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पैसे के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट से मोहभंग, League Cricket बना पहली पसंद

निकोलस पूरन के इंटरनेशनल क्रिकेट से अचानक संन्यास ने एक बार फिर इस बहस को हवा दे दी है कि खिलाड़ी अब देश की बजाय फ्रेंचाइजी क्रिकेट को क्यों तरजीह दे रहे हैं ?

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Suraj Kumar
Nicolas Pooran, retirement from internationa cricket
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नई दिल्ली, वाईबीएन स्‍पोर्ट्स। क्रिकेट के मैदान पर एक नई कहानी लिखी जा रही है। ये कहानी है इंटरनेशनल क्रिकेट से फ्रेंचाइजी क्रिकेट की ओर पलायन की। कभी देश के लिए खेलने का सपना देखने वाले खिलाड़ी अब आईपीएल, पीएसएल, बीबीएल और सीपीएल जैसे लीग टूर्नामेंट्स में चमक बिखेरने को ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं। ताजा उदाहरण हैं वेस्टइंडीज के निकोलस पूरन, जिन्होंने सिर्फ 29 साल की उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया।

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पूरन का फैसला- देश से पहले लीग क्रिकेट!

निकोलस पूरन ने सोशल मीडिया पर अपने रिटायरमेंट का ऐलान करते हुए लिखा कि वेस्टइंडीज के लिए खेलना उनके जीवन का सपना था, लेकिन अब वो दुनिया भर की लीग्स में अपना करियर आगे बढ़ाना चाहते हैं। IPL 2025 में निकोलस पूरन ने लखनऊ सुपरजायंट्स के लिए धमाकेदार प्रदर्शन किया और 524 रन बनाए, वो भी करीब 200 की स्ट्राइक रेट से।

पूरन अकेले नहीं, कई बड़े नाम इंटरनेशनल क्रिकेट छोड़ चुके हैं

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यह ट्रेंड कोई नया नहीं है। निकोलस पूरन से पहले कई दिग्गज इंटरनेशनल क्रिकेट छोड़ चुके हैं ताकि वे टी20 लीग्स पर फोकस कर सकें

  • एबी डिविलियर्स (दक्षिण अफ्रीका) – 2018 में इंटरनेशनल क्रिकेट छोड़कर IPL में आरसीबी के लिए लगातार खेलते रहे। उन्होंने कहा था कि इंटरनेशनल क्रिकेट का दबाव बहुत ज्यादा होता है।
  • कीरोन पोलार्ड (वेस्टइंडीज) – 2022 में इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहा और फिर मुंबई इंडियंस और CPL में नजर आए।
  • हेनरिक क्लासेन (दक्षिण अफ्रीका) – 33 साल की उम्र में हेनरिक क्लासेन ने भी इंटरनेशनल क्रिकेट छोड़ दिया है। वे भी अब सिर्फ लीग क्रिकेट खेलते ही नजर आएंगे।

आखिर क्यों छोड़ रहे हैं खिलाड़ी इंटरनेशनल क्रिकेट?

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पैसा – लीग क्रिकेट में सिर्फ कुछ मैच खेलकर ही करोड़ों रुपए मिल जाते हैं। इंटरनेशनल क्रिकेट में इतनी कमाई करने में सालों लग जाते हैं।

आराम – देश के लिए खेलने में लगातार सफर और थकान होती है। लीग क्रिकेट में खिलाड़ी आराम से खेल सकते हैं और अपने समय पर ब्रेक भी ले सकते हैं।

नाम  – IPL जैसी लीग में एक छक्का मारो और रातों-रात स्टार बन जाओ। इंटरनेशनल क्रिकेट में ऐसा करने में वक्त लगता है, लेकिन लीग में तुरंत शोहरत मिलती है।

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अब सवाल यही है, क्या आने वाले वक्त में इंटरनेशनल क्रिकेट फ्रेंचाइजी क्रिकेट के आगे पूरी तरह फीका पड़ जाएगा? निकोलस पूरन का फैसला इस बहस को और गहरा कर गया है।

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