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रघुवर दास ने किया सवाल, पेसा लागू करने में हेमंत सरकार की राह में कौन बना है रोड़ा

जनजातीय समुदाय को अपने स्थानीय स्वशासन से जोड़कर रखने और उसे सशक्‍त बनाने के लिए 1996 में संसद ने पेशा अधिनियम पारित किया था और 24 दिसंबर 1996 को राष्‍ट्रपति ने मंजूरी देकर कानून का रूप दिया था।

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Narendra Aniket
Raghubar Das-1

नई दिल्‍ली, वाईबीएन डेस्‍क। झारखंड में पेसा लागू करने में हो रही देरी पर राज्‍य की विपक्षी पार्टी भाजपा ने सत्‍ताधारी हेमंत सरकार पर तीखा हमला बोला है। भाजपा नेता और राज्‍य के पूर्व मुख्‍यमंत्री रघुवर दास ने एक प्रेस कान्‍फ्रेंस में हेमंत सरकार से सवाल किया कि आखिर सभी प्रक्रिया पूरी होने बावजूद वह कौन सी अदृश्‍य शक्ति है जिसने इसे लागू किए जाने की राह में रोड़ा अटका रखा है।

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क्षेत्रीय कान्‍फ्रेंस में प्रारूप को दी गई थी सहमति

भाजपा नेता दास ने कहा कि पेसा नियमावली प्रारूप जुलाई 2023 में प्रकाशित कर पंचायती विभाग ने आम लोगों एवं संस्‍थाओं से प्रतिक्रिया मांगी थी। चार मार्च को हुए क्षेत्रीय कान्‍फ्रेंस में भारत सरकार पंचायती राज अधिकारी के साथ ही झारखंड सरकार, तेलंगाना सरकार, ओडिशा सरकार एवं अन्‍य के अधिकारी शामिल हुए थे। कान्‍फ्रेंस में प्रारूप को सहमति दी गई थी। 

विधि विभाग ने सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के न्‍यायिक आदेश के अनुरूप कहा था

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कान्‍फ्रेंस से सहमति मिलने के बाद उसे विधि विभाग के पास भेजा गया। महाधिवक्‍ता ने 20 मार्च 2024 को सहमति देते हुए उसे विधि विभाग को सौंप दिया। विधि विभाग ने भी 22 मार्च 2024 को पेसा नियमावली प्रारूप पर अपनी सहमति दी और कहा कि यह नियमावली सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्‍यायिक आदेश के अनुरूप बनाया गया है।

रघुवर दास ने पूछा, कहीं विदेशी धर्म मानने वाले तो नहीं रोक रहे

रघुवर दास ने कहा कि जब सारी प्रक्रिया पूरी हो गई और सभी की सहमति मिल चुकी है तो कौन सी ऐसी अदृश्‍य शक्ति है जिसने रोक रखा है। क्‍या विदेशी धर्म मानने वाले के दबाव में झारखंड सरकार पेसा कानून लागू नहीं कर रही है। विदेशी धर्म को मानने वाले झारखंड की सदियों पुरानी रूढीवादी व्‍यवस्‍था को नहीं मानना चाहती है। उन्‍हें लगता है कि पंचायती राज कानून लागू होने से उन्‍हें कहीं न कही नुकसान होगा और हमारे सरना समाज, जनजाति समाज को इससे लाभ होगा। गांव समृद्ध होगा, गांवों में विकास होगा इसलिए अवरोध बना हुआ है। कारण क्‍या है यह सरकार को स्‍पष्‍ट करना चाहिए।

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हाई कोर्ट दे चुका है लागू करने का आदेश

गौरतलब है कि देश के अनुसूचित क्षेत्रों वाले राज्यों की सूची में झारखंड भी शामिल है। लेकिन अबतक इस राज्‍य में पेसा अधिनियम लागू नहीं किया जा सका है। यहां तक कि 2022 में सरकार ने जो पेसा नियम बनाया, उसपर भी विवाद हो गया और मामला झारखंड हाई कोर्ट तक पहुंचा था। हाई कोर्ट ने भी याचिकाओं की सुनवाई कर इसे लागू करने को कहा था।

कब पेसा अधिनियम कानून बना

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अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन को मजबूत बनाने के लिए संसद ने 1996 में पेसा अधिनियम पारित किया था। राष्ट्रपति ने 24 दिसंबर 1996 को इस अधिनियम को अपनी स्‍वीकृति देकर इसे कानून का रूप दिया था।

पेसा अधिनियम का उद्देश्‍य

पेसा अधिनियम, 1996 के जरिए जनजातीय समुदाय को अपने स्थानीय स्वशासन से जोड़कर रखने और उसे सशक्‍त बनाने का प्रयास किया गया है। इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, पंचायतों से संबंधित प्रावधानों को 5वीं अनुसूचित क्षेत्रों में संशोधित रूप में लागू करना है।

5वीं अनुसूची में कुल 10 राज्‍य शामिल

वर्तमान में 5वीं अनुसूची में देश के कुल 10 राज्य आते हैं, जिनमें आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना शामिल हैं। इस अनुसूची में उन्हीं राज्यों को शामिल किया जाता है, जहां जनजातियों की आबादी अधिक है। 

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