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नई दिल्ली, वाईबीएन स्पोर्ट्स।भारतीय क्रिकेट टीम के भरोसेमंद बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। जब 2010 में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ डेब्यू किया था, तब ही क्रिकेट के जानकारों ने भविष्यवाणी कर दी थी कि ये खिलाड़ी राहुल द्रविड़ की जगह लेगा। और वाकई, पुजारा ने समय के साथ उस नंबर-3 की चुनौतीपूर्ण भूमिका को बखूबी निभाया। राहुल द्रविड़ को ‘द वॉल’ कहा जाता था और पुजारा को उनके उत्तराधिकारी के रूप में देखा गया। धीरे-धीरे, पुजारा ने भी वैसा ही धैर्य, तकनीक और संयम दिखाया, जिससे वे विपक्षी गेंदबाजों के लिए एक बुरे सपने की तरह बन गए।
अंतरराष्ट्रीय करियर की झलक
पुजारा ने भारत के लिए 103 टेस्ट मैच खेले और 7195 रन बनाए। उनका टेस्ट में औसत 43.60 रहा। उन्होंने 19 शतक और 35 अर्धशतक जमाए, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 206 नाबाद रहा। वनडे क्रिकेट में उन्होंने सिर्फ 5 मैच खेले, लेकिन जल्द ही यह साफ हो गया कि पुजारा का असली खेल टेस्ट क्रिकेट ही है। 2018-19 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जीतने में उनका अहम योगदान रहा। इस सीरीज में उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को थका दिया और भारत को पहली बार कंगारुओं की ज़मीन पर टेस्ट सीरीज जिताई।
घरेलू क्रिकेट में लगाया रनों का अम्बार
पुजारा का घरेलू क्रिकेट के प्रति प्यार भी किसी से छुपा नहीं रहा। जब उन्हें 2023 के बाद टीम से बाहर किया गया, तब भी वे सौराष्ट्र के लिए लगातार खेलते रहे। उन्होंने 278 फर्स्ट क्लास मैच खेले, जिनमें 21,301 रन बनाए और औसत रहा 51.82 का – जो उनके उच्च स्तर को दर्शाता है।
एक युग का अंत
चेतेश्वर पुजारा का करियर भले ही ग्लैमर और तेज रफ्तार शॉर्ट फॉर्मेट से दूर रहा, लेकिन उनकी बल्लेबाजी की ठहराव भरी शैली ने भारतीय टेस्ट क्रिकेट को स्थिरता दी। वे उन खिलाड़ियों में से हैं जिन्होंने क्रिकेट को सिर्फ खेल नहीं, एक साधना की तरह जिया। अब जब वह संन्यास ले चुके हैं, तो उनका शांत लेकिन मजबूत योगदान हमेशा भारतीय क्रिकेट इतिहास में याद रखा जाएगा।
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