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सीरियस इंजरी होने पर रिप्‍लेस हो सकेंगे खिलाड़ी, जानिए क्‍या है BCCI का नया नियम?

BCCI ने घरेलू मल्टी-डे क्रिकेट में गंभीर चोट लगने पर इंजरी रिप्लेसमेंट की अनुमति दे दी है। अब सिर्फ सिर की नहीं, किसी भी गंभीर चोट पर सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी उतारा जा सकेगा।

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Suraj Kumar
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BCCI new Rule
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नई दिल्‍ली, वाईबीएन स्‍पोर्ट्स।भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने घरेलू क्रिकेट के नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए मल्टी-डे फॉर्मेट (जैसे रणजी ट्रॉफी) में इंजरी रिप्लेसमेंट की इजाजत दे दी है। यानी अब अगर किसी खिलाड़ी को मैच के दौरान गंभीर चोट लगती है और वह आगे खेलने की स्थिति में नहीं होता, तो उसकी जगह समान भूमिका निभाने वाला खिलाड़ी मैदान पर उतर सकेगा। यह नियम उन मुकाबलों में लागू होगा जो एक से अधिक दिन तक चलते हैं। यह बदलाव खासकर उस परिस्थिति को देखते हुए किया गया है जिसमें खिलाड़ी मैदान पर गंभीर रूप से चोटिल हो जाते हैं, लेकिन टीम को कोई विकल्प नहीं मिलता।

अब सिर्फ सिर की नहीं, किसी भी गंभीर चोट पर मिलेगा रिप्लेसमेंट

अब तक केवल सिर में चोट (कन्कशन) की स्थिति में रिप्लेसमेंट की अनुमति थी, जैसा कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में होता है। लेकिन अब भारत में घरेलू क्रिकेट में अगर खिलाड़ी को फ्रैक्चर, कंधा उतरना, मांसपेशियों की गंभीर चोट या अन्य किसी गंभीर चोट के चलते मैच से बाहर होना पड़े, तो रिप्लेसमेंट मिल सकेगा। शर्त ये है कि यह चोट मैदान पर खेल के दौरान लगी हो और खिलाड़ी वास्तव में मैच में आगे भाग लेने की स्थिति में न हो।

खिलाड़ियों की प्रतिक्रिया: गंभीर पक्ष में, स्टोक्स ने बताया मजाक 

BCCI के इस फैसले पर खिलाड़ियों की राय बंटी हुई नजर आई। भारत के हेड कोच गौतम गंभीर ने इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि वह इसके पूरी तरह पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि जब मैच रेफरी और अंपायर को यह लगे कि चोट गंभीर है, तो टीम को सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी देना बिल्कुल उचित है। गंभीर ने यह भी जोड़ा कि अगर ऐसा न किया जाए तो टीम को 10 खिलाड़ियों के साथ उतरना पड़ता, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होती। दूसरी ओर, इंग्लैंड के टेस्ट कप्तान बेन स्टोक्स ने इस फैसले की आलोचना की और इसे "मजाक" करार दिया। उन्होंने कहा कि जब कोई टीम अपने 11 खिलाड़ी चुनती है, तो चोट एक स्वाभाविक जोखिम होता है। उन्होंने केवल कन्कशन रिप्लेसमेंट को ही जायज बताया और कहा कि बाकी सभी इंजरी रिप्लेसमेंट पर रोक होनी चाहिए।

अहमदाबाद में अंपायरों की वर्कशॉप में दी गई जानकारी

BCCI ने यह नया नियम अहमदाबाद में चल रही अंपायरों की वर्कशॉप के दौरान सभी मैच अधिकारियों को बताया। बोर्ड ने साफ किया है कि यह नियम केवल मल्टी-डे घरेलू टूर्नामेंट्स में लागू होगा। इसका मतलब है कि सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी और विजय हजारे ट्रॉफी जैसे सफेद गेंद के टूर्नामेंट्स में यह नियम लागू नहीं होगा। IPL में इसे लागू किया जाएगा या नहीं, इस पर अब तक अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। हालांकि, CK नायडू ट्रॉफी (U-19 मल्टी-डे टूर्नामेंट) में यह नियम लागू रहेगा।

नए नियम के तहत रिप्लेसमेंट की प्रक्रिया

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नए नियम के अनुसार, अगर किसी खिलाड़ी को मैदान पर गंभीर चोट लगती है, तो ऑन-फील्ड अंपायर उसका आकलन करेंगे। वह मैच रेफरी और मेडिकल टीम से परामर्श लेकर यह निर्णय ले सकते हैं कि खिलाड़ी आगे खेलने योग्य है या नहीं। इसके बाद टीम मैनेजर को एक फॉर्म भरना होगा जिसमें चोट का विवरण, कैसे और कब लगी, और रिप्लेसमेंट खिलाड़ी का नाम दर्ज होगा। रिप्लेसमेंट खिलाड़ी वही होना चाहिए जो समान भूमिका (लाइक-फॉर-लाइक) निभाता हो। टॉस के समय टीमों को सब्स्टीट्यूट खिलाड़ियों की लिस्ट देनी होगी। रिप्लेसमेंट केवल उन्हीं खिलाड़ियों में से किया जा सकता है जो पहले से लिस्ट में शामिल हों। विकेटकीपर की विशेष स्थिति में, यदि सूची में कोई कीपर नहीं है, तो बाहर से बुलाया जा सकता है।

मैच रेफरी का फैसला अंतिम होगा

रिप्लेसमेंट को लेकर मैच रेफरी का निर्णय अंतिम माना जाएगा। किसी भी टीम को इस पर अपील करने का अधिकार नहीं होगा। एक बार रिप्लेसमेंट मान्य हो गया तो चोटिल खिलाड़ी उस मैच में दोबारा नहीं उतर सकेगा। हालांकि, दोनों खिलाड़ी—चोटिल और रिप्लेसमेंट—मैच रिकॉर्ड में "मैच खेले हुए" माने जाएंगे। साथ ही, रिप्लेसमेंट पर भी वही पेनल्टी, वार्निंग और नियम लागू होंगे जो चोटिल खिलाड़ी पर थे।

शॉर्ट रन को लेकर भी लाया गया नया नियम

BCCI ने शॉर्ट रन से जुड़े नियम में भी बदलाव किया है। अगर बल्लेबाज जानबूझकर शॉर्ट रन लेता है, तो अब फील्डिंग टीम यह तय करेगी कि अगली गेंद पर कौन स्ट्राइकर होगा। यह नियम क्रिकेट इतिहास में पहली बार लागू किया जा रहा है और फिलहाल यह केवल IPL और BCCI के घरेलू टूर्नामेंट्स में ही प्रभावी होगा।

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