पटना, वाईबीएन डेस्क: प्रवर्तन निदेशालय (
ED) ने बिहार पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2023 से जुड़े कथित पेपर लीक और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गुरुवार को बड़ी कार्रवाई की। एजेंसी ने बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के कई ठिकानों पर
छापेमारी की। कार्रवाई का दायरा पटना, नालंदा, रांची, लखनऊ और कोलकाता तक फैला रहा। ईडी की छापेमारी एजेंटों, पेपर लीक रैकेट के सरगनाओं और उनसे जुड़े सहयोगियों के परिसरों पर की गई। सूत्रों के मुताबिक कोलकाता की एक प्रिंटिंग प्रेस पर भी छापा पड़ा जहां से परीक्षा के प्रश्नपत्र छापे गए थे। इस प्रकरण में कुछ वही लोग शामिल हैं जो 2024 के नीट-यूजी पेपर लीक मामले में भी आरोपी हैं।
क्या है पूरा मामला?
बिहार पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2023 का मकसद 21,391 पदों को भरना था। परीक्षा 1 अक्टूबर को 37 जिलों में 529 केंद्रों पर आयोजित हुई जिसमें 18 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया। परीक्षा के बाद पेपर लीक की खबरें सामने आईं जिसके बाद 3 अक्टूबर को राज्य के केंद्रीय कांस्टेबल चयन बोर्ड (CSBC) ने परीक्षा रद्द कर दी। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की प्राथमिकियों के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की। आरोप है कि एक संगठित गिरोह ने प्रश्नपत्र लीक कर छात्रों को मोटी रकम लेकर बेचे और उससे अवैध संपत्ति बनाई।
प्रश्नपत्र छापने और आपूर्ति करने का दिया गया था ठेका
पुलिस ने इस पेपर लीक के पीछे संजीव मुखिया की अगुवाई वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह को जिम्मेदार ठहराया। मुखिया नालंदा जिले के एक सरकारी कॉलेज में तकनीकी सहायक के तौर पर काम कर चुका है। फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में है। बिहार ईओयू ने पाया कि कौशिक कुमार कर नामक एक आरोपी की कोलकाता स्थित कंपनी कैलटेक्स मल्टीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड है और उसे कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के लिए प्रश्नपत्र छापने और आपूर्ति करने का ठेका दिया गया था। हालांकि, इस बात का खुलासा हुआ कि कैलटेक्स मल्टीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड एक कमरे वाली ‘शेल’ कंपनी थी, जिसमें कोई कर्मचारी कार्यरत नहीं था और प्रश्नपत्रों की छपाई और आपूर्ति का काम ब्लेसिंग सिक्योर्ड प्रेस प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी को दिया गया, जहां कर की पत्नी निदेशक थीं। ईओयू के अनुसार, कर कथित तौर पर 2019 में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) और 2022 में अरुणाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (एपीपीएससी) द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षाओं के लिए प्रश्नपत्र लीक मामलों में शामिल था। उसने ‘ब्लेसिंग सिक्योर प्रेस प्राइवेट लिमिटेड’ की स्थापना की।
अब तक की कार्रवाई
- बिहार पुलिस ने अब तक 7 गिरफ्तारियां की हैं, जिनमें तीन आरोपी पश्चिम बंगाल से हैं।
- पेपर लीक के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और अन्य तकनीकों का भी इस्तेमाल हुआ था।
- भारी विरोध और अव्यवस्था के कारण परीक्षा को रद्द करना पड़ा और आगामी तिथियों पर होने वाली परीक्षाएं स्थगित कर दी गईं।
नीट-यूजी कनेक्शन
- जिन लोगों पर बिहार कांस्टेबल परीक्षा में लीक का आरोप है, वही आरोपी 2024 के नीट-यूजी घोटाले में भी शामिल हैं।
- नीट-यूजी परीक्षा 5 मई 2024 को देश-विदेश के 571 शहरों में आयोजित हुई थी, जिसमें 23 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए।
- इस मामले की जांच अब सीबीआई को सौंप दी गई है, जिसने विभिन्न राज्यों में प्राथमिकियां दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।