शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता
महान जननायक क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद शिक्षा समिति के तत्वाधान में शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने विचार व्यक्त करते हुए मातृभाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसे व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक घटक की संज्ञा दी।
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गोष्ठी में विचार व्यक्त करते हुए कुटुंब न्यायालय के परामर्शदाता मुकेश सिंह परिहार ने कहा कि विश्व भर में छह हजार से अधिक भाषाओं का प्रचलन है; जो कि स्थानीय स्तर से लेकर प्रदेश और देश-विदेश में बोली जाती हैं। भाषा कोई भी हो भावनाओं को व्यक्त करने के लिए सशक्त माध्यम है। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी को वृहद स्तर पर मनाया जाता है। इससे सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देते हुए विविधता को पारस्परिक सद्भाव और समरसता का संरक्षण होता है।
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डॉ प्रमोद कुमार यादव कुछ इस तरह अपनी भावनाएं व्यक्त की कि इसे मनाने के लिए सबसे पहले 1999 में यूनेस्को के सम्मेलन में सहमति बनी थी और बांग्लादेश की ओर से इसे मनाने का प्रस्ताव आया था। उल्लेखनीय है कि 1952 में चार छात्रों की बंगाली भाषा को आधिकारिक तौर पर भाषा का दर्जा दिलाने के संघर्ष में मौत हो गई थी। उनकी पहल को प्रोत्साहित करने के लिए 1999 में मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव दिया गया। जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वीकार कर लिया गया।
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डॉक्टर रूपक तिवारी ने कहा कि यह दिन भाषाई विविधता को सहेजने के लिए मनाया जाता है। मातृभाषा हमें अपनी संस्कृति से जोड़ने का महती प्रयास है ।कार्यक्रम में रोहित सिंह एडवोकेट, अतुल चतुर्वेदी, हिमांशु सक्सेना ,सचिन मिश्रा अर्पित सक्सेना अवधेश कुशवाहा अमित श्रीवास्तव, राममूर्ति कश्यप, गौरव यादव, रमेश यादव, ज्ञानेंद्र चौहान, आशीष सिंह आदि मौजूद रहे
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कैसे मनाते हैं अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
यूनेस्को इस दिन अनेक कार्यक्रम आयोजित करता है। और लोगों को अपनी मातृभाषा के ज्ञान को बनाए रखने और एक से अधिक भाषाओं को सीखने के लिए प्रोत्साहित करता है। अन्य भाषाओं को सीखने-समझने और बढ़ावा देने तथा समर्थन देने के लिए सरकारों और गैर सरकारी संगठनों द्वारा कई नीतियों कार्यक्रमों की घोषणा भी की जाती है।