नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। स्वास्थ्य सेवा खरीद में गड़बड़ी को ठीक करने के लिए दिल्ली की भाजपा ने बड़ा फैसला लिया है। अब दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों को दवाइयां, मेडिकल उपकरण और अन्य सामग्री केवल सेंट्रल प्रोक्योरमेंट एजेंसी (CPA) के माध्यम से ही खरीदनी होंगी। दिल्ली सरकार ने राजधानी के सभी सरकारी अस्पतालों में खरीदारी की पूरी जिम्मेदारी सेंट्रल प्रोक्योरमेंट एजेंसी को सौंप दी है। इससे डॉक्टरों और चिकित्सा स्टाफ का समय बचेगा और संसाधनों का बेहतर और पारदर्शी इस्तेमाल होगा।
CPA संभालेगा खरीदारी का जिम्मा
यह आदेश लंबे समय से कीमतों में हो रही बढ़ोतरी, ऑडिट में अनियमितताएं और GeM तथा सीधे विक्रेताओं से बिखरी खरीददारी को देखते हुए जारी किया गया है। अब से अस्पताल अपनी आवश्यकताओं की जानकारी CPA को देंगे, जो पूरी खरीद प्रक्रिया पारदर्शी और प्रभावी ढंग से संभालेगा। दिल्ली सरकार के एक प्रवक्ता के मुताबिक, "यह निर्णय मरीजों के लाभ को ध्यान में रखकर लिया गया है। अब डॉक्टर मरीजों के साथ ज्यादा समय बिता सकेंगे, जिससे इलाज की गुणवत्ता में सुधार होगा।"
इस फैसले से क्या फायदा होगा?
- कीमतों में कमी- बड़े पैमाने पर खरीद से लागत घटेगी
- भ्रष्टाचार के रास्ते बंद- CPA पूरी ऑडिट पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा
- समय पर सप्लाई- अस्पतालों को जरूरत के अनुसार सामान मिलेगा
- डॉक्टरों और स्टाफ का काम आसान- वे मरीजों की देखभाल पर ध्यान दे सकेंगे
- एक मानक- सभी अस्पतालों में दवाइयों और उपकरणों की गुणवत्ता समान रहेगी
- प्रक्रियाएं तेज़- नौकरशाही और अनावश्यक देरी से बचाव होगा।
भाजपा सरकार ने 1984 में की थी CPA की स्थापना
आपको बता दें कि यह कदम 1994 में तत्कालीन बीजेपी सरकार द्वारा शुरू की गई सेंट्रल प्रोक्योरमेंट एजेंसी (CPA) की स्थापना की प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है। CPA का उद्देश्य था कि दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों के लिए एक समान, पारदर्शी और गुणवत्ता आधारित खरीद प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए। इस बदलाव को दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक नई शुरुआत माना जा रहा है, जो आने वाले समय में मरीजों को उच्च गुणवत्ता वाली सेवा मुहैया कराएगा। bjp | rekha gupta | delhi news | Delhi government