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राहुल से बैठक के बाद बोले तेजस्वी- बातचीत करके तय कर लेंगे मुख्यमंत्री पद का चेहरा

बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी अब रफ्तार पकड़ चुकी है। इसी कड़ी में मंगलवार को दिल्ली में एक महत्वपूर्ण सियासी बैठक का आगाज़ हुआ है। बैठक में शामिल हैं तेजस्वी यादव, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, और नेता प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी।

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YBN News
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Tejswai meet Rahul Kharge
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नई दिल्ली/पटना, वाईबीएन संवादाता। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ बैठक के बाद कहा कि बिहार में ‘महागठबंधन’ के घटक दल बातचीत करके मुख्यमंत्री पद के चेहरे के बारे में फैसला कर लेंगे। उन्होंने कहा बातचीत अच्‍छी रही और हम बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने जा रही है। साथ ही कहा कि बिहार के साथ सौतेला व्‍यवहार होता रहा है और नीतीश कुमार हाईजैक हो चुके हैं। बिहार विधानसभा चुनाव के लिए उठापटक शुरू हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की. बैठक के बाद तेजस्‍वी यादव ने बताया कि बातचीत अच्‍छी रही और हम बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने जा रही है. साथ ही कहा कि बिहार के साथ सौतेला व्‍यवहार होता रहा है और नीतीश कुमार हाईजैक हो चुके हैं। 

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बिहार में ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों के गठजोड़ को ‘महागठबंधन’ के नाम से जाना जाता है। अब इसके घटक दलों की अगली बैठक 17 अप्रैल को पटना में होगी। सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के तालमेल समेत गठबंधन से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई है। खरगे के आवास पर हुई इस बैठक में कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजेश कुमार तथा राजद नेता मनोज झा और संजय यादव भी उपस्थित थे।। politics | bihar politics | Bihar politics 2025 | politics news

यह हाई-प्रोफाइल बैठक खरगे के आवास पर हो रही है, जहां मौजूद हैं बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू और बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम भी। बैठक में महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर चर्चा हुई। पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार महागठबंधन में घटक दलों की संख्या काफी अधिक है। पिछले चुनाव में वामदल, कांग्रेस और राजद इस गठबंधन में थे, वहीं इस चुनाव में अब तक के समीकरणों के अनुसार मुकेश सहनी और पशुपति नाथ पारस की पार्टी भी इस गठबंधन का हिस्सा हो सकती है। ऐसे में सीटों के बंटवारे को लेकर माथापच्ची की संभावना है। हालांकि जानकारी के अनुसार, कांग्रेस इस चुनाव में जीतने वाली सीटें राजद से चाहती है। कांग्रेस इस चुनाव में लालू के गेम 30 को बदलना चाहती है।  

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70 सीटों की मांग और सीएम फेस पर पेच

कांग्रेस आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 70 सीटों की मांग कर रही है। हालांकि राजद इस पर कितना राज़ी होगा, यह आज की बैठक के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। बैठक में चर्चा केवल सीट बंटवारे तक सीमित नहीं है। मुख्यमंत्री पद के चेहरे (CM Face) को लेकर भी गहन विचार-विमर्श जारी है। क्या तेजस्वी यादव फिर से महागठबंधन का चेहरा होंगे या कांग्रेस कोई नया विकल्प सुझाएगी — इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं। कांग्रेस राजद के गठबंधन में यह पहली मर्तबा हो रहा है जब सीट के शेयरिंग के लिए तेजस्वी यादव कांग्रेस के नेताओं से बातचीत कर रहे हैं। कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे हैं, वहीं राजद की तरफ से तेजस्वी यादव बैठक में होंगे।  

2020 की पटकथा और 2025 की रणनीति

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गौरतलब है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद और बंधन कांग्रेस महागठका हिस्सा थे, लेकिन सीट बंटवारे और प्रदर्शन को लेकर दोनों दलों के बीच तनाव की स्थिति बनी थी। इस बार कांग्रेस पहले से अधिक सीटें चाह रही है, जबकि राजद अपने प्रदर्शन के आधार पर दबदबा बनाए रखना चाहती है। कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना रहा है कि राजद के साथ गठबंधन में कांग्रेस को ऐसी 30 सीटें दी जाती रही है, जहां उसे सहयोगी दलों से कोई लाभ नहीं मिलता है और ये सीटें परंपरागत तौर पर एनडीए की सीटें रही हैं। कांग्रेस चाहती है कि बिहार में उसे ऐसी सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए मिले जहां जीत की संभावना अधिक हो। जानकारों का मानना है कि राहुल गांधी तेजस्वी यादव के सामने जीतने वाली सीटों की मांग रख सकते हैं।

कैसा था पिछले चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को गठबंधन के तहत 70 सीटें मिली थी। जिनमें से 30 ऐसी सीटें थी, जहां कांग्रेस की अच्छी पकड़ नहीं मानी जाती है। कांग्रेस ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2015 के चुनाव में कांग्रेस को गठबंधन से 41 सीटें मिली थी, जिनमें कांग्रेस ने 27 सीटों पर जीत हासिल की थी।  कांग्रेस इस चुनाव में चाहती है कि उसे अधिक से अधिक जीतने वाली सीटे मिले।

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3 दशक पुराना है राजद और कांग्रेस का गठबंधन

राजद के गठन के बाद से ही राजद को विधानसभा के अंदर कांग्रेस का साथ मिलता रहा है। राबड़ी देवी की सरकार को बचाने के लिए कांग्रेस के विधायकों ने राजद को समर्थन दिया था, लेकिन लोकसभा चुनाव में गठबंधन के बाद भी विधानसभा चुनाव में दोनो दल कई बार अलग-अलग चुनाव लड़ते रहे हैं। बिहार की राजनीति में पिछले 3 दशकों में लालू यादव की पकड़ मजबूत बनने के बाद राजनीतिक तौर पर सबसे अधिक नुकसान कांग्रेस होता रहा है। कांग्रेस के आधार वोट धीरे-धीरे भाजपा और राजद की तरफ शिफ्ट हो गए। हालांकि पार्टी की तरफ से कई बार लालू यादव की छाया से बाहर निकलने के प्रयास होते रहे हैं। लेकिन प्रयास या तो अधूरे रह गए हैं या केंद्र की राजनीति की मजबूरी में कांग्रेस को हथियार डालना पड़ा है।

 

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