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Photograph: (वाईबीएन नेटवर्क)
शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता
रब ने बना दी जोड़ी, राणा नायडू, स्कैम 1992, राजी और एयरलिफ्ट जैसी फिल्मों और वेब सीरीजमें अहम भूमिका निभा चुके मशहूर अभिनेता राजेश जैस का मानना है कि सिनेमा, मूवी और फिल्म इन तीनों की परिभाषाएं अलग हैं।
राजेश जैस ने कहा कि फिल्म तकनीक से जुड़ी होती है। मूवीमें व्यवसाय जुड़ा होता है, जबकि सिनेमा में साहित्य और दर्शन का समावेश होता है। उन्होंने स्पष्ट किया,मैं न व्यवसाय में हूं न तकनीक में। मैं केवल एक्टिंग में हूं और इसीलिए मेरी एक्टिंग में व्यवसायिकता नहीं सात्विकता आती है।
जंबोरी टॉकीज प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले बन रही ‘श्री’ फिल्म को लेकर उन्होंने कहा कि यह एक पूर्ण सिनेमा है जिसे लोग अवश्य पसंद करेंगे। फिल्म की निर्देशक अनुगा खंडेलवाल और क्रिएटिव डायरेक्टर सुभाष शुक्ला की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह का सिनेमा बनाना एक साहसी निर्णय है।
इस फिल्म में राजेश जैस आचार्य की भूमिका में नजर आएंगे। उन्होंने बताया कि फिल्म में नायक जब सवालों के जवाब ढूंढ़ने उनके पास आता है, तो वही संवाद फिल्म की आत्मा बनते हैं। उन्होंने कहा कि सिनेमा का सार यही होना चाहिए कि वह बुराई के अंत और समाज में अच्छाई के संदेश को प्रसारित करे। राजेश जैस ने सिनेमा को आराधना, साधना और पूजा की तरह मानते हुए कहा एक्टिंग उसी भक्ति की तरह है जैसे कोई साधक ध्यान लगाकर ईश्वर में लीन हो जाता है।
थिएटर मुग़ल-ए-आज़म में अपने अभिनय का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा सिनेमा हमें एक नई दुनिया में ले जाता है। मुझे ऐसा सिनेमा पसंद है जिसे देखने के बाद मैं भीतर से नम हो जाऊं, और कुछ दिनों तक उसी भावनात्मक अनुभूति में डूबा रहूं। उन्होंने अंत में कहा कि सार्थक सिनेमा वही है जो विचारों को झकझोरे संवेदनाओं को जगाए और समाज को दिशा दे।
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