Advertisment

Gwalior Murder Case: चचेरे भाई ने पहले मारी थी गोलियां, मर गई तो पिता ने अपने सिर इल्जाम लेने के लिए किया फायर

अब एक और कहानी सामने आई है। तनु की जब काउंसलिंग चल रही थी, तो महेश को लगा, वह नहीं मानेगी तो उसने राहुल को इशारा कर दिया। चाचा का इशारा मिलते ही राहुल ने गोलियां चलाई।

author-image
Ojaswi Tripathi
1

1

नई दिल्ली, वाईबीएन न्यूज

Advertisment

Gwalior पिंटो पार्क स्थित आदर्श नगर में झूठी शान के लिए तनु गुर्जर की हत्या करने वाला उसका पिता महेश गुर्जर और चचेरा भाई राहुल गुर्जर पुलिस हिरासत में हैं। इकलौती बेटी की मौत को तीन दिन बीत चुके हैं, लेकिन महेश को कोई मलाल नहीं है। अब एक और कहानी सामने आई है। तनु की जब काउंसलिंग चल रही थी, तो महेश को लगा, वह नहीं मानेगी तो उसने राहुल को इशारा कर दिया। चाचा का इशारा मिलते ही राहुल ने गोलियां चलाई।

 एक के बाद एक तीन गोलियां लगने के बाद तनु की मौत हो गई। इसके बाद अपने भतीजे को बचाने महेश ने अपने सिर इल्जाम लेने के लिए कट्टे से गोली चलाई। फिर राहुल से पिस्टल ली, उसे कुछ दूरी पर छोड़कर खुद दोनों हथियार लेकर वापस आ गया। वहां मौजूद पुलिसकर्मियों से जब घटना की जानकारी ली गई, तब यह हकीकत सामने आई।

 चाचा-भतीजे साथ में फरार हुए, महेश लौट आया

Advertisment

 राहुल के पास पिस्टल थी और महेश के पास कट्टा था। जैसे ही बात बिगड़ी तो राहुल ने गोलियां मार दी। चाचा-भतीजे साथ में फरार हुए, लेकिन महेश लौट आया। तब तक सीएसपी नागेंद्र सिंह सिकरवार फोर्स के साथ पहुंच गए थे।

यह भी पढ़ें: Controversy: पहले रितुराज झा का नाम बिगाड़ा,  तूल पकड़ने पर माफी मांगने लगे पूनावाला

 मौके पर महेश ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि उसने अपने बेटी को मार दिया है। एक हाथ में कट्टा और दूसरे हाथ में पिस्टल लिए महेश ने यह भी कहा कि उसने दोनों हाथ से गोलियां चलाई हैं। हत्याकांड में राहुल का कोई हाथ नहीं है।

Advertisment

 पहले ही तय कर चुके थे, नहीं मानी तो मार डालेंगे

 इस मामले में महाराजपुरा थाना पुलिस की जो टीम काउंसलिंग के लिए गई थी, वह महेश और राहुल के इरादे भांपने में चूक गई। यह हथियार पहले से ही रखे हुए थे। पहले ही तय कर चुके थे कि अगर तनु शादी के लिए नहीं मानी तो उसे मार डालेंगे। अगर पुलिस इन्हें थाने लेकर समझाती तो शायद यह घटना बच जाती।

 घटना का समर्थन कर रहे कुछ लोग, पुलिस बनी फरियादी

Advertisment

 इस घटना का समर्थन कुछ लोग कर रहे हैं। इसमें महेश के कुछ परिचित भी शामिल हैं। इस स्थिति को देखते हुए पुलिस ही खुद फरियादी बनी है। अगर तनु के घर से किसी को फरियादी बनाया जाता तो मामला दबा दिया जाता।कोर्ट में आरोपी बच सकते थे, इसके चलते पुलिस फरियादी बने। जिससे राजीनामा, गवाह पलटने जैसी स्थिति न बने।

Advertisment
Advertisment