ग्राम भटपुरा रसूलपुर में बना सचिवालय Photograph: (वाईबीएन )
शाहजहांपुर वाईबीएन संवाददाता
जनपद में कुछ ऐसे प्रेरणादायक प्रधान भी हैं, जिन्होंने परंपरागत ढर्रे से हटकर ग्राम पंचायतों का चेहरा ही बदल डाला है। उन्होंने गांवों में न सिर्फ बुनियादी सुविधाओं की नींव रखी, बल्कि दूरदर्शिता के साथ ऐसे विकास कार्य भी करवाए, जो आमतौर पर केवल शहरों में ही देखने को मिलते हैं। उनकी कार्यशैली में नवाचार की झलक मिलती है, जिससे गांवों को नई दिशा मिली है। अपने उत्कृष्ट प्रयासों के चलते वे कई बार सम्मानित भी हो चुके हैं। आज भी वे लगातार ग्रामीणों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए मेहनत कर रहे हैं और गांवों को आत्मनिर्भर तथा उन्नत बनाने की दिशा में संकल्पबद्ध हैं।शहर सा चमकता ग्राम पंचायत भटपुरा रसूलपुर औररमापुर रामापुर बरकतपुर ग्राम पंचायत है
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भटपुरा रसूलपुर ग्राम पंचायत आज विकास की मिसाल बन चुकी है, और इसके पीछे हैं ग्राम प्रधान अनिल गुप्ता, जिनकी दूरदर्शिता और लगातार प्रयासों ने गांव को नया स्वरूप दिया है। ब्लॉक की इस मॉडल ग्राम पंचायत ने न केवल जनपद बल्कि पूरे प्रदेश में एक उदाहरण पेश किया है।गांव में प्रवेश करते ही रामजानकी द्वार स्वागत करता है—जो न केवल एक भव्य प्रवेश द्वार है, बल्कि यह गांव के बदलते स्वरूप की गवाही भी देता है। पंचायत में हर सड़क इंटरलॉकिंग से सुसज्जित है और साफ-सुथरी नालियां यह दर्शाती हैं कि स्वच्छता को प्राथमिकता दी गई है।अनिल गुप्ता के नेतृत्व में गांव में विकास के साथ-साथ सौंदर्यकरण को भी महत्व दिया गया है।
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रमापुर रामापुर बरकतपुर ग्राम पंचायत की प्रधान शालिनी सिंह ने अपने पहले ही कार्यकाल में विकास की नई परिभाषा गढ़ दी है। शिक्षा से लेकर स्वच्छता और सामुदायिक सुविधाओं तक, उनके कार्यों की स्पष्ट झलक हर कोने में दिखाई देती है।एमए और बीएड शिक्षित शालिनी सिंह ने वर्ष 2021 में पहली बार प्रधान पद की जिम्मेदारी संभाली और सबसे पहले ध्यान दिया शिक्षा की बुनियाद पर। गांव का जर्जर प्राथमिक विद्यालय उनके प्रयासों से एक सशक्त शिक्षण केंद्र में तब्दील हो गया। इसके बाद पंचायत सचिवालय और गोशाला का निर्माण भी उनकी प्राथमिकता में रहा।श्मशान घाट की चहारदीवारी और वहां की व्यवस्थाएं दर्शाती हैं कि वे सिर्फ ज़रूरतें नहीं, बल्कि संवेदनाओं को भी समझती हैं। ग्राम पंचायत में आज कूड़ा प्रबंधन से लेकर आरआरसी सेंटर तक हर सुविधा क्रियाशील है।
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शालिनी सिंह ने समाज की सभी वर्गों की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए सामुदायिक शौचालय, दिव्यांगों के लिए विशेष शौचालय और विद्यालयों में डबल यूनिट शौचालय जैसे कार्य कराए हैं। गांव को एक सामुदायिक मिलन स्थल देने के उद्देश्य से 'उत्सव लॉन' का निर्माण भी कराया गया है, जो अब सामाजिक आयोजनों का केंद्र बन चुका है।गांव की शानअमृत सरोवरभी अब सिर्फ जलस्रोत नहीं, बल्कि सुंदरता और शांति का प्रतीक बन चुका है—जिसका सौंदर्यीकरण कर गांव की पहचान को और निखारा गया है।शालिनी सिंह के कार्य यह साबित करते हैं कि जब नेतृत्व पढ़ा-लिखा और संकल्पबद्ध हो, तो बदलाव सिर्फ संभव नहीं, बल्कि स्थायी भी हो सकता है।