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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।दिल्ली के जंतर- मंतर पर शनिवार को सैकड़ो अभिभावकों ने फीस बढ़ोत्तरी को लेकर धरना प्रदर्शन किया। यूनाइटेड पेरेंट्स वॉयस (यूपीवी) के बैनर तले किए गए इस धरना प्रदर्शन में 37 स्कूलों के सैकड़ो अभिभावकों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की। अभिभावकों ने स्कूलों पर मनमानी फीस लेने का अरोप लगाया है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार के (Fee Regulation Ordinance) शुल्क विनियमन अध्यादेश 2025 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। पैरेंट्स ने आरोप लगाया कि यह अध्यादेश बिना उचित परामर्श के लागू किया गया, जो शिक्षा में पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है। इसके साथ ही माता- पिता ने निजी स्कूलों द्वारा छात्रों के उत्पीड़न और गैरजरूरी फीस वसूलने के खिलाफ आवाज उठाई।
अभिभावकों की चार प्रमुख मांगें
- शुल्क विनियमन अध्यादेश 2025 को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए, क्योंकि यह बिना किसी सार्वजनिक या विशेषज्ञ परामर्श के लागू किया गया है।
- निजी स्कूलों द्वारा उन छात्रों को मानसिक या प्रशासनिक रूप से प्रताड़ित करने पर सख्त रोक लगे, जो शिक्षा विभाग द्वारा स्वीकृत शुल्क नहीं चुका पा रहे हैं।
- निजी शिक्षण संस्थानों को निर्देशित किया जाए कि वे शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देशों का कठोरता से पालन करें और किसी भी प्रकार की अनधिकृत शुल्क वृद्धि को तत्काल वापस लें।
- निजी स्कूलों और उनसे जुड़े संगठनों की वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु CAG (कैग) और फोरेंसिक ऑडिट कराया जाए, ताकि आय और व्यय की पूरी जांच हो सके।
मुख्यमंत्री से आश्वासन के बाद भी नहीं मिला जवाब
प्रदर्शन कर रहे अभिभावकों में से एक, आज़ाद सिंह ने बताया कि 30 जून को उन्होंने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से मुलाकात के लिए तीन घंटे से अधिक इंतजार किया, लेकिन मुलाकात संभव नहीं हो सकी। हालांकि यूपीवी (UPV) के एक प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री से मिलने की अनुमति दी गई थी, जिसके बाद उन्होंने अभिभावकों को बातचीत का आश्वासन दिया था। लेकिन दो ईमेल भेजने के बावजूद कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इससे निराश होकर अभिभावकों ने जंतर-मंतर पर एकत्र होकर अपनी मांगों को फिर से पुरज़ोर ढंग से उठाया।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद भी निजी स्कूल नहीं सुधरे
नया समाज पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष मीनाक्षी ने बताया कि फीस वृद्धि के मुद्दे को लेकर अभिभावक सुप्रीम कोर्ट तक जा चुके हैं। इसके बावजूद कई छात्रों के नाम स्कूलों द्वारा काट दिए गए। कोर्ट में मामला पहुंचने के बाद कुछ छात्रों के नाम तो वापस जोड़ दिए गए, लेकिन अब दूसरे बैच के बच्चों को निशाना बनाया जा रहा है, जिससे अभिभावक भारी तनाव में हैं। प्रदर्शन कर रहे अभिभावकों ने दोहराया कि निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करती। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को छात्रों और अभिभावकों के हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
वहीं, कई अन्य अभिभावकों ने शिक्षा के बढ़ते व्यापारीकरण पर चिंता जताते हुए कहा कि शिक्षा को सिर्फ मुनाफे का जरिया न बनाया जाए, बल्कि इसे जनहित में सेवा के रूप में देखा जाए।