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नई दिल्ली, वाईबीएन स्पोर्ट्स। भारत ने 58 साल बाद एजबेस्टन टेस्ट जीतकर इतिहास रच दिया है। इस मैच में आकाश दीप सबसे बड़े मैच विनर बनकर उभरे। उन्होंने कुल 10 विकेट अपने नाम किए। लीड्स टेस्ट में उन्हें प्लेइंग मौका नहीं मिला था लेकिन इस मैच जसप्रीत बुमराह की जगह उन्हें खिलाया गया। पहली पारी में चार और दूसरी पारी में छह विकेट लेकर उन्होंने इंग्लैंड की बल्लेबाजी को ध्वस्त कर दिया। बुमराह की अनुपस्थिति में इस बात का संशय था कि टीम कैसा परफॉर्म करेगी, लेकिन आकाश दीप ने साबित कर दिया कि 'मैं हूं ना'
जीत के बाद मैदान पर भारतीय फैंस उनका ऑटोग्राफ लेते दिखे। इससे पता चलता है कि भारतीय क्रिकेट में आकाश का उदय हो चुका है। आकाश दीप के लिए यह सफर कभी आसान नहीं रहा। कड़ी मेहनत, संघर्ष और त्याग से भरी उनकी जिंदगी में उन्होंने बहुत कुछ खोया है, लेकिन हौसला कभी नहीं टूटा। कहते हैं न भगवान के घर देर है, पर अंधेर नहीं। आकाश की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। एजबेस्टन टेस्ट में भारत की शानदार जीत के बाद आकाश दीप ने कहा कि उनका यह प्रदर्शन उनकी बहन को समर्पित है, जो पिछले दो महीनों से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं। भावुक आकाश ने यह भी बताया कि उन्होंने आर्थिक तंगी और निजी मुश्किलों के दौर भी देखे, लेकिन कभी हार नहीं मानी। आज वही आकाश दीप, जो कभी गुमनामी से जूझ रहे थे, अब बिहार का नाम अंतरराष्ट्रीय मंच पर रोशन कर रहे हैं।
इंग्लैंड के खिलाफ डेब्यू में किया धमाकेदार प्रदर्शन
27 वर्षीय आकाश दीप ने फरवरी-मार्च 2024 में इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के चौथे मुकाबले में टेस्ट डेब्यू किया था। डेब्यू करते ही उन्होंने इंग्लैंड की पहली पारी में लगातार तीन अहम विकेट चटकाकर सभी को चौंका दिया। उन्हें यह मौका अनुभवी तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह की अनुपस्थिति में मिला था, और उन्होंने कप्तान रोहित शर्मा के भरोसे को पूरी तरह सही साबित किया। आकाश का यह प्रदर्शन न सिर्फ उनके लिए यादगार रहा, बल्कि टीम इंडिया के लिए भी बेहद अहम साबित हुआ।
आसान नहीं था आकाश का सफर, संघर्षों से गढ़ी सफलता की कहानी
टीम इंडिया तक पहुंचने का सफर आकाश दीप के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं रहा। मूल रूप से बिहार के सासाराम निवासी आकाश ने अपने जीवन में कई कठिन दौर देखे हैं। एक ओर जहां पिता और भाई के निधन ने उन्हें भीतर तक तोड़ दिया, वहीं दूसरी ओर आर्थिक तंगी के कारण उन्हें क्रिकेट तक छोड़ना पड़ा। आकाश के पिता चाहते थे कि वह एक स्थिर सरकारी नौकरी करें। उन्होंने कई प्रतियोगी परीक्षाएं भी दीं, लेकिन दिल तो हमेशा क्रिकेट के मैदान में ही रहता था। पढ़ाई में मन नहीं लगता, क्योंकि क्रिकेट ही उनका असली जुनून था। तमाम मुश्किलों और सामाजिक दबावों के बावजूद आकाश ने हार नहीं मानी और आज उनका संघर्ष लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुका है।
बचपन में ताने, दोस्ती से दूरी
आकाश ने एक इंटरव्यू में बताया कि बचपन में लोग उन्हें ताने देते थे। दोस्तों के माता-पिता तक उन्हें अपने बच्चों से दूर रहने की सलाह देते थे। लोगों का कहना था "आकाश से दोस्ती मत करना, उसकी संगत में बिगड़ जाओगे।" लेकिन आकाश ने किसी की आलोचना का जवाब आलोचना से नहीं, अपने प्रदर्शन और संयम से दिया। साल 2015 आकाश के जीवन का सबसे दुखद दौर साबित हुआ। तीन महीनों के अंदर उन्होंने पिता और भाई दोनों को खो दिया। पिता को स्ट्रोक आया और दो महीने बाद भाई की भी मौत हो गई। घर में आर्थिक संकट था और मां की जिम्मेदारी आकाश पर आ गई। उन्होंने क्रिकेट छोड़ दिया और तीन साल तक पूरी तरह खेल से दूर रहे।
क्रिकेट का जुनून फिर खींच लाया मैदान पर
हालांकि दिल से क्रिकेट को दूर करना आकाश के लिए संभव नहीं था। उन्होंने खुद से कहा कि यह खेल ही उनका असली रास्ता है। वह दुर्गापुर पहुंचे, फिर कोलकाता। एक छोटे से कमरे में भाई के साथ रहने लगे। बिहार क्रिकेट संघ पर प्रतिबंध के कारण उन्हें बंगाल की टीम का रुख करना पड़ा। बुरे वक्त में उनके एक दोस्त और चाचा ने बड़ा सहारा दिया। दोस्त ने आर्थिक और मानसिक रूप से सहयोग किया, जबकि चाचा ने उन्हें दुर्गापुर में क्लब क्रिकेट से जोड़ा। यहीं से टेनिस बॉल क्रिकेट में खेलने और कमाने का सिलसिला शुरू हुआ।
बंगाल से नए सफर की शुरुआत
2019 में आकाश ने बंगाल के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू किया। उसी साल उन्होंने लिस्ट-ए और टी20 मैच भी खेले। करियर की शुरुआत में कमर की चोट ने चुनौती दी, लेकिन आकाश ने हार नहीं मानी। फिर वह आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु से जुड़े और अब लखनऊ सुपर जायंट्स का हिस्सा हैं। 2024 में इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टेस्ट में आकाश को जसप्रीत बुमराह की जगह खेलने का मौका मिला। उन्होंने मौके को भुनाते हुए पहली पारी में तीन विकेट लेकर शानदार डेब्यू किया। मैच के बाद उन्होंने बताया कि यह प्रदर्शन उन्होंने अपनी बहन को समर्पित किया है, जो कैंसर से जूझ रही हैं। भावुक आकाश ने कहा, "हर बार जब गेंद हाथ में लेता था, उसकी तस्वीर और विचार सामने आ जाते थे। वह मेरे लिए ताकत बन गई है। मैं यह प्रदर्शन उसे समर्पित करता हूं और कहना चाहता हूं कि बहन, हम सब तुम्हारे साथ हैं।"
आकाश दीप का क्रिकेट करियर
आकाश दीप ने घरेलू क्रिकेट में अपने प्रदर्शन से खुद को साबित किया है। बंगाल की ओर से खेलते हुए उन्होंने अब तक 39 प्रथम श्रेणी मैचों में 138 विकेट झटके हैं। इसके अलावा, 28 लिस्ट ए मैचों में 42 विकेट और 48 टी20 मुकाबलों में 52 विकेट उनके नाम दर्ज हैं।
endulkar–Anderson Trophy