोड़ के मुनाफे में है और अब बड़े विस्तार की परियोजनाओं को पर काम कर रही है। कृभको फर्टिलाइजर्स लिमिटेड के कुशल प्रबंधन और टीम भावना में काम करने की योजना से यह संभव हो सका। इस विस्तार से जहां किसान खुशहाल होंगे वहीं युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
कृभको फर्टिलाइजर्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक रवि कुमार चोपड़ा ने 2016 में जब कृभको की कमान संभाली तो यूनिटों की हालत बेहद खराब थी। कोराना काल में तो कृभको के सामने कई तरह के संकट आए। यहां तक कि कंपनी को चलाने के लिए बैंकों ने लोन देना तक बंद कर दिया था। कर्मचारियों को वेतन देने की स्थिति भी नहीं बची थी। लेकिन प्रबंध निदेशक रवि कुमार चोपड़ा ने कृभको को फिर से खड़ा करने के लिए कई दृढ़ फैसले लिए और एक बार फिर आज कृभको देश की बड़ी कंपनी के रूप में खड़ी है। कृभको पर्यावरण संरक्षण, जलसंरक्षण और उर्जा बचत के साथ कंपनी को लाभ में लाने के लिए राष्ट्रपति के द्वारा प्रबंध निदेशक रवि चोपड़ा को राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। कृभको को कम समय में ऊंचाइयों के शिखर पर पहुंचाने वाले प्रबंध निदेशक रवि कुमार चोपड़ा ने यंग भारत न्यूज की टीम को कंपनी के विस्तार की योजनाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कृभको को विस्तार के लिए अब मक्का के दाने से स्टार्च तैयार करके ग्लूकोज बनाने पर काम किया जा रहा है। कृभको इस ग्लूकोज को मार्केट में बेचेगी। वहीं बहुत जल्द सीबीजी (कंप्रेस्ड बायो गैस) प्लांट लगाने जा रही है। इसके लिए इंडियन आयल ने हमारे साथ मिलकर काम करने के लिए एप्रोच किया है। हम मंडियों का अपशिष्ट पदार्थ लेकर मीथेन गैस बनाएंगे। जो सीबीजी बनेगी उसे पेट्रोल पंपों के माध्यम से बेचा जाएगा। भारत में नेचुरल गैस की कमी है। जितना अपशिष्ट प्रतिदिन मिलेगा उससे नेचुरल गैस बनाएंगे। कार्वन डाईआक्साइड की भी कमी पूरी करेंगे। बोर्ड बैठक के बाद इथेनाल भी इंडियन आयल के साथ मिलकर बनाएंगे। यह इथेनाल अब पेट्रोल में 25 प्रतिशत तक मिलाने की तैयारी है। इसी से एबिएशन फ्यूल बनाया जाएगा। इस प्रक्रिया में हमें बड़ी मात्रा में कंपोस्ट खाद भी मिलेगी जिसे किसानों को दिया जाएगा। कृभको के विस्तार से जहां किसानों में खुशहाली आएगी वहीं, युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।
380 करोड़ का घाटा पूरा कर कंपनी को पहुंचाया 480 करोड़ के मुनाफे में
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राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से सम्मानित होते कृभको फर्टिलाइजर्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक रवि कुमार चोपड़ा। Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
प्रबंध निदेशक रवि कुमार चोपड़ा कहते हैं कि 2006 में कंपनी का 10 करोड़ बजट था जोकि अब 106 करोड़ हो चुका है। पहले 20-22 करोड़ रुपये सालाना का खर्च फैक्ट्री से रोजा मालगोदाम तक खाद की ट्रकों से ढुलाई में खर्च होता था। 2019 में बंथरा से फैक्ट्री तक रेलवे साइडिंग बनाने से इस खर्चे को कम किया। उर्जा खपत को कम किया गया। कृभको ने जलसंरक्षण की दिशा में बड़ा काम किया है। अपशिष्ट पानी की रीसाइकिलिंग कर 4.9 टन पानी की खपत की जा रही है, पहले 5.8 टन पानी की खपत होती थी। तीन गांवों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए हैं। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर प्रतिदिन 1000 लीटर पानी रीसाइकिल करके प्रयोग में लिया जा रहा है। आरओ प्लांट लगाकर 2000 हजार लीटर पानी और उपयोग में लिया जाएगा। प्लांट साल में 335 दिन चलाने के लिए उर्जा खपत कम करने का काम किया गया है। सोलर इनर्जी को बढ़ावा दिया गया है। सोलर इनर्जी के इस्तेमाल से प्लांट में उर्जा खपत को कम किया गया है। इन दिनों प्रतिदिन 3250 मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन हो रहा है।
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कैसे होंगे किसान खुशहाल और युवाओं को इस तरह मिलेगा रोजगार
कृभको प्रबंध निदेशक का कहना है कि जलसंरक्षण की दिशा में कार्य चल रहा है। इलाके में धान की खेती अधिक होती है। धान पानी अधिक सोखते हैं। हम मक्का से स्टार्च निकालेंगे। किसानों को धान की फसल करने के बजाए मक्का की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। मक्का करने से किसान का मुनाफा भी अधिक होगा। किसान से मक्का खरीदकर स्टार्च बनाने के उपयोग में लेंगे। पहले अमोनियम वाय कार्वोनेट बनाई। इससे डिस्टरी से निकलने वाली कार्वन डाइआक्साइड को खरीदकर हमने वायुमंडल को प्रदूषित होने से बचाया। सीबीजी प्लांट लगाने और स्टार्च से ग्लूकोज तैयार करने, एबिएशन फ्यूल तैयार करने के प्लांट में काम करने के लिए रोजगार अवसर मिलेंगे। इससे तकनीकी में दक्ष युवाओं को तो अवसर मिलेंगे ही, श्रमिक वर्ग की भी जरूरतेंं पूरी होंगी। जहां सैंकड़ों लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिलेगा वहीं इन प्रोडक्ट के माध्यम से भी अन्य लोगों को रोजगार के साधन मिलेंगे।
एक किलो यूरिया की लागत 40 रुपये, किसान को बिकता है 6 रुपये किलो
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यूरिया बनाने में फैक्ट्री में लागत 40 रुपये प्रति किलो आती है। लेकिन किसान को 6 रुपये प्रति किलो बेची जाती है। बचे हुए 34 रुपये का भुगतान सरकार फैक्ट्री को वापस करती है। कृभको किसानों की खुशहाली और युवाओं को रोजगार देने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है। आने वाले दिनों में इसका फायदा सबसे ज्यादा किसानों और युवा बेरोजगारों को मिलेगा।