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विश्व वन्यजीव दिवस 2025 Photograph: (INTERNET MEDIA)
शाहजहांपुर वाईबीएन संवादाता
वन्यजीवों एवं वनस्पतियो के सामने आने वाले खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रतिवर्ष 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है।20 दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 68वें सत्र में, 3 मार्च को संयुक्त राष्ट्र विश्व वन्यजीव दिवस घोषित किया गया। यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन 1973 में वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए गए थे।पूरी दुनिया में जीव-जंतुओं की 10 लाख से ज्यादा प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। ऐसे में हमारे सामने चुनौती यह है कि हम कैसे इनके संरक्षण में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।विश्व वन्यजीव दिवस 2025 की थीम "वन्यजीव संरक्षण वित्त: लोगों और ग्रह में निवेश" है। इस गंभीर मुद्दे पर वाईबीएन संवाददाता ने समाज के प्रबुद्ध लोगों से बात कर इस विषय पर उनकी राय जानी
अनमोल धरोहर के रूप में संरक्षित करने की आवश्यकता
गन्ना वैज्ञानिक डॉ. सुजीत प्रताप सिंह ने कहा कि वन्य जीव हमारे पर्यावरण व पारिस्थितिकी तंत्र में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। यह प्रकृति में जीवों के बीच भोजन के लिए निर्भरता में महत्वपूर्ण खाद्य श्रृंखला को पर्यावरण में संतुलित करते है। वन्य जीव को पर्यावरण और प्रकृति की अनमोल धरोहर के रूप में संरक्षित करने की आवश्यकता है, जिससे पर्यावरण और प्रकृति की शोभा बनी रही।
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अभयारण्य बनाकर जीवों को सुरक्षित किया जा सकता
एस एस कॉलेज के बॉटनी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आदर्श पांडे ने कहा कि वन्य जीवों का संरक्षण प्रकृति और पर्यावरण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके लिए सबसे पहले उनके प्राकृतिक आवासों, जैसे जंगलों, झीलों और नदियों को सुरक्षित रखना जरूरी है। शिकार और अवैध व्यापार पर सख्त प्रतिबंध लगाकर वन्य जीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। साथ ही, लोगों को जागरूक करना भी आवश्यक है ताकि वे वन्य जीवों के महत्व को समझें और उनके संरक्षण में योगदान दें। राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य बनाकर भी इन जीवों को सुरक्षित किया जा सकता है।
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आम जनमानस को भी संघर्षशील होना होगा
राजकीय इंटर कॉलेज के जीवविज्ञान प्रवक्ता प्रेम शंकर सक्सेना का कहना है कि वन्यजीवों के शिकार पर रोक लगनी चाहिए। उनके आवासों में मनुष्य का दखल बिल्कुल बंद होना चाहिए। सरकार के साथ साथ आम जनमानस को भी इस दिशा में संघर्षशील होना होगा।
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प्लास्टिक को कम से कम करें
गांधी फैज़ ए आम महाविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद सईद अख्तर ने कहा कि हम निम्नलिखित तरीकों से वन्य जीवन को बचा सकते हैं- वन्यजीवों को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए अपशिष्ट, विशेषकर प्लास्टिक को कम से कम करें। जल स्रोतों की रक्षा करें, जो वन्यजीवों के आवास के लिए आवश्यक हैं।न्यूनतम पर्यावरणीय प्रभाव वाले उत्पाद चुनें।प्रदूषण कम करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा दें। दोस्तों और परिवार को वन्यजीव संरक्षण के बारे में शिक्षित करें।
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जन जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए
राजकीय महाविद्यालय कांट के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. अनूप कुमार ने बताया कि वन्य जीव हमारे पर्यावरण का अभिन्न अंग हैं उनके महत्व के बारे में जन जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए इसके साथ उनके संरक्षण हेतु उनके आवासों की रक्षा करना,नेशनल पार्क एवं अभ्यारण्य स्थापित करने होंगे, शिकार बंद करना । वन्य जीवों की रक्षा हेतु कानून बनाकर उनका कड़ाई से पालन होना चाहिए ।
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शिकार और व्यापार प्रतिबंधित होना चाहिए
गांधी फैज़ ए आम कॉलेज के जंतुविज्ञान विषय के प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद शोएब का कहना है कि वन्यजीवों का शिकार और व्यापार हर हाल में प्रतिबंधित होना चाहिए। वन बचेंगे तभी वन्यजीव भी बचेंगे इसलिए हर हाल में वनों का संरक्षण भी जरूरी है।
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सतत विकास को अपनाना आवश्यक
जीएफ कॉलेज की जंतुविज्ञान विभाग की प्रोफेसर डॉ. सौम्या शर्मा का कहना है कि जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए सतत विकास को अपनाना आवश्यक है। सरकार और समाज को मिलकर वन्य जीव संरक्षण हेतु सख्त कानूनों को लागू करना चाहिए। यदि हम आज प्रयास नहीं करेंगे, तो आने वाली पीढ़ियों को केवल किताबों में ही ये जीव देखने को मिलेंगे |
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सतत विकास को अपनाना आवश्यक
जी एफ कॉलेज की जंतु विज्ञान विभाग की प्रोफेसर डॉ.शाहिस्ता खान ने बताया कि भारत और दुनिया भर में कुछ विशिष्ट रूप से दुर्लभ जानवरों की रक्षा और संरक्षण के लिए विभिन्न वन्यजीव अभयारण्य हैं जैसे काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, सेपिलोक ओरंगुटान अभयारण्य आदि। कई देशों की सरकारों ने वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए सख्त मानदंड लागू किए हैं। पृथ्वी पर मानव जीवन वन्यजीवों के बिना असंभव है और इसलिए, वन्यजीव संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है।
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जैव विविधता हॉटस्पॉट संरक्षित करने की आवश्यकता
जीएफ कॉलेज की बायोटेक्नोलॉजी विभाग की प्रवक्ता इलमा खान ने कहा कि सभी वनस्पतियों और जीवों की लगभग 7-8 प्रतिशत प्रजातियाँ भारत में पाई जाती हैं। पौधों और जानवरों के बचाव और संरक्षण के लिए भारत की संसद द्वारा 1972 का वन्यजीव संरक्षण अधिनियम बनाया गया। इसमें विभिन्न पारिस्थितिकी प्रणालियों के साथ एक विविध जैव विविधता हॉटस्पॉट है और इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है।
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