नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
2024 के आखिरी में शतरंज के वर्ल्ड चैंपियन बनने वाले भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश को बड़ा झटका लगा है। उन्हें टाटा स्टील मास्टर्स 2025 में भारत के ही ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंदा ने हरा दिया है। वर्ल्ड चैंपियन को हराने के बाद आर प्रज्ञानानंदा की खूब चर्चा हो रही है। इससे पहले भी कई मौकों पर प्रज्ञानंदा खुद को साबित कर चुके हैं। आइए जानते हैं कि आर प्रज्ञानानंदा कैसे भारत के लिए चेस का भविष्य हो सकते है।
कौन हैं आर प्रज्ञानंद?
टाटा स्टील मास्टर्स 2025 में आर प्रज्ञानंद और डी गुकेश के बीच मुकाबला 2 फरवरी को विज्क आन जी (नीदरलैंड) में खेला गया। टाईब्रेक में 19 साल के प्रज्ञानंद ने 18 साल के गुकेश को शिकस्त दे दी। प्रज्ञानंद का जन्म 10 अगस्त 2005 को चेन्नई में हुआ था। उनके पिता का नाम रमेश बाबू और मां का नाम नागलक्ष्मी हैं।
टाईब्रेकर में संघर्षपूर्ण जीत
टाईब्रेकर की शुरुआती दो बाजियों में से प्रज्ञानानंदा ने पहली गंवाई, जबकि दूसरी में शानदार वापसी की। उन्होंने स्वीकार किया कि पहली बाजी ड्रॉ होनी चाहिए थी। दूसरी बाजी में गुकेश अच्छी स्थिति में थे, लेकिन धीरे-धीरे पिछड़ गए। तीसरी और निर्णायक बाजी में प्रज्ञानानंदा ने सफेद मोहरों के साथ रक्षात्मक रुख अपनाया, लेकिन जैसे-जैसे बाजी आगे बढ़ी, उन्होंने कुछ बेहतरीन चालें चलीं। गुकेश ने आक्रामक खेल दिखाने की कोशिश की, लेकिन यह उनके लिए भारी पड़ा और वह संभावित ड्रॉ की बाजी हार गए।
3 साल पहले कार्लसन को दी थी मात
19 साल के प्रज्ञानंद ने 16 साल की उम्र में नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन को भी पटखनी दी है. उन्होंने 2022 में उस समय के वर्ल्ड चैंपियन कार्लसन को ऑनलाइन रैपिड शतरंज टूर्नामेंट एयरथिंग्स मास्टर्स के आठवें दौर में शिकस्त दी थी. इसके बाद उन्होंने कार्लसन को स्टावेंजर 2024 में नॉर्वे शतरंज टूर्नामेंट के तीसरे दौर के दौरान क्लासिकल गेम में भी हरा दिया था.
प्रज्ञानंद ने ये खिताब भी जीते
प्रज्ञानंद ने साल 2013 में वर्ल्ड यूथ चेस चैंपियनशिप अंडर 8 का टाइटल अपने नाम किया था। वहीं साल 2015 में इस भारतीय ग्रैंडमास्टर ने अंदर 10 का टाइटल भी जीता था। वहीं 2023 में उन्होंने शतरंज के वर्ल्ड कप फाइनल में भी जगह बनाई थी। दिग्गज विश्वनाथ आनंद के बाद वो चेस के वर्ल्ड कप फाइनल में एंट्री लेने वाले दूसरे भारतीय बने थे।
मैच के बाद क्या बोले प्रज्ञानानंदा
मैच के बाद अपनी जीत पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रज्ञानानंदा ने कहा, "यह बहुत लंबा दिन था, पहली बाजी ही करीब साढ़े छह घंटे तक चली और फिर ब्लिट्ज बाजी, यह एक अजीब दिन था." इस जीत को खास बताते हुए उन्होंने कहा, "शतरंज की दुनिया में यह एक प्रतिष्ठित टूर्नामेंट है। मैं बचपन से इस प्रतियोगिता को देखता आया हूं। पिछले साल चीजें मेरे मुताबिक नहीं रहीं, इसलिए इस बार मैं पूरी तरह प्रेरित था।"
भविष्य की योजनाएं
प्रज्ञानानंदा जल्द ही प्राग मास्टर्स में खेलते हुए नजर आएंगे। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पिछले छह महीनों में उनके खेल में कुछ खामियां थीं, जिन्हें सुधारने के लिए उन्होंने विशेष रणनीति अपना रहे है। उन्होंने कहा, "मैं जानता था कि मुझसे कहां गलतियां हुई हैं और मुझे किन पहलुओं पर काम करना है। मैंने इस टूर्नामेंट के लिए अपनी शैली में कुछ बदलाव किए और यह सफल रहा।"
भारतीय शतरंज में नया सितारा
प्रज्ञानानंदा की यह ऐतिहासिक जीत भारतीय शतरंज के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उनकी यह सफलता दर्शाती है कि भारत में शतरंज प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है और युवा खिलाड़ी विश्व स्तर पर अपनी छाप छोड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। प्रज्ञानानंदा की इस जीत से साफ है कि वो भारतीय चेस का चेहरा होने वाले है।