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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने एम्स भुवनेश्वर में ग्रुप 'बी' और 'सी' पदों पर भर्ती में फर्जी दस्तावेजों के जरिए भ्रष्टाचार के आरोप में एक प्रशासनिक अधिकारी सहित छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। यह कार्रवाई मार्च 2025 में शुरू हुई प्रारंभिक जांच के बाद की गई, जिसमें भर्ती प्रक्रिया में व्यापक अनियमितताओं का खुलासा हुआ।
धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार का मामला दर्ज
CBI ने एम्स-भुवनेश्वर के सहायक प्रशासनिक अधिकारी सुधीर कुमार प्रधान, श्रुति सागर कर, उनकी पत्नी राजश्री पांडा, संग्राम मिश्रा, साई सागर कर और संबित मिश्रा के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार के आरोपों में मामला दर्ज किया है। एजेंसी का आरोप है कि श्रुति सागर कर, जो ‘बॉम्बे इंटेलिजेंस सिक्योरिटी (इंडिया) लिमिटेड’ में कार्यरत हैं, ने अपने परिवार और रिश्तेदारों को एम्स में स्थायी नौकरी दिलाने के लिए साजिश रची। 1 जुलाई 2023 को विज्ञापित पदों के लिए फर्जी शैक्षिक योग्यता और कार्य अनुभव प्रमाण पत्रों का उपयोग किया गया।
जाली प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए
जांच में सामने आया कि आरोपियों ने ‘श्री कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज, गाजियाबाद’ के नाम से जाली प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए, जबकि जांच में यह पाया गया कि न तो ऐसा कोई कॉलेज अस्तित्व में है और न ही वह एलाइड हेल्थकेयर काउंसिल ऑफ इंडिया से संबद्ध है। इसके अलावा, गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज से कथित तौर पर प्राप्त कार्य अनुभव प्रमाण पत्र — जैसे सेनेटरी इंस्पेक्टर और मेडिकल रिकॉर्ड टेक्नीशियन पदों के — भी फर्जी पाए गए। ये दस्तावेज श्रुति सागर कर द्वारा तैयार कराए गए थे, जिन्होंने कथित रूप से अन्य आरोपियों के साथ मिलकर भर्ती प्रक्रिया से समझौता किया। CBI ने पूरे मामले की गहन जांच शुरू कर दी है और आगे और गिरफ्तारियां या खुलासे होने की संभावना है।