शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता
शहर की यातायात व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल उठ खड़े हुए हैं। खिरनीबाग चौराहे पर नज़ारा देखने लायक था। जब लाल बत्ती जल रही थी, आम नागरिक अपनी गाड़ियों को रोककर हरी बत्ती का इंतजार कर रहे थे, तभी अचानक एक सरकारी गाड़ी फर्राटा भरते हुए रेड लाइट तोड़कर निकल गई। ड्राइवर की वर्दी और गाड़ी पर लगे सरकारी स्टीकर साफ संकेत दे रहे थे कि नियम उनके लिए नहीं हैं। वहीं अक्सर सिपाही भी लालबत्ती क मोटर साइकिल क फर्राटा भरते हुए निकल जाते हैं।
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यह पहली बार नहीं है। चौक कोतवाली, घंटाघर, कटरा, अजीजगंज, और रामचंद्र मिशन चौराहा जैसे शहर के प्रमुख रेड लाइट पॉइंट्स पर आए दिन ऐसा होता है जब वर्दीधारी या सरकारी वाहन नियमों को ताक पर रखकर निकल जाते हैं। ट्रैफिक पुलिस के जवान भी चुपचाप तमाशा देखते रहते हैं, मानो खाकी के लिए नियमों की कोई बाध्यता ही नहीं।
इसके उलट, अगर कोई आम आदमी गलती से भी रेड लाइट पार कर दे तो तुरंत 1000 रुपए के चालान का मैसेज मोबाइल पर पहुंच जाता है, और अगर नंबर प्लेट पर कैमरे की नज़र पड़ गई तो बाद में घर पर चालान का डाक भी आ जाता है। शहर की जनता का कहना है कि "नियम सबके लिए बराबर होने चाहिए।" एक तरफ आम आदमी हर मोड़ पर नियमों का पालन करता है, और दूसरी ओर जिनसे अनुशासन की उम्मीद होती है वही नियम तोड़ते हैं, तो यह दोहरा रवैया जनता में गुस्से का कारण बन रहा है।
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यातायात नियमों का ढंग से पालन नहीं
अब सवाल ये उठता है कि क्या ट्रैफिक नियम सिर्फ आम आदमी के लिए बनाए गए हैं? क्या वर्दीधारियों की जवाबदेही तय नहीं की जानी चाहिए? और सबसे बड़ा सवाल क्या ट्रैफिक पुलिस इन सरकारी गाड़ियों का चालान काटने की हिम्मत दिखाएगी। शहर की सड़कों पर बराबरी का ट्रैफिक सिस्टम कब लागू होगा, इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है।
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