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मुंबई, वाईबीएन डेस्क: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि महाराष्ट्र के वसई-विरार क्षेत्र में नगर निगम के कुछ अधिकारियों, नगर नियोजनकर्ताओं, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और डेवलपर्स ने आपस में मिलीभगत कर अवैध निर्माण को अंजाम दिया। ईडी के अनुसार, यह पूरा नेटवर्क संगठित गिरोह की तरह काम कर रहा था, जिसने जलमल शोधन संयंत्र और कूड़ा निपटान के लिए आरक्षित जमीन पर 41 अवैध इमारतें खड़ी कर दीं।
16 जगहों पर छापेमारी, करोड़ों की संपत्ति जब्त
ईडी ने 1 जुलाई को वसई-विरार क्षेत्र में 16 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया, जिसमें 12.71 करोड़ रुपये की बैंक जमा और म्यूचुअल फंड, 26 लाख रुपये नकद और कई आपत्तिजनक दस्तावेज व इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए गए। यह कार्रवाई मीरा-भायंदर पुलिस द्वारा 2009 से दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर की गई, जिसमें कुछ बिल्डरों और स्थानीय गुंडों पर अवैध निर्माण के आरोप लगाए गए थे।
सार्वजनिक भूमि को धोखे से बेचा गया
ईडी ने बताया कि शहर की विकास योजना के अनुसार जो भूमि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और कचरा डंपिंग के लिए आरक्षित थी, वहां अवैध रूप से आवासीय और व्यावसायिक इमारतों का निर्माण किया गया। आरोप है कि इन इमारतों को "अनधिकृत" घोषित किए जाने की जानकारी होने के बावजूद डेवलपर्स ने आम जनता को कमरे बेच दिए और उन्हें गुमराह किया। नकली दस्तावेजों के ज़रिए मंजूरी का दिखावा कर लोगों को ठगा गया।
41 इमारतों को हाईकोर्ट के आदेश पर ढहाया गया
मुंबई हाईकोर्ट ने जुलाई 2024 में इन सभी 41 इमारतों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था। निवासियों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद वसई-विरार नगर निगम (VVMC) ने 20 फरवरी को इमारतों को गिरा दिया।