सीता स्वयंवर Photograph: (इंटरनेट मीडिया )
शाहजहांपुर, वाईबीएन संवाददाता
जनपद के खुटार ग्राम मलिका स्थित रामदरबार मंदिर परिसर में चल रही श्रीरामकथा में बुधवार को कथाव्यास आचार्य इंदुशेखर पांडे ने श्रद्धालुओं को सीता स्वयंवर का मार्मिक प्रसंग सुनाया। कथा के दौरान श्रद्धालु भावविभोर हो उठे और पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।
कथाव्यास ने बताया कि पुष्पवाटिका में भगवान श्रीराम और माता सीता का प्रथम मिलन हुआ। जब सीता जी ने राम को देखा, तो उन्होंने माता गौरी से उन्हें अपने जीवनसाथी के रूप में पाने की प्रार्थना की। इसके बाद राजा जनक ने सीता स्वयंवर का आयोजन किया, जिसमें शिवधनुष को उठाने और तोड़ने की शर्त रखी गई। स्वयंवर में देश-विदेश के अनेक शक्तिशाली राजा शामिल हुए, परंतु कोई भी शिवधनुष को हिला तक नहीं सका।
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महर्षि विश्वामित्र की आज्ञा से भगवान श्रीराम ने सहज भाव से शिवधनुष को उठाकर तोड़ दिया, जिससे सारा मंडप गूंज उठा और सभी राजा अचंभित रह गए। इसके बाद श्रीराम और सीता का पावन विवाह संपन्न हुआ। साथ ही श्रीराम के भाइयों – लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का विवाह भी उसी समय हुआ, जिससे पूरे अयोध्या व मिथिला में हर्षोल्लास छा गया।आचार्य इंदुशेखर पांडे ने कहा कि प्रभु सच्चे हृदय की भावना को पहचानते हैं। जो जैसे भाव रखता है, प्रभु उसे उसी रूप में दर्शन देते हैं। इसलिए प्रत्येक जीव में प्रभु का स्वरूप देखने से मन शुद्ध और निर्मल होता है।
कथा से पूर्व वैदिक विधि-विधान से हवन-पूजन किया गया, जिसमें ग्रामीणों और श्रद्धालुओं ने भाग लिया और आहुतियां दीं। पूरे मंदिर परिसर में भक्ति का माहौल बना रहा। आयोजन समिति ने बताया कि गुरुवार को पूर्णाहुति, कन्या भोज एवं भंडारे का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है।
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