Science: अमर बलिदानी ठाकुर रोशन सिंह की प्रपौत्री ने लिंग परिवर्तन करा सहेली से की शादी, अब दंपती बने माता-पिता
अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले अमर बलिदानी ठाकुर रोशन सिंह के परिवार की वंश परंपरा में एक नया अध्याय जुड़ गया है। उनकी प्रपौत्री सरिता सिंह लिंग परिवर्तन से शरद सिंह के नाम से पुरुष बन गई। सहेली सविता से विवाह रचाने के बाद अब वह पिता बन गए हैं।
क्या दो महिलाओं के आपस में आलिंगन से एक परिवार बसाया जा सकता है। यह सवाल जीवन की सृष्टि अनुरूप तो असंभव कहा जा सकता है, लेकिन विज्ञान के चमत्कारने इसे सच साबित कर दिखाया है। शाहजहांपुर जिले के खुदागंज कस्बे के निकट स्थित गांव नवादा दरोवस्त निवासी सरिता सिंह और पीलीभीत जनपद के गांव देवहा निवासी सविता सिंह ने पिछले वर्ष ही शादी रचाई थी। एक साल में ही दोनों के बीच संबंध बने अब दोनों ने एक स्वस्थ्य पुत्र को जन्म दिया है।
शाहजहांपुर के जैन अस्पताल में जच्चा और बच्चा स्वस्थ्य हैं और चिकित्सकों की निगरानी में हैं। दो महिलाओं के बीच विवाह और फिर पति-पत्नी के रूप में रहने और पुत्र जन्म होने से परिवार में खुशी का माहौल है। अस्पताल में हर कोई महिला दंपत्ती और उनके विज्ञान के चमत्कार से पैदा हुए बच्चे को देखने आ रहा है।
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विज्ञान बनीं वरदान, लिंग परिवर्तन से हुआ कमाल
काकोरी कांड के नायक अमर बलिदानी ठाकुर रोशन सिंह के एक पौत्र जगदीश सिंह अध्यापक थे। इनके आठ संतानें थीं। जिसमें सरिता सिंह समेत सात पुत्रियां थीं। एक पुत्र जितेंद्र प्रताप सिंह थे वे भी अध्यापक थे। डिस्फोरियासे जुझ रहीं सरिता सिंह में शुरू से ही पुरुष जैसे हार्मोंस थे। जांच कराने पर इन्हें पता चला कि इनका शरीर जरूर महिला का है, लेकिन शरीर के अंदर 75 प्रतिशत हार्मोंस पुरुषों के हैं। इसके बाद सरिता सिंह ने अपना लिंग परिवर्तन कराने के प्रयास शुरू कर दिए। इस प्रयास में सरिता को अपनी सहेली सविता सिंह का भी प्रोत्साहन मिल गया। सरिता पेशे से सरकारी स्कूल में अध्यापक हैं। लिहाजा उन्होंने सर्जरी से जेंडर परिवर्तन की मदद ली। सरिता ने 2021-22 में लिंग परिवर्तनकी प्रक्रिया शुरू कराई। लखनऊ में उन्होंने हार्मोंस थेरेपी कराई तो उनके चेहरे पर दाढ़ी के बाल आने शुरू हो गए। चार थेरेपी होने के बाद आवाज में भी परिवर्तन होकर पुरुषों जैसी होने लगी। इसके बाद वर्ष 2023 के शुरुआत में सरिता सिंह ने मध्य प्रदेश के इंदौर में सर्जरी कराके गर्भाशय निकलने के बाद पेनिश का प्रत्यारोपण कराया गया। इस तरह चार सर्जरी और पांच वर्ष की प्रक्रिया के बाद सरिता सिंह को पूरी तरह से पुरुष बनने में कामयाबी मिली। इसके बाद 27 जून 2023 को शाहजहांपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी उमेश कुमर सिंह ने जेंडर बदलने का प्रमाण पत्र शरद रोशन सिंह के नाम से दे दिया। शरद सिंह बनने के बाद सरिता ने अपनी सहेली सविता से शादी की थी। अब शरद सरिता सिंह और सविता दंपत्ती माता-पिता बन गए हैं। शाहजहांपुर के बरेली मोड़ स्थित जैन अस्पताल में आपरेशन के बाद सविता ने पुत्र को जन्म दिया तो शरद सिंह बेहद खुश हैं। इस दंपत्ती के पुत्र को लोग देखने आ रहे हैं।
मेरी जिंदगी की यह अपार खुशी, शब्दों में बयां नहीं कर सकता -शरद
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डैम्प6सूत्र बंधन के बाद सविता के साथ शरद सिंह Photograph: (स्वयं)
