Advertisment

JAGRAN REPORTER MURDER: बूढ़े बाप के सीने में दफन है गम, आंखें सुर्ख और नम

पत्रकार राघवेंद्र वाजपेयी की हत्या से पत्रकारों में आक्रोश है। उनके पिता महेंद्र नाथ वाजपेयी पर तो दुख का पहाड़ टूट पडा है। रविवार को वह गुमसुम बैठे मासूम पौत्र आराध्य व पौत्री अर्पिता को निहार रहे थे। बहु रश्मि घटना के बाद से पूरी तरह बदहवास है।

author-image
Narendra Yadav
पत्रकार हत्याकांड

पत्रकार पुत्र की हत्या से दुखी महेंद्र नाथ पांडे Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क )

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता :      

  75 साल का बूढ़ा बैठा रहे और उसका जवान बेटा उसकी आंखों के सामने दुनिया से रुखसत हो जाए, इससे बड़ा दुख उसके लिए और क्या हो सकता है। यही हाल सीतापुर जिले के महोली के मोहल्ला विकास नगर निवासी महेंद्र नाथ वाजपेयी का है। वह सत्तर की उम्र पार कर चुके हैं। सब कुछ ठीक ही चल रहा था, लेकिन कल यानी शनिवार को महेंद्र नाथ के जीवन में एक ऐसा तूफान आया कि उसमें उनका सब कुछ उड़ा ले गया। उनका जवान बेटा राघवेन्द्र वजपेयी प्रतिष्ठित अखबार से जुड़ कर सच को कहने का जज्बा समेटे किसानों के हक पर डकैती डालने वालों के खिलाफ इंकलाबी आवाज बुलंद कर रहे थे, खवर लिख कर डकैती डालने वालों के खिलाफ...।  

यह भी पढ़ें 

सीतापुर पत्रकार हत्याकांड : पीड़ित परिवार से मिलीं पल्लवी पटेल, बोलीं- यूपी में जगंलराज, एक करोड़ और सरकारी नौकरी दे सरकार

 तकरीबन दस दिन पहले उन्होंने धान माफिया और भू माफिया के खिलाफ खबरें लिख कर शासन प्रशासन को आगाह किया था। बस यही इन्हीं खबरों से राघवेन्द्र माफिया के आंखों की किरकिरी बन गए। शनिवार को उसको बात करने के लिए सीतापुर तहसील बुलाया गया। वह अपनी बाइक से घरवाली  रश्मि बाजपेई को जल्द लौटने की बात कह कर चला गया। रश्मि  को क्या पता था कि वह राघवेन्द्र की अंतिम विदाई कर रही। राघवेन्द्र घर से चला और पुल पर उसके शरीर पर दुश्मनों  ने तीन गोलियां उतार मौत की नींद सुला दिया। राघवेन्द्र की हत्या की खवर उसके घर पहुंची तो पूरे परिवार में तूफान आ गया। बूढ़े बाप की कमर टूट गई। हमसफ़र रश्मि की जिंदगी उजड़ गई।  दस साल के बेटे आराध्य और बिटिया अर्पिता के सिर से सरपरस्तो चली गई। कल की रात पूरे परिवार पर इस कदर भारी रही कि उसको सोचने मात्र से कलेजा मुंह को आने लगा। रविवार को राघवेन्द्र के घर का रुख किया गया तब माहौल बेहद गमजदा था। महोली पुलिस चौकी पर कदम रुके और वहां बैठै खाकी वर्दीधारी ने बगैर कुछ कहे इशारे से बता दिया कि मुझे कहां जाना है। मैं सीधे गली के मुहाने पर सन्नाटा पसरा था। दो सौ मीटर डग भर कर पहुंचा तो पता चलने लगा कि सामने वाला घर पत्रकार राघवेन्द्र का ही है। बूढ़े बाप की आंखों से आंसुओं की अविरल धारा बह रही थी। आवाज़ बेदम थी। लगा की नम और सुर्ख आंखें देखने के लिए और दर्द सीने में दफन है। बताएं बगेर समझा जा सकता था कि यही राघवेन्द्र का बदनसीब बाप है। पूछा तो नौजवान रमन तिवारी ने बताया कि वह भांजा है राघवेन्द्र का । उसके जरिए रश्मि तक पहुंचा, जो किसी जख्मी परिंदे की मानिंद छटपटा रही थी। जुवान से यही निकल रहा था कि उन्होंने किसी का क्या बिगाड़ा था, जो उन्हें ऐसी सजा दे डाली। वह तो इंसाफ की बात कर रहे थे खुद के लिए नहीं मेहनतकश किसानों के मारे जा रहे हक के लिए। वह आने जाने वालों से यही सवाल दागा रही थी कि किसी का क्या बिगाड़ा था इन बच्चों के पापा ने। उसकी छटपटाहट बता रही थी कि उसकी आह की गर्मी में दुश्मन भी बच नहीं पाएंगे। उसे भरोसा है तो सिर्फ ऊपर वाले का। मासूम रश्मि से पूछ रहे थे मां कब तक घर आएंगे मेरे पापा। रश्मि बच्चों के भविष्य को लेकर बेहद चिंतित हैं।बहुत सी कवरेज की, लेकिन आज की कवरेज में हमे अपने ऊपर हुए हमले के दिन याद आ गए। लौटते समय माइंड अमर उजाला के सेवानिवृत्त ब्यूरो चीफ कुलदीप दीपक, इंडिया न्यूज की ब्यूरो चीफ शिशान्त शुक्ला व शिवकुमार जी से  सारी कहानी साझा की। कुलदीप दीपक ने बातचीत के आधार पर  हालात को शब्दों  में पिरोकर खबर को साझा किया। दरअसल जब भी मैंने रश्मि से सवाल करना छह जवाब में यही बोली कि मेरे पास कुछ नहीं है।  वहीं थे जो बच्चों की परिवरिश कर रहे थे अब मैं कैसे जियूंगी और मेरे बच्चे कैसे पढ़ेंगे। अगर सरकार मदद ही करना चाहती है तो मुझे नौकरी दे दे।  बहरहाल पुलिस अब तक धरपकड़ तक सीमित है । उसके हाथ असल कातिलों तक कब पहुंचेंगे। अदालतें कब तक मुझे इंसाफ की दहलीज तक पहुंचाएंगी ...।  यही कहना था राघवेंद्र के भाई कार्तिक का। उन्होंने  हत्यारो के एनकाउंटर के साथ पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता व पत्नी रश्मि को सरकारी सेवा को जरूरी बताया। देर शाम घर लौटने के बाद भी करुण क्रंदन का वह दृश्य ओझल नहीं हो पा रहा। सच के लिए कलम उठाने की आखिर कब तक कीमत चुकानी पड़ेगी। 

यह भी पढ़ें 

Crime News : सीतापुर ने पत्रकार की गोली मारकर हत्या, 10 दिन पहले मिली थी जान से मारने की धमकी

यह भी पढ़ें 

सीतापुर में पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई की हत्या को लेकर विरोध प्रदर्शन

यह भी पढ़ें 

Advertisment

Murder: नाबालिग दोस्त ने ही की थी रिहान की हत्या, चाकू गोदकर उतारा था मौत के घाट

Advertisment
Advertisment