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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।दिल्ली की एक अदालत ने आम आदमी पार्टी (आप) की सांसद और दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल को 14 वर्षीय एक दुष्कर्म पीड़िता की पहचान उजागर करने के आरोप से बरी कर दिया। दुष्कर्म पीड़िता की चोटों के कारण इलाज के दौरान मौत हो गई थी। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा मित्तल ने आयोग के तत्कालीन जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र सिंह को भी मामले में बरी कर दिया।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को सार्वजनिक किया
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि सिंह ने मालीवाल के कहने पर नाबालिग बलात्कार पीड़िता का नाम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को सार्वजनिक किया। प्राथमिकी के अनुसार, मालीवाल द्वारा डीसीडब्ल्यू की अध्यक्ष के रूप में भेजा गया वह नोटिस, जिसमें उन्होंने बलात्कार के मामले में जांच की जानकारी मांगी थी, को "जानबूझकर" एक व्हाट्सएप ग्रुप में प्रसारित किया गया और एक टीवी चैनल द्वारा प्रसारित भी किया गया। अदालत ने अपने आदेश में कहा, अभियोजन पक्ष, किशोर न्याय (बालकों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम की धारा 74 तथा किशोर न्याय नियमों के नियम 86 के अंतर्गत आरोपी व्यक्तियों द्वारा अपराध किए जाने को उचित संदेह से परे साबित करने में विफल रहा है।’
क्या है कानून की धारा 74 मीडिया
अदालत ने कहा कि न तो व्हाट्सएप पर नाबालिग पीड़िता की पहचान उजागर करने वाला नोटिस साझा किया जाना सिद्ध हुआ है, और न ही सिंह द्वारा उस नोटिस की एक प्रति किसी समाचार चैनल को साझा करना साबित हुआ है। जहां कानून की धारा 74 मीडिया को किसी भी प्रकार की ऐसी पहचान उजागर करने से रोकती है, वहीं नियम 86 अपराधों को संज्ञेय या असंज्ञेय की श्रेणी में वर्गीकृत करने और नामित न्यायालयों से संबंधित है।
2016 में मालीवाल के खिलाफ दर्ज हुआ था मामला
अदालत ने कहा, ''आरोपियों, स्वाति मालीवाल जयहिंद और भूपेंद्र सिंह, को किशोर न्याय अधिनियम की धारा 74, सहपठित नियम 86 के तहत किए गए अपराध से बरी किया जाता है।'' दिल्ली पुलिस ने 2016 में मालीवाल के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जब वह दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष थीं। पुलिस ने कहा था कि किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों का घोर उल्लंघन हुआ है जो यौन अपराध की नाबालिग पीड़िता की पहचान की रक्षा से संबंधित हैं। नाबालिग लड़की ने 23 जुलाई, 2016 को एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था।
किशोर न्याय अधिनियम की धारा 74
उसके पड़ोसी ने उसका यौन उत्पीड़न किया था और कथित तौर पर उसके गले में एक रासायनिक पदार्थ डालकर उसके आंतरिक अंगों को नुकसान पहुंचाया था। पीड़िता के नाम का खुलासा करने के लिए उसके माता-पिता की सहमति मौजूद होने के कारण भारतीय दंड संहिता की धारा 228ए (पीड़िता की पहचान उजागर करने पर प्रतिबंध) को मामले से हटा दिया गया, और इसकी जगह किशोर न्याय अधिनियम की धारा 74 जोड़ी गई। Swati Maliwal news | rape victim identity case | court verdict India | delhi