Advertisment

भयानक प्रदूषण में खेल प्रतियोगिताएं कराना बच्चों को गैस चैंबर में डालने के समान, क्यों भड़का सुप्रीम कोर्ट?

अदालत ने कहा कि नवंबर और दिसंबर के दौरान, जब प्रदूषण का स्तर अपने चरम पर होता है, ऐसी गतिविधियों की अनुमति देना "स्कूली बच्चों को गैस चैंबर में डालने के समान" है। ऐसे में खेल गतिविधियों को सुरक्षित महीनों में करने का निर्देश दिया

author-image
Mukesh Pandit
Delhi Pollution

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क दिल्ली में बिगड़ते वायु प्रदूषण के मद्देनजर, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) से स्कूलों में खेल गतिविधियों को प्रदूषण-सुरक्षित महीनों में स्थानांतरित करने के निर्देश जारी करने को कहा। अदालत ने कहा कि नवंबर और दिसंबर के दौरान, जब प्रदूषण का स्तर अपने चरम पर होता है, ऐसी गतिविधियों की अनुमति देना "स्कूली बच्चों को गैस चैंबर में डालने के समान" है। भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ का यह निर्देश तब आया जब न्यायमित्र ने अदालत को बताया कि दिल्ली सरकार ने उन दो महीनों के दौरान अंडर-16 और अंडर-14 छात्रों के लिए अंतर-क्षेत्रीय खेल प्रतियोगिताएँ निर्धारित की हैं, जब वायु गुणवत्ता सबसे खराब होती है।

प्रदूषण से निपटने के लिए दीर्घकालिक उपाय करें

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ रहे प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, प्रदूषण से निपटने के लिए दीर्घकालिक उपाय करने होंगे। हम आदेश देंगे कि यह न्यायालय मासिक आधार पर प्रदूषण की स्थिति की गहन समीक्षा करे। स्कूलों में खेल संबंधि गतिविधियों को सुरक्षित महीनों में शिफ्ट कर देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में बढ़ रहे प्रदूषण को देखते हुए अब हर माह इस पर नियमित सुनवाई होगी। अदालत ने स्पष्ट किया कि CAQM द्वारा दाखिल एक्शन-टेकन रिपोर्ट की मासिक आधार पर समीक्षा की जाएगी। एमिक्स क्यूरी अपराजिता सिंह ने बताया, नवंबर-दिसंबर के दौरान जब प्रदूषण अपने चरम पर होता है, तब बच्चों की कई प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं।

बच्चों की खेल प्रतियोगिताएं तब हो, जब प्रदूषण नहीं हो

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने से कहा, बच्चों की खेल प्रतियोगिताएं ऐसे महीनों में आयोजित की जब AQI बेहतर हो। ग्रैप उपायों पर भी कोर्ट की सहमति है। सीजीआई बीआर गवई ने कहा कि सीएक्यएम ने एक प्रस्ताव दिया है कि ग्रैप-III के तहत लगने वाले प्रतिबंधों को ग्रैप-II पर शिफ्ट करने का विचार है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर पहले ही कठोर कदम उठाए जा सकें। प्रदूषण कम करने के लिए कोई भी प्रतिबंधात्मक कदम स्वागतयोग्य है, लेकिन सीएक्यूएम को सभी हितधारकों से विचार-विमर्श करना होगा। सुनवाई के दौरान निर्माण मजदूरों के संघ की ओर से कहा गया कि ग्रैप लागू हुए एक हफ़्ता से अधिक हो गया है, लेकिन अभी तक मज़दूरों को ‘सब्सिस्टेंस अलाउंस' नहीं मिला है। 

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से मांगा जवाब

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, यूपी और राजस्थान से जवाब मांगा कि ग्रैप लागू होने पर मज़दूरों को मिलने वाले भत्ते की व्यवस्था क्यों नहीं हुई? एएसजी ऐश्वर्या भट्टी ने बताया कि पर्यावरण मंत्रालय ने एक बैठक की है, जिसमें दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, यूपी, राजस्थान के मुख्य सचिवों और वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। केंद्र ने कम अवधि और दीर्घ अवधि—दोनों तरह की प्रदूषण-रोधी रणनीतियां कोर्ट में पेश कीं। अमिक्स ने चिंता जताई कि “उपाय तो हैं, लेकिन प्रदूषण में कमी का असर नहीं दिख रहा।  delhi ncr pollution | delhi air pollution levels | air pollution in delhi | air pollution effects | Pollution | supreme court 

Advertisment
Pollution delhi ncr pollution air pollution in delhi delhi air pollution levels supreme court air pollution effects
Advertisment
Advertisment