Exclusive news: शाहजहांपुर की आबादी 40 लाख, दूध उत्पादन 8 लाख, खपत 10 लाख, तो क्या दो लाख लीटर नकली दूध डकार रहे हम
शाहजहांपुर की 40 लाख आबादी के मुकाबले दूध उत्पादन सिर्फ 8 लाख लीटर प्रतिदिन है, जबकि खपत 10 लाख लीटर से अधिक। जिले में 465 डेयरियां हैं, जिनमें 100 बड़ी डेयरियां शामिल हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि हम लोग दो लाख लीटर नकली दूध पी रहे हैं।
शाहजहांपुर में सुबह-सुबह जब दूध की बाल्टियां खनकती हैं, तो एक बड़ा सवाल छिपा होता है क्या यह दूध शुद्ध है? विश्व दुग्ध दिवस पर शाहजहांपुर में दूध की स्थिति को लेकर आंकड़े और जमीनी हकीकत चौंकाने वाली तस्वीर पेश करते हैं। जिले की आबादी 40 लाख है खपत प्रतिदिन 10 लाख लीटर से अधिक, जबकि उत्पादन सिर्फ 8 लाख लीटर। आपूर्ति और मांग के इस फासले को यानी दो लाख लीटर दूध को कैसे और कौन पूरा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि नकली दूध के कारोबारी इसी अंतर को पूरा करने के लिए नकली दूध तैयार करके बेच रहे हैं।
नगर क्षेत्र में कुल 465 डेयरियां पंजीकृत हैं। इनमें से करीब 100 डेयरियां बड़ी स्तर की हैं, जिनके पास 200 के आसपास भैंसें हैं। ये डेयरियां दूध को थोक में मिठाई की दुकानों शीतगृहों और होटलों तक पहुंचाती हैं। लेकिन इतने बड़े नेटवर्क के बावजूद भी दूध की कुल आपूर्ति खपत से पीछे है।
Photograph: (वाईबीएन न्यूज )
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साढ़े छह लाख पशु में 1 लाख दुधारू
जिला पशु चिकित्साधिकारी डॉ. राजेंद्र प्रसाद बताते हैं कि दूध संपूर्ण आहार है जिसमें प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन-डी समेत अनेक पोषक तत्व पाए जाते हैं। बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं के लिए यह अत्यंत लाभकारी है। उन्होंने बताया कि जिले में प्रतिदिन औसतन 8 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है,जिसमें से एक बड़ा हिस्सा डेयरी सहकारी समितियों के माध्यम से बाजार तक पहुंचता है।
डॉ राजेंद्र ने बताया जिले में
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1,07,256 गायें
4,27,960 भैंसें
1,22,924 बकरियां
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और 13,827 भेड़ें हैं।
इनमें से करीब 1 लाख पशु दुधारू हैं।
वो कहते हैं गर्मी में उत्पादन थोड़ा घटता है, लेकिन सही आहार और देखभाल से इसे संतुलित रखा जाता है। हमारे विभाग की टीमें लगातार पशुपालकों को मार्गदर्शन देती हैं।इनमें से केवल 20% ही दुधारू हैं यानी लगभग, जबकि 33% बांझ हैं। दूध जिले से बाहर भी जाता है और कुछ बाहर से आता भी है।
Photograph: (वाईबीएन न्यूज )
डेयरी संचालकों की कहानी – मेहनत, खर्च और चुनौतियां
सुबह के चार बजे हैं। शाहजहांपुर के एक मोहल्ले में सुनील यादव की डेयरी में हलचल शुरू हो चुकी है। भैंसों को चारा डाला जा चुका है, बाल्टी में दूध की पहली धार गिरती है और इसी के साथ शहर की पहली सांस चल पड़ती है। सुनील यादव कहते हैं मेरे पास 12 भैंसें हैं जिनसे प्रतिदिन 60 लीटर दूध मिलता है। हर एक दिन में 5–6 लीटर दूध देती है। यही दूध शहर की मिठाई की दुकानों तक जाता है, घर-घर पहुंचता है और हमारी रोज़ी-रोटी बनाता है।
हर मौसम, हर मोड़ पर एक नई चुनौती
डेयरी संचालकों ने बताया सर्दी में भैंसों को गुड़, तेल और गर्म चीजें दी जाती हैं, जबकि गर्मी में उन्हें ठंडा रखने के लिए चीनी और हरा चारा दिया जाता है। जो जैसा दूध देता है उसी हिसाब से हम भी देखभाल करते हैं
नोटबंदी, महामारी के बाद डेयरियों ने दी सहारा
2016 की नोटबंदी हो या 2020 का कोविड लॉकडाउन शाहजहांपुर की कई डेयरियों ने आर्थिक संकट में भी अपने कर्मचारियों को नहीं निकाला। दूध बंद हो जाए तो शहर रुक जाए ऐसा मानने वाले डेयरी संचालकों ने सामाजिक जिम्मेदारी भी निभाई।
मिलावट से पूरा हो रहा अंतर?
जब खपत और उत्पादन में करीब 2 लाख लीटर का अंतर हो तो यह चिंता का विषय बनता है। खाद्य सुरक्षा विभाग की पहले की जांचों में खुले दूध में डिटर्जेंट पानी और सिंथेटिक मिलावट की पुष्टि हो चुकी है। विशेषज्ञों की राय में जब खपत ज़्यादा और आपूर्ति कम हो तो कुछ कारोबारी मिलावट का रास्ता अपनाते हैं।
विषय आंकड़े
जिले की आबादी 40 लाख
दूध की दैनिक मांग 10–12 लाख लीटर
दूध का उत्पादन 8 लाख लीटर
दुधारू पशु लगभग 1 लाख (20%)
बांझ पशु 33%
कुल डेयरियां 465
बड़ी डेयरियां 100 (200 भैंसों तक)
डेयरी संचालन खर्च ₹150–300 प्रति पशु प्रतिदिन
दूध केवल आहार नहीं एक सामाजिक जिम्मेदारी भी है इसके शुद्धता की निगरानी प्रशासन और उपभोक्ता दोनों की साझा जवाबदेही है।