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देहरादून, वाईबीएन डेस्कः उत्तराखंड सरकार ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर सरकारी अस्पतालों से अनावश्यक रेफरल पर सख्ती बरतते हुए एक विस्तृत Standard Operating Procedure (SOP) जारी की है। यह फैसला राज्य में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था को अधिक जवाबदेह, पारदर्शी और सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मरीज को रेफर नहीं किया जाएगा
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि अब बिना चिकित्सकीय औचित्य के किसी भी मरीज को जिला या उप-जिला अस्पताल से मेडिकल कॉलेज या उच्च संस्थान को रेफर नहीं किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि हर मरीज को प्राथमिक उपचार और विशेषज्ञ राय जिला स्तर पर ही उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि समय पर समुचित इलाज मिल सके और अनावश्यक रेफरल से बचा जा सके।
वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए
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राज्य में वर्तमान में 272 "108 एम्बुलेंस", 244 विभागीय एम्बुलेंस और केवल 10 शव वाहन कार्यरत हैं। अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत, पौड़ी और नैनीताल जिलों में शव वाहनों की अनुपस्थिति को गंभीरता से लेते हुए संबंधित CMOs को तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। पुराने वाहनों, जिनकी पंजीकरण अवधि 10 या 12 वर्ष पूरी हो चुकी है, को नियमानुसार शव वाहन के रूप में प्रयुक्त करने के निर्देश दिए गए हैं। इनके संचालन व्यय भी क्षेत्रवार तय कर दिए गए हैं।
शासन की मंशा स्पष्ट
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि यह पहल मरीजों को बेहतर और समयबद्ध स्वास्थ्य सेवाएं देने के साथ-साथ सरकारी अस्पतालों की कार्यप्रणाली में जवाबदेही और पारदर्शिता को स्थापित करने के लिए की गई है। सभी CMO और MOIC को SOP का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए गए हैं। सरकार का स्पष्ट संदेश है – अब रेफरल केवल चिकित्सकीय आवश्यकता पर आधारित होगा, कोई भी प्रशासनिक औपचारिकता नहीं।
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एम्बुलेंस सेवा और शव वाहन व्यवस्था में भी सख्ती
स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि 108 एम्बुलेंस सेवा का उपयोग केवल Inter Facility Transfer (IFT) के तहत हो सकेगा। सभी विभागीय एम्बुलेंस की तकनीकी स्थिति की समीक्षा कर उन्हें फिटनेस प्रमाणपत्र के अनुरूप संचालन के लिए तैयार किया जाएगा।
SOP के मुख्य बिंदु
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- केवल विशेषज्ञ की अनुपलब्धता पर रेफरल – जब किसी अस्पताल में आवश्यक विशेषज्ञ उपलब्ध न हों, तभी मरीज को उच्च संस्थान भेजा जाएगा।
- ऑन-ड्यूटी चिकित्सक द्वारा निर्णय – रेफरल का निर्णय मौके पर मौजूद चिकित्सक द्वारा ही लिया जाएगा। फोन या ई-मेल से प्राप्त जानकारी के आधार पर रेफरल अमान्य होगा।
- आपातकाल में त्वरित निर्णय की छूट – गंभीर स्थिति में ऑन-ड्यूटी विशेषज्ञ व्हाट्सऐप/कॉल से निर्णय ले सकते हैं, लेकिन उसे बाद में दस्तावेज में दर्ज करना होगा।
- रेफरल कारणों का स्पष्ट उल्लेख अनिवार्य – रेफरल फॉर्म में विशेषज्ञ की अनुपलब्धता, संसाधनों की कमी आदि का लिखित विवरण देना आवश्यक होगा।
- जवाबदेही तय – गैर-जरूरी रेफरल की स्थिति में संबंधित CMO या CMS जिम्मेदार माने जाएंगे। dhami government
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