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Mysuru के मालेमहादेश्वर में संदिग्ध परिस्थितियों में पांच बाघों की मौत, वन व पुलिस विभाग ने शुरू की जांच

जिले के प्रतिष्ठित मालेमहादेश्वर वन्यजीव आश्रय (Wildlife Sanctuary) से एक बेहद चिंताजनक और चौंकाने वाली खबर सामने आई है। आश्रय क्षेत्र में पांच बाघों के शव संदिग्ध परिस्थितियों में पाए गए हैं।

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Ranjana Sharma
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मैसूरु, कर्नाटक, वाईबीएन डेस्‍क:जिले के प्रतिष्ठित मालेमहादेश्वर वन्यजीव आश्रय (Wildlife Sanctuary) से एक बेहद चिंताजनक और चौंकाने वाली खबर सामने आई है। आश्रय क्षेत्र में पांच बाघों के शव संदिग्ध परिस्थितियों में पाए गए हैं। इस घटना ने वन्यजीव सुरक्षा और संरक्षण से जुड़े अधिकारियों के बीच हड़कंप मचा दिया है। बाघों की मौत की जानकारी मिलते ही वन विभाग सक्रिय हो गया और मौके पर पहुंच कर तत्काल निरीक्षण शुरू किया। पुलिस विभाग को भी इस मामले में शामिल किया गया है, जिसके बाद दोनों विभागों ने मिलकर संयुक्त जांच की शुरुआत कर दी है। बाघों की मौत का कारण अभी स्पष्ट नहीं हो सका है, लेकिन प्रारंभिक तौर पर विषाक्तता (पॉइजनिंग), बीमारी या शिकार की आशंका से इनकार नहीं किया जा रहा।

एक साथ बाघों की मौत असामान्‍य

वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि एक ही स्थान पर इतने बाघों की अचानक मौत बेहद असामान्य है और यह क्षेत्र मेंवन्यजीव प्रबंधन की स्थिति पर सवाल खड़े करता है। स्थानीय प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जांच निष्पक्ष और गहराई से की जाएगी तथा दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।बाघों की इस अप्रत्याशित मौत से वन्यजीव संरक्षण से जुड़े संगठनों ने चिंता जताई है। अधिकारियों का कहना है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि बाघों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है, या फिर यह किसी सोची-समझी साजिश का हिस्सा है। विशेषज्ञों द्वारा विषाक्तता बीमारी (जैसे कैनाइन डिस्टेंपर या टीबी) या शिकार की आशंका को खंगाला जा रहा है। वन विभाग ने आसपास के क्षेत्रों में कैमरा ट्रैप्स और निगरानी रिकॉर्ड की भी समीक्षा शुरू कर दी है।

वन्यजीव संरक्षण पर संकट

एक ही वन क्षेत्र में इतने बाघों की अचानक मौत राज्य की बाघ संरक्षण नीति पर सवालिया निशान लगाती है। कर्नाटक जो देश में बाघों की सर्वाधिक आबादी वाले राज्यों में गिना जाता है, वहां इस प्रकार की घटना वन्यजीव संरक्षण के लिहाज से एक बड़े खतरे की ओर संकेत करती है।वन्यजीव विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों ने इस घटना को "वन्यजीव आपात स्थिति" करार दिया है और इसकी उच्चस्तरीय स्वतंत्र जांच की मांग की है। पर्यावरण कार्यकर्ता यह भी मांग कर रहे हैं कि वन विभाग को अधिक तकनीकी संसाधनों और स्वतंत्र निरीक्षण की व्यवस्था प्रदान की जाए ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके। Tiger Death,
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