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उत्तरकाशी, वाईबीएन डेस्क: कुदरत का कहर धराली और हर्षिल में भारी तबाही लेकर आया है। धराली में तेज बारिश के कारण बादल फटने से अचानक बाढ़ आई, जिसने विनाश मचाते हुए खीर गंगा नदी से होकर भागीरथी नदी में प्रवेश किया। इस जलप्रलय ने हर्षिल में भी अपनी भयंकर छाप छोड़ी। धराली में हुई इस आपदा ने पूरे इलाके को तबाह कर दिया, जहां पहले 20 से 50 फीट ऊंचे होटल, रिजॉर्ट और मकान बने थे, वे सब मलबे के नीचे दब गए हैं। यह क्षेत्र अब पूरी तरह उजड़ चुका है और यहां केवल मलबा ही दिखाई देता है।
कल्प केदार मंदिर भी प्रलय की चपेट में आया
धराली का 1500 साल पुराना कल्प केदार मंदिर भी इस प्रलय की चपेट में आ गया है। मंदिर का केवल ऊपरी हिस्सा ही मलबे से बाहर दिख रहा है, जबकि अधिकांश भाग दब चुका है। इस विनाश से पूरा गांव बदल गया है और उसकी स्थिति बिलकुल तबाह हो चुकी है। धराली का एक मुख्य पुल भी तेज बहाव के कारण पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है, जहां दरारें पड़ गई हैं और पुल धंस चुका है।
स्विट्जरलैंड कहलाने वाला हर्षिल क्षेत्र में भी भारी तबाही
धराली के अलावा हर्षिल जहां प्राकृतिक आपदा ने और भी भयावह रूप धारण किया है। भारत का स्विट्जरलैंड कहलाने वाला हर्षिल क्षेत्र, जो फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ की शूटिंग के लिए प्रसिद्ध है, बाढ़ में पूरी तरह तबाह हो गया है। हर्षिल घाटी में बाढ़ ने भारतीय सेना के महत्वपूर्ण कैंप को भी मलबे में दफन कर दिया है। यह सेना कैंप 1962 की भारत-चीन युद्ध से जुड़ा हुआ है, लेकिन अब यहां केवल तबाही के निशान बचे हैं।
मलबा और विनाश का सन्नाटा छाया
हर्षिल की मार्केट और आसपास के इलाके करीब 15 फीट गहरे मलबे में दब गए हैं, जहां अब कुछ भी नजर नहीं आता। समुद्र तल से 7860 फीट ऊंचे इस क्षेत्र को मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाता है, जहां प्रकृति की सुंदरता के बीच अब मलबा और विनाश का सन्नाटा छाया है। सेना के कैंप की अधिकांश इमारतें मलबे में दब गई हैं, और 14 राजपूताना रेजिमेंट के जवान अपने लापता साथियों की तलाश में जुटे हैं। बाढ़ के दौरान कैंप में आठ जवान और एक जेसीयू मशीन मौजूद थे, जो अब लापता हैं।
हर्षिल में बेस कैंप के दो प्रमुख गेस्ट हाउस तबाह
सेना के जवानों ने बताया कि बाढ़ के दौरान उन्होंने लोगों को बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन तेज बहाव और मलबे के कारण कई साथी बह गए। आर्मी मेस की किचन, जिसकी ऊंचाई लगभग 12 फीट थी, अब मलबे में पूरी तरह दब चुकी है। हर्षिल में बेस कैंप के दो प्रमुख गेस्ट हाउस, करन और अर्जुन, भी बाढ़ की चपेट में आकर तबाह हो चुके हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है और मौसम ठीक होने के बाद हेलिकॉप्टर के जरिए फंसे हुए लोगों को उत्तरकाशी और देहरादून लाया जा रहा है। हालांकि मलबे के नीचे अभी भी कई लोग फंसे हो सकते हैं, जिसके लिए भारी मशीनरी की जरूरत है। धराली और हर्षिल तक पहुंचने वाले रास्ते खराब होने के कारण फिलहाल केवल हेलिकॉप्टर के माध्यम से ही वहां पहुंचा जा सकता है।