सरिता सिंह से शरद रोशन सिंह बने दंपत्ती का कहना है कि पुत्र होने के बाद जो खुशी हमें मिली है वह जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी है। इसे हम शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं। क्योंकि विज्ञान के चमत्कार ने असंभव को संभव कर दिया है। अब पूरे जीवन भर सादगी भरी जिंदगी के साथ परिवार के साथ बिताएंगे। जिन परिस्थितियों से गुजरकर हमें पिता बनने का सुख मिला है यह खुशियां सभी को मिलें हमारी यह दुआ है। हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसे संतान सुख की प्राप्ति हो। सामान्य व्यक्तियों की तरह ही वह भी पिता बने हैं। जो लोग लिंग परिवर्तन की सोच रहे हैं वह घबराएं नहीं इसमें कोई जटिलता नहीं है। लिंग परिवर्तन करने वाले शरद रोशन सिंह शाहजहांपुर जिले के ददरौल ब्लाक के गांव सतवां खुर्द प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक हैं।
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अमर बलिदानी ठाकुर रोशन सिंह ने वेदमंत्र पढ़ते हुए फांसी के फंदे को गले लगाया था
काकोरी एक्शन के अमर बलिदानी ठाकुर रोशन सिंह की प्रतिमा के साथ शरद सिंह Photograph: (स्वयं)
शरद रोशन सिंह ने लिंग परिवर्तन के बाद अपने नाम के पीछे जिन रोशन सिंह का नाम लिखाया है, वह उनके दादा हैं और अंग्रेजों से देश को आजाद कराने में प्रमुख भूमिका निभा चुके हैं। काकोरी कांड में उनकी पंडित रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां के साथ भूमिका रही थी। नैनी जेल में उन्हें अंग्रेजों ने फांसी दी तो उससे पहले वे पूरी रात गीता का पाठ करते रहे। सुबह को पहले फांसी के फंदे को चूमा फिर ज़ोर से तीन बार वन्दे मातरम् का उद्घोष किया और वेद-मन्त्र - "ओ३म् विश्वानि देव सवितुर दुरितानि परासुव यद भद्रम तन्नासुव" - का जाप करते हुए फन्दे से झूल गये थे। ठाकुर रोशन सिंह के दो पुत्र चंद्र देव सिंह और बृजपाल सिंह थे। चंद्रदेव के दो बेटे जगदीश सिंह और महेंद्र सिंह हैं। जगदीश सिंह के आठ संतानों में सात पुत्रियां और एक पुत्र जितेंद्र सिंह थे। इन सात पुत्रियों में से ही एक सरिता सिंह हैं जोकि लिंग परिवर्तन करके शरद रोशन सिंह बने हैं।
नारी सशक्तिकरण की भी पहचान
काकोरी कांड में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले अमर बलिदानी ठाकुर रोशन सिंह की प्रपौत्री सरिता सिंह ने नारी सशक्तिकरण का भी परचम लहराया। दिव्यंग होने के बावजूद उन्होंने स्नातक के बाद MBA, Bed, BTC की पढ़ाई की। बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक बन गई। लिंग परिवर्तन के बाद शरद सिंह के नाम से पुरुष बन गई थीं। दो साल पहले उन्हें शाहजहांपुर के DM ने लिंग परिवर्तन का प्रमाण पत्र जारी किया था। गत वर्ष अपनी सहेली सविता सिंह से विधि पूर्वक विवाह रचाया था। अब उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के एक निजी अस्पताल में इस दंपत्ती ने बुधवार की रात एक पुत्र को जन्म दिया है। हालांकि ठाकुर रोशन सिंह का भरा पूरा परिवार है, इसमें करीब सौ सदस्य हैं। लेकिन अब इस परिवार की वंश बेल विज्ञान के चमत्कार से उत्पन्न संतान से भी आगे बढ़े, लेकिन अब इस परिवार की वंश बेल विज्ञान के चमत्कार से उत्पन्न संतान से भी आगे बढ़ेगी।
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