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Bird Flu: राजस्थान में बर्ड फ्लू से 33 कुरजां पक्षियों की मौत, भोपाल से आई जांच रिपोर्ट में खुलासा

बता दें इन पक्षियों के मरने का सिलसिला 11 जनवरी से जारी है। सोमवार, 20 जनवरी को देगराय के छोड़िया गांव के पास एक कुरजां मृत मिली। पशुपालन विभाग के अनुसार अभी तक 31 और स्थानीय लोगों के मुताबिक 33 कुरजां यानी डोमेइसेल क्रेन की मौत हो चुकी है

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Jyoti Yadav
बर्ड फ्लू से 33 कुरजां पक्षियों की मौत

राजस्थान, वाईबीएन नेटवर्क।

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राजस्थान के जैसलमेर से इस वक्त की बड़ी खबर सामने आ रही है। बता दें जैसलमेर में कुरजां पक्षियों में मिला बर्ड फ्लू संक्रमण मिला है। इससे अब तक कुल 3 कुरजां पक्षियों की मौत भी हो गई है। थार के रेगिस्तान में विरह गीतों का केंद्र रही कुरजां (डेमोइसेल क्रेन) के लिए ये सर्दी दुखद रही। कुरजां को इस साल बर्ड फ्लू ने अपनी चपेट में लिया है। बता दें इसका खुलासा भोपाल से आई जांच रिपोर्ट में हुआ है, दरअसल मृत 8 पक्षियों के विसरा को जांच के लिए भोपाल भेजा गया था, जिसमें पता चला कि ये बर्ड फ्लू से संक्रमित हैं। 

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11 जनवरी से शुरू हुआ पक्षियों के मरने का सिलसिला

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बता दें  इन पक्षियों के मरने का सिलसिला 11 जनवरी से जारी है। सोमवार, 20 जनवरी को देगराय के छोड़िया गांव के पास एक कुरजां मृत मिली। पशुपालन विभाग के अनुसार अभी तक 31 और स्थानीय लोगों के मुताबिक 33 कुरजां यानी डोमेइसेल क्रेन की मौत हो चुकी है। आंकड़ों में फेर होने की एक वजह ये है कि मृत पक्षियों में एक गिद्ध और कोयल भी शामिल है। पशुपालन विभाग का कहना है कि गिद्ध की मौत बिजली के तारों में उलझकर हुई थी। गलती से उसे बर्ड फ्लू से हुई मौत वाली लिस्ट में डाल दिया गया था।

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 क्या होते हैं कुरजां पक्षी 

कुरजां या डेमोइसेल सारस, जिसका वैज्ञानिक नाम ग्रुस वर्गों है। यह ग्रुस वंश के सारस की एक जाति है। यह मध्य यूरेशिया (कृष्ण सागर से मंगोलिया व पूर्वोत्तरी चीन) में निवास करते हैं। बड़ी बात ये है कि कुरजां  चीन, मंगोलिया और कजाकिस्तान जैसे देशों से करीब चार हजार किलोमीटर का सफर तय कर जैसलमेर के लाठी, खेतोलाई, डेलासर, धोलिया, लोहटा, चाचा, देगराय ओरण सहित अन्य जगहों पर करीब 6 महीने प्रवास करती हैं।गौरतलब है कि यह मध्य यूरेशिया में निवास करते हैं, लेकिन प्रजनन के लिए यह भारत में शीतकालीन निवास करते हैं।

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क्या होता है बर्ड फ्लू

बर्ड फ्लू, एक वायरल बीमारी है जो पक्षियों में होती है। इसे एवियन इन्फ्लूएंजा भी कहते हैं। यह बीमारी आम तौर पर जंगली पक्षियों में फैलती है, लेकिन कभी-कभी घरेलू मुर्गियों में भी फैल सकती है। बर्ड फ्लू से कुछ मामलों में इंसान भी संक्रमित हो सकते हैं। बर्ड फ्लू वायरस से संक्रमित पक्षियों के थूक, बलगम, लार, और मल से यह वायरस फैलता है। बर्ड फ्लू वायरस से संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए।  

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