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महुआ डाबर संग्रहालय द्वारा दुर्लभ दस्तावेजों की प्रदर्शनी देखते छात्र Photograph: (वाईवीएन संवाददाता )
शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता
महुआ डाबर संग्रहालय द्वारा आयोजित ‘काकोरी एक्शन शताब्दी वर्ष समारोह’ के अंतर्गत दो दिवसीय दुर्लभ दस्तावेजों की ऐतिहासिक प्रदर्शनी का शुभारंभ एस.एच. आईटीआई सभागार में हुआ। इस अवसर पर चंद्रशेखर आजाद के बलिदान दिवस को याद करते हुए। क्रांतिकारियों के योगदान पर चर्चा की गई।
प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि नगर आयुक्त वरिष्ठ आईएएस अधिकारी श्री बिपिन कुमार मिश्रा ने कहा कि महुआ डाबर संग्रहालय ऐतिहासिक रूप से अपनी भूमिका अदा कर रहा है। हमें इस संग्रहालय की मुहिम को सहयोग देना चाहिए, ताकि क्रांतिकारियों की विरासत आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचे।
इस प्रदर्शनी में काकोरी केस से जुड़े ऐतिहासिक पत्र, डायरी, टेलीग्राम, समाचार पत्र, पत्रिकाएं, मुकदमे की फाइलें, स्मृतिचिह्न, दुर्लभ तस्वीरें और अन्य ऐतिहासिक दस्तावेजों को प्रदर्शित किया गया। साथ ही, एक सेमिनार का आयोजन भी हुआ, जिसमें क्रांतिकारियों के संघर्ष और उनकी विचारधारा पर प्रकाश डाला गया।राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह को क्रमशः गोंडा, गोरखपुर, फैजाबाद और इलाहाबाद जेल में फांसी दी गई। इस आयोजन के माध्यम से उनके बलिदान को फिर से याद किया गया और उनके विचारों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया।
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प्रदर्शनी में प्रदर्शित ऐतिहासिक दस्तावेज
फैसले की प्रतियां, चीफ कोर्ट ऑफ अवध जजमेंट फाइल, काकोरी षड्यंत्र केस सप्लिमेंट्री जजमेंट फाइल, प्रिवी काउंसिल, लंदन की अपील,महत्वपूर्ण रजिस्टर, मिशन स्कूल, शाहजहांपुर (राम प्रसाद बिस्मिल, 1919),फैजाबाद कारागार रजिस्टर (अशफाक उल्ला खां का विवरण),ऐतिहासिक दस्तावेज, अशफाक उल्ला खां की हस्तलिखित डायरी,काकोरी चार्जशीट,स्पेशल मजिस्ट्रेट सैय्यद ऐनुद्दीन की रिपोर्ट,‘सरफरोशी की तमन्ना’ कविता की मूल प्रति,टेलीग्राम और पत्र, गृह विभाग, शिमला से अशफाक उल्ला खां की मां को भेजा गया टेलीग्राम, अशफाक उल्ला खां का पत्र कृपाशंकर हजेला के नाम।
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समारोह के अतिथियों में अशफाक उल्ला खां, तनुज मिश्रा, साबिरा बेगम, डॉ. दीपक सिंह, डॉ. तुफैल, डॉ. प्रशांत अग्निहोत्री, रेहान खान, कमर किशोर कठेरिया, अशफाक अली खां आदि शामिल रहे। संचालन इंदु अजनबी ने किया। इस आयोजन में नासिर हुसैन, रफी खान, जसवीर सिंह, आरिफ हुसैन, कुमारी बेबी, रामेश्वर दयाल पाल, हाजी रिजवान खां, पुष्पा देवी, आदिल हुसैन, आकांक्षा गुप्ता, इकबाल हुसैन आदि ने सहयोग दिया।
शाहजहांपुर चौथे आयोजन का गवाह बना
महुआ डाबर संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना ने बताया कि शताब्दी वर्ष के अंतर्गत अब तक गोरखपुर (8-9 अगस्त 2024), अयोध्या (7-9 दिसंबर 2024), अंबाह, मुरैना (17-19 दिसंबर 2024) में सफल आयोजन हो चुके हैं। इसी कड़ी में शाहजहांपुर चौथे आयोजन का गवाह बना।
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किसने क्या कहा
महुआ डाबर संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना ने बताया कि महुआ डाबर एक गांव है जो बस्ती जिले में पड़ता है। आज का युवा महुआ डाबर के इतिहास को नहीं जानता यह खेदजनक है। हमारी संस्था ने इसके इतिहास को संरक्षित करने और लोगो तक महुआ डाबर के साथ ही अन्य क्रांतिकारियों के दुर्लभ दस्तावेजों को पहुंचाने की जिम्मेदारी ली है।
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वरिष्ठ इतिहासकार एसएस कॉलेज के प्रवक्ता डॉ. दीपक सिंह ने कहा कि जिन्होंने इस देश के लिए अपनी जान दी उनको हम आज भी वो सम्मान नहीं दे पाए हैं। राजनीति में भी उनके लिए स्थान नहीं है। छोटे छोटे प्रयासों से भी अगर कुछ लोग क्रांतिकारियों के इतिहास को आम जन तक पहुंचा रहे हैं तो हमें उनकी हौंसलाहफजाई करनी चाहिए।
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शहीद अशफाक उल्ला खां के पौत्र शादाब उल्ला ने कहा कि शाहजहांपुर शहीदों की धरती है। काकोरी की ऐतिहासिक घटना के दस्तावेजों को सहेजा जाना अद्भुत है।देश के तमाम इतिहासकारों और क्रांतिकारियों के साथियों ने अनेकों किताबें क्रांतिकारियों पर लिखी हैं, जिनको पढ़ा जाना जरूरी है।
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जीएफ कॉलेज शाहजहांपुर के इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. तनवीर हुसैन ने कहा कि व्यक्तिगत स्तर पर ऐसी प्रदर्शनी का आयोजन सराहनीय है । यदि प्रत्येक जिले से एक भी युवा इतिहासकार ऐसे प्रयास में लग जाए तो हम बहुत कुछ नया समाज के सामने रख सकते हैं।
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