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Delhi Election: पूर्वांचलियों का मुद्दा क्या भाजपा को पहुंचाएगा फायदा, जानिए गणित

भाजपा ने पूर्वांचलवासियों को लेकर अरविंद केजरीवाल के बयान को लपक लिया है और इसे बड़ा मुद्दा बना रही है। हालांकि 2020 में भी इसे मुद्दा बनाया गया, लेकिन भाजपा को कामयाबी नहीं मिल पाई थी...जानिए क्या हैं समीकरण

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Mukesh Pandit
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Delhi election

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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद जिस तरह राजनीतिक बयानबाजी तेज हुई है, उससे राजनीति का पारा हाई हो गया है। भाजपा ने पूर्वांचलवासियों को लेकर अरविंद केजरीवाल के बयान को लपक लिया है और इसे बड़ा मुद्दा बना रही है। हालांकि 2020 के विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने पूर्वांचलवासियों को लेकर बयान दिया था। भाजपा ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया, लेकिन जब रिजल्ट आया तो आम आदमी पार्टी को 70 में 62 सीटों पर जीत मिली और भाजपा की झोली में मात्र आठ सीटें आईं।

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2020 में भाजपा के काम नहीं आया पूर्वांचलियों का मुद्दा

आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग 500 रुपये का टिकट लेकर ट्रेन में सफर करके दिल्ली आते हैं और पांच लाख तक का मुफ्त इलाज करवा कर चले जाते हैं। उन्होंने अपने हेल्थ मॉडल का उल्लेख करते हुए यह बात की थी। भाजपा ने 2020 में इसे बड़ा मुद्दा बना लिया था, हालांकि राजनीतिक रूप से भाजपा को इसका लाभ नहीं मिल सका था। उन्हें आठ ही सीटें मिलीं। स्पष्ट है कि पूर्वांचलियों को लेकर केजरीवाल के बयान का चुनाव में कोई असर नहीं हुआ। परंतु इस बार भाजपा पूर्वांचलियों को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती और आम आदमी पार्टी की चौतरफा घेराबंदी में जुटी है।

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पूर्वांचलियों को लेकर पोस्टरवार

पोस्टरवार में भी भाजपा केजरीवाल को पूर्वांचलियों का दुश्मन बताकर उनकी नजर में खलनायक बना रही है। उत्तर प्रदेश के मु्ख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर चिराग पासवान, जेडीयू के ललन सिंह को भी भाजपा के लिए मैदान में उतरकर फिल्डिंग करनी पड़ रही है। दरअसल, भाजपा पूर्वांचल के अपमान को मुद्दा बनाकर जाट आरक्षण के केजरीवाल के जातीय कार्ड का नेरेटिव बदलना चाहती है। इसी तरह पुजारी-ग्रंथी को 18000 रुपये महीने देने की केजरीवाल की घोषणा के बाद जाट आरक्षण की पॉलिटिकल लड़ाई के आगे पूर्वांचल वोटों पर केजरीवाल की पकड़ को भाजपा खत्म करना चाहती है। 

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40 प्रतिशत सीटों पर पूर्वांचलियों का प्रभाव

राजधानी दिल्ली की 70 में से 40 प्रतिशत सीटों पर निर्णायक भूमिका रखने वाले पूर्वांचली वोटर्स को हरेक पार्टी अपने साथ रखना चाहती है। वैसे भी दिल्ली को देश की राजधानी होने के साथ प्रवासियों का शहर कहा जाता है। यहां लोग कामधंधे से लेकर नौकरी की तलाश में उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा राजस्थान से आते हैं। दिल्ली की कुल आबादी में लगभग 40 प्रतिशत प्रवासी उत्तर प्रदेश, बिहार  और देश के अलग-अलग राज्यों से रोजगार व कामधंधे की तलाश में आते हैं और यहीं आकर बस भी जाते हैं।

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दिल्ली में 42 प्रतिशत पूर्वांचली वोटर

दिल्ली में लगभग 42 प्रतिशत वोटर पूर्वाचंली हैं, और लगभग आधी सीटों पर हार-जीत का फर्क भी डालते हैं। बुराड़ी, लक्ष्मीनगर, पटपड़गंज, राजेंद्क नगर, बादली, मॉ़डल टाउन, घोंडा, करावल नगर, किराड़ी, रिठाला, छतरपुर, द्वारका, पालम, विकासपुरी, बदरपुर, संगम विहार और जनकपुरी जैसी विधानसभा सीटों पर पूर्वांचली वोटर जिधर का रूख करता है,  उसी की जीत को तय माना जाता है। याद दिला दें कि संसद में जेपी नड्डा के बयान को लेकर आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने आरोप लगाया था कि उन्होंने(नड्डा) ने पूर्वांचलियों को बांग्लादेशी और रोहिंग्या कहा था। भाजपा अरविंद केजरीवाल के बयान को आधार बनाकर काउंटर अटैक  कर रही है। केजरीवाल ने कहा था कि उनकी विधानसभा में पंद्रह दिन में 13 हजार नए वोटर जुड़ गए, उन्होंने कहा कि यूपी-बिहार से लाकर लोगों को इसमें जोड़ा गया। इस बयान को भाजपा ने तुरंत लपका और मुद्दा बना दिया है। इसके लिए भाजपा ने पूर्वांचली सांसद मनोज तिवारी को आगे किया है।

दिल्ली चुनाव 2025
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