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क्लाउड पार्टिकल घोटाले में ED की कार्रवाई, 10 ठिकानों पर छापेमारी में नकदी और करोड़ों की संपत्ति जब्त

ईडी ने हजारों करोड़ रुपये के ‘क्लाउड पार्टिकल घोटाले’ में कार्रवाई करते हुए पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र में 10 ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान कुल 73.72 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई।

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Ranjana Sharma
ED का अंडमान और निकोबार में छापा : क्या है कोऑपरेटिव बैंक घोटाला? | यंग भारत न्यूज

ED का अंडमान और निकोबार में छापा : क्या है कोऑपरेटिव बैंक घोटाला? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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जालंधर, आईएएनएस: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हजारों करोड़ रुपए के 'क्लाउड पार्टिकल घोटाला' मामले में 10 ठिकानों पर छापे मारे हैं। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र में अलग-अलग जगहों पर की गई। ईडी ने बताया कि तलाशी अभियान के दौरान कुल 73.72 करोड़ रुपए की बरामदगी हुई है, जिसमें नकदी, संपत्ति और शेयर शामिल हैं। ईडी के मुताबिक, करीब 23.90 लाख रुपए की नकदी, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और अन्य दस्तावेज बरामद किए गए हैं। इसके अलावा, 63.49 करोड़ रुपए के शेयर और 9.99 करोड़ रुपए की अचल संपत्तियां जब्त की गई हैं।

क्लाउड पार्टिकल घोटाले' की साजिश रची

ईडी (जालंधर क्षेत्रीय कार्यालय) की टीम ने उत्तर प्रदेश की नोएडा पुलिस और पंजाब पुलिस की ओर से बीएनएस-2023 के प्रावधानों के तहत दर्ज अलग-अलग प्राथमिकियों के आधार पर मामले की जांच शुरू की थी। जांच के दौरान यह पता चला कि व्यूनाउ समूह के सीईओ और संस्थापक सुखविंदर सिंह खरौर ने अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ मिलकर कई हजार करोड़ रुपए के 'क्लाउड पार्टिकल घोटाले' की साजिश रची और निवेशकों को उनकी गाढ़ी कमाई निवेश करने के लिए लुभाया, जिसके जरिए बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया। प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, बिक्री और लीज-बैक मॉडल (एसएलबी मॉडल) पर आधारित 'क्लाउड पार्टिकल' का मूल व्यवसाय अस्तित्वहीन था। कंपनी के पास क्लाउड पार्टिकल्स किराए पर लेने वाले कोई असली ग्राहक नहीं थे। किसी भी डेटा सेंटर से कोई किराया नहीं मिला। यह पूरा बिजनेस एक मनी रोटेशन स्कीम मात्र था।

ईडी ने इस मामले में 3 बार मारे थे छापे

ईडी ने कहा कि जब जांच शुरू की गई तो व्यूनाउ समूह की ओर से किसी भी निवेशक को किराया मिलना भी बंद हो गया, क्योंकि न नए निवेशक आए और न ऐसा कोई ग्राहक मिला, जो व्यूनाउ समूह को किराया दे सके और जिसे आगे संपत्ति मालिकों (निवेशकों) को भुगतान किया जा सके। इससे पहले, पीएमएलए के प्रावधानों के तहत ईडी ने इस मामले में 3 बार छापे मारे थे। इसी साल 6 फरवरी को अनंतिम कुर्की आदेश के तहत लगभग 178.12 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई। ईडी ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए 28 फरवरी 2025 को मुख्य आरोपी सुखविंदर सिंह खरौर और डिंपल खरौर को गिरफ्तार किया था। हालांकि, इससे पहले 24 फरवरी को भी एक आरोपी आरिफ निसार की गिरफ्तारी हुई थी।
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