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स्टाफ की भारी कमी से जूझ रहा जलालाबाद का बाल विकास विभाग, पोषाहार तक नहीं मिल पा रहा बच्चों को

शाहजहांपुर में जलालाबाद बाल विकास परियोजना स्टाफ की भारी कमी से जूझ रही है। 205 आंगनबाड़ी केंद्रों पर केवल एक सुपरवाइजर की निगरानी में काम हो रहा है। पोषाहार वितरण में देरी और व्यवस्था की बिगड़ती हालत से ग्रामीणों में आक्रोश।

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Ambrish Nayak
Shahjahanpur news

Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)

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शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता 

जलालाबाद क्षेत्र में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। बाल विकास परियोजना कार्यालय में स्टाफ की भारी कमी का असर सीधे बच्चों पर पड़ रहा है। पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी मूलभूत सुविधाएं बच्चों तक नहीं पहुंच पा रही हैं।

जानकारी के अनुसार जलालाबाद बाल विकास परियोजना कार्यालय में आठ सुपरवाइजरों की स्वीकृत पद संख्या है, लेकिन वर्तमान में केवल एकमात्र सुपरवाइजर निशा सिंह पूरे क्षेत्र की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं। उनके अधीन पूरे ब्लॉक के 205 आंगनबाड़ी केंद्र कार्यरत हैं, जिनमें 195 मुख्य और 6 मिनी केंद्र शामिल हैं। स्थिति और भी गंभीर तब हो गई जब हाल ही में तीन आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इनमें पेहना केंद्र की सविता नगलानाथ की आराधना और कीर्तापुर केंद्र की स्वालिया शामिल हैं। इन इस्तीफों के बाद कार्यरत कर्मियों की संख्या घटकर 188 रह गई है। केंद्रों पर ई-अटेंडेंस प्रणाली लागू की गई है, जिसमें बच्चों और कर्मचारियों की उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज की जाती है। लेकिन तकनीकी खामियों और स्टाफ की अनुपलब्धता के चलते अधिकांश केंद्र नियमित रूप से नहीं खुल पा रहे हैं।

पोषण आहार के नाम पर मिलने वाला दलिया, दाल, रिफाइंड तेल आदि या तो समय से वितरित नहीं हो रहे या फिर कुछ केंद्रों पर इनका उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जा रहा है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि कई बार वितरण की कोई सूचना तक नहीं दी जाती, जिससे बच्चों के अभिभावकों में गहरा आक्रोश है। बाल विकास परियोजना अधिकारी का कार्यालय जलालाबाद विकासखंड कार्यालय परिसर में संचालित किया जा रहा है, जहां से सुपरवाइजर निशा सिंह अकेले ही समूचे प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी निभा रही हैं।स्थानीय लोगों की मांग है कि विभागीय लापरवाही पर शीघ्र संज्ञान लिया जाए तथा रिक्त पदों पर त्वरित नियुक्तियां की जाएं, जिससे आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन सुचारु हो सके और बच्चों को उनका अधिकार प्राप्त हो सके।

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