Delhi Election: अब केजरीवाल ने दिल्ली में खेला जाट आरक्षण का 'खेल'
अरविंद केजरीवाल ने जाट आरक्षण के तार छेड़कर विधानसभा चुनाव गरमा दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित लैटर सोशल मीडिया साइट एक्स पर शेयर करके कहा है कि भाजपा पिछले 10 साल से जाट समुदाय को धोखा दे रही है।
आम आदमी पार्टी संयोजक एवं दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जाट आरक्षण के तार छेड़कर चुनाव में इस प्रभावी समुदाय को साधने की कोशिश की है। केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित लैटर सोशल मीडिया साइट एक्स पर शेयर करके कहा है कि भाजपा पिछले 10 साल से जाट समुदाय को धोखा दे रही है। उनका यह बयान इसलिए भी सियासी हलकों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि नई दिल्ली सीट पर भाजपा ने उनके खिलाफ प्रमुख जाट चेहरे प्रवेश वर्मा को मैदान में उतारा है। प्रवेश वर्मा, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहब सिंह वर्मा के पुत्र हैं और दिल्ली की राजनीति में एक प्रभावशाली नेता के तौर पर उभरे हैं।
Photograph: (x)
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पीएम मोदी को याद दिलाया वादा
केजरीवाल ने पीएम मोदी को लिए पत्र में जाट आरक्षण का मुद्दा उठाते हुए कहा है कि केंद्र की सरकार किसी कॉलेज, यूनिवर्सिटी या संस्था में जाट समुदाय को आरक्षण नहीं मिल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को सिर्फ चुनाव के वक्त ही जाट समाज की याद आती है। केजरीवाल ने सवाल उठाया है कि हैरानी है कि दिल्ली में राजस्थान के जाट समाज के व्यक्ति को आरक्षण का लाभ मिलता है, लेकिन दिल्ली के जाट समाज को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता। हालांकि दिल्ली राज्य की ओबीसी सूची में पांच और जातियां हैं, जो केंद्र की ओबीसी सूची में नहीं है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी मुद्दों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि भाजपा दिल्ली के मतदाताओं को गुमराह कर रही है।
जाट समाज केंद्र की लिस्ट में शामिल न करने से नाराज
अरविंद केजरीवाल ने पीएम को लिखे लैटर में दिल्ली के जाट समुदाय के लोगों को ओबीसी की सूची में शामिल किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि आपने(पीएम) दिल्ली के जाट समुदाय को सरासर धोखा दिया है। इसलिए जरूरी है कि दिल्ली में ओबीसी का दर्जा प्राप्त जाटों व अन्य सभी जातियों को केंद्र की ओबीसी लिस्ट में जारी किया जाए। पत्र में उल्लेख किया है कि आपने 10 साल पहले जाटों को ओबीसी की सूची में शामिल करने का वादा किया था, उसकी याद दिलाने के लिए ही आपको(पीएम) को पत्र लिख रहा हूं। केजरीवाल ने पीएम को लिखे पत्र में ध्यान दिलाया है कि मेरी दिल्ली के जाट समुदाय के कई प्रतिनिधियों से मुलाकात हुई, इन सभी ने केंद्र की ओबीसी लिस्ट में दिल्ली के जाट समुदाय की अनदेखी किए जाने पर चिंता व्यक्त की है। जाट समाज के प्रतिनिधियों ने मुझे बताया कि आपने 26 मार्च 2015 को दिल्ली के जाट समाज के प्रतिनिधियों को अपने घर बुलाकर वादा किया था कि जाट समाज जो दिल्ली की ओबीसी लिस्ट में, उसे केंद्र की ओबीसी लिस्ट में जोड़ा जाएगा। ताकि उन्हें दिल्ली में केंद्र सरकार के कॉलेजों और नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिल सके।
आप संयोजक एवं पूर्व मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि 8 फरवरी को गृहमंत्री अमित शाह ने उप्र चुनाव से पहले चौ. बीरेंद्र सिंह के घर पर दिल्ली और देश के अन्य राज्यों के जाट नेताओं की बैठक बुलाई और उनसे वादा किया कि जो राज्य की सूची में जो ओबीसी जातियां हैं, उनको केंद्र की लिस्ट में जोड़ा जाएगा। इसी तरह 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दिल्ली में फिर भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा के आवास पर अमित शाह ने जाट नेताओं से मुलाकात की और वादा किया कि जाट समाज को केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल किया जाएगा, लेकिन चुनाव के बाद भी उन्होंने अपना यह वादा पूरा नहीं किया गया। केजरीवाल ने सवाल किया कि राजस्थान के जाट समुदाय के छात्रों को दिल्ली विश्वविद्यालय में आरक्षण मिलता है, तो दिल्ली के जाट समाज को क्यों नहीं मिलता है? केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल नहीं होने से जाट समाज के हजारों बच्चों को डीयू में दाखिला नहीं मिलता है।
नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ रहे आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल इस बार त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हुए हैं। भाजपा ने प्रमुख जाट चेहरा सांसद प्रवेश वर्मा को मैदान में उतारकर केजरीवाल को चुनौती दी है, जबकि कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे और पूर्वी दिल्ली से सांसद रहे संदीप दीक्षित को टिकट दिया है। संदीप दीक्षित, पार्टी में इकलौते कांग्रेस के ऐसे नेता है, जो अरविंद केजरीवाल के कट्टर प्रतिद्वंदी माने जात रहे हैं। संदीप दीक्षित हमेशा केजरीवाल के खिलाफ मुखर होकर बोलते रहे हैं।