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काला जादू करने के लिए हत्यारोपी सर्जन ने अदालत में फेंके चावल

हत्या के मुकदमे का सामना कर रहे एक सर्जन ने अदालत कक्ष के फर्श पर चावल फेंके। माना जा रहा है कि काला जादू करने के लिए उसने ऐसा किया। अदालत ने उसे कार्यवाही में बाधा डालने का दोषी ठहराया। चंदर विभाष पर 2011 में हुई हत्या का आरोप है।  

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Shailendra Gautam
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कःदिल्ली में हत्या के मुकदमे का सामना कर रहे एक सर्जन ने सोमवार को अदालत कक्ष के फर्श पर चावल फेंके। माना जा रहा है कि काला जादू करने के लिए उसने ऐसा किया। अदालत ने उसे कार्यवाही में बाधा डालने का दोषी ठहराया। आरोप है कि चंदर विभाष ने 2011 में पश्चिमी दिल्ली के हरि नगर में एक हत्या की थी। मुकदमे में फिलहाल गवाही चल रही है। हालांकि आरोपी ने घुटनों पर बैठकर अपनी हरकत के लिए माफी मांगी लेकिन अदालत ने कहा कि इस तरह की चीजें न्यायिक प्रक्रिया को कमजोर करती हैं।

तीस हजार कोर्ट में हुई अनूठी घटना

यह घटना तीस हजारी कोर्ट के एक कोर्ट रूम के अंदर एडिशनल सेशन जज शेफाली बरनाला टंडन के सामने हुई। ये तब हुआ जब जज ब्रॉडबैंड नेटवर्क के नोडल अधिकारियों को रिकॉर्ड के साथ तलब कर रही थीं।  आरोपी अदालत में मौजूद था। उसी दौरान कर्मचारियों और वकीलों ने आरोपी को मंच के नीचे फर्श पर कुछ चावल फेंकते देखा।

चावल क्यों फेंके- नहीं बता पाया आरोपी

जज के पूछने पर आरोपी ने बताया कि उसके हाथ में कुछ चावल थे जो अभी-अभी गिरे थे। हालांकि, अदालत ने कहा कि वह यह बताने में नाकाम रहा कि अदालत में घुसने और कार्यवाही के दौरान उसके हाथ में चावल क्यों थे। जज ने कहा- अदालत के कुछ कर्मचारियों ने बताया है कि 2 अगस्त को जब अदालत छुट्टी पर थी, अदालत के फर्श पर भी चावल मिले थे। विभाष ने जवाब दिया कि वह उस दिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में मौजूद थे, लेकिन रीडर ने अदालत को बताया कि विभाष उस दिन अदालत कक्ष में मौजूद था।

चावलों को देख वकील भी खौफजदा हुए

जज ने कहा- अदालत कक्ष पूरी तरह से भरा हुआ है और अदालत में मौजूद वकीलों ने चावल हटाने की मांग की है, क्योंकि उनको डर लग रहा है। अदालत ने आरोपी को निर्देश दिया कि वह फर्श पर फेंके गए चावल को इकट्ठा करे और उसे सफाई कर्मचारियों से साफ करवाए। अदालत ने कहा कि वकीलों को आरोपी पर काला जादू करने का संदेह था, इसलिए कार्यवाही कुछ देर के लिए रोक दी गई थी। 

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कैद के साथ दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया

अदालत ने कहा- अदालत के प्रति अनादर या न्यायिक कार्यवाही में बाधा डालना एक गलत संदेश देता है। आरोपी की इस तरह की हरकत ने न केवल अदालती कार्यवाही को बाधित किया और न्यायिक प्रक्रिया को कमजोर किया, बल्कि हमारी न्याय व्यवस्था की बुनियाद को भी ख़तरे में डाल दिया। अदालत ने आरोपी को भारतीय न्याय संहिता की धारा 267 (न्यायिक कार्यवाही के दौरान किसी लोक सेवक का जानबूझकर अपमान करना या उसके काम में बाधा डालना) के तहत दोषी ठहराया। उसे अदालत के उठने तक कारावास की सजा के साथ ही 2 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। surgeon in court | court | civil court | Delhi Court 

